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बलरामपुर : चुनाव भावनात्मक मुद्दों पर होते हैं, असल मुद्दों पर नहीं

शनिवार को ईटीवी भारत के संवाददाता ने 'पूर्वांचल के ऑक्सफोर्ड' के नाम से जाने वाले एमएलके पीजी कॉलेज के प्राचार्य और प्रोफेसरों से चुनावी मुद्दों और क्षेत्र के विकास को लेकर बातचीत की, जहां प्राचार्य और प्रोफेसरों ने अपनी-अपनी राय रखी.

चुनाव भावनात्मक मुद्दों पर होते हैं, असल मुद्दों पर नहीं

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Published : May 5, 2019, 8:54 AM IST

बलरामपुर: पूरा देश चुनावी मूड में है. जिले में दो चरणों में चुनाव होने हैं. बलरामपुर और उतरौला विधानसभा क्षेत्र जो कि गोंडा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है. उसमें पांचवें चरण यानी छह मई को वोट डाले जाएंगे. इसी के चलते ईटीवी भारत संवाददाता ने जिले के 'पूर्वांचल के ऑक्सफोर्ड' के नाम से जाने वाले एम.एल.के पी.जी कॉलेज का रुख किया. जहां प्राचार्य और कॉलेज के प्रोफेसरों से संवाददाता ने चुनावी मुद्दों और क्षेत्र के विकास के ऊपर बातचीत की.

संवाददाता ने कॉलेज के प्राचार्य और प्रोफेसरों से की बातचीत.

सवांददाता ने प्राचार्य और प्रोफेसरों से की बातचीत

एमएलके पीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉ एनके सिंह ने कहा कि पिछले चार-पांच सालों में विकास की रफ्तार तेज तो हुई है. बलरामपुर, गोंडा जिले की सड़कें बेहतर हुई है. सड़कों के साथ-साथ ढांचागत विकास की रफ्तार पकड़ रहा है. रेलवे में सुविधाएं बढ़ी हैं. डॉ एन के सिंह की नजर में बलरामपुर में चुनाव विकास के मुद्दों पर ही लड़ा जा रहा है.वहीं उन्होंने कहा जनप्रतिनिधियों द्वारा असफल होने की राय पर वह कहते हैं कि देखिए जनप्रतिनिधि अपने-अपने कार्यों में असफल हो सकते हैं क्योंकि जनसंख्या विस्फोट भारत के लिए एक बड़ी समस्या है.


वहीं प्रोफेसर डॉक्टर आरके पांडे ने बताया कि जिले में ढांचागत विकास काफी तेजी से हुआ है. फिर भी शिक्षा के क्षेत्र में अभी भी बहुत सारा काम करना बाकी है. क्योंकि शिक्षा ही गरीबी और अन्य कलकों को मिटा सकती है. बहुत सारे शिक्षक संघ, शिक्षण संस्थान अपने कम से कम क्षमता पर काम कर रहे हैं.

वहीं, एमएलके पीजी कॉलेज में राजनीतिक विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ प्रखर त्रिपाठी बताते हैं कि भ्रष्टाचार और पॉलिसी का इंप्लीमेंटेशन पूरी तरह से ना हो पाने का सबसे बड़ा कारण नीतियों में कहीं ना कहीं खराबी है. 1991 के बाद उदारीकरण की नीतियों की वजह से जहां तमाम वर्गों में प्राइवेटाइजेशन की प्रवृत्ति बढ़ी है. वहीं, इससे अन्य समस्याएं भी खड़ी हो रही है. डॉक्टर त्रिपाठी की नजर में भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा है. भ्रष्टाचार को यदि खत्म करना है तो वह कहते हैं कि जड़ से काम शुरू होना चाहिए

वहीं, प्रोफेसर डॉ राजीव रंजन की नजर में पिछली और वर्तमान सरकारों ने विकास तो किया है. लेकिन वह इसमें भी कई कमियां गिनाते हैं. शिक्षा के क्षेत्र में विकास को लेकर कहते हैं कि आयोग ने सही से काम नहीं कर रहा है. इन आयोगों को अस्थिर करने का काम किया जाता है.

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