लखनऊ: सर्वोच्च अदालत ने जैसे ही समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटाया, वैसे ही हर ओर इन्द्रधनुषी रंगों वाला झंडा शान से लहराने लगा. इसी के परिणामस्वरूप धारा 377 में कुछ नियम हटाए जाने के बाद यूपी में पहला 'अवध क्वीर लिटरेचर फेस्टिवल' का आयोजन किया गया. इस आयोजन में कई तरह के हुनर सामने आए.
खास बात यह थी कि इन हुनर को पेश करने का जिम्मा एक विशेष समुदाय एलजीबीटी ने लिया, वह समुदाय जिसने काफी संघर्ष के बाद भारत में ब्रिटिश काल से चले आ रहे इस धारा के नियमों के खिलाफ लड़ाई लड़ी और समाज में अपनी पहचान और अपने अस्तित्व को सबके सामने रखने के फैसले को अपने हक में किया.
अवध क्वीर लिटरेचर फेस्टिवल 'अवध क्वीर लिटरेचर फेस्टिवल' के डायरेक्टर दरवेश सिंह ने बताया कि इस फेस्टिवल में एलजीबीटी समुदाय ने ना केवल अपने हुनर पेश किए ,बल्कि अपनी परेशानियों संघर्षों और अपनी सामाजिक जीवन को भी लोगों के सामने रखा.
इस लिटरेचर फेस्टिवल में कुछ राजनीतिक लोगों के साथ मिलकर अपने संघर्ष और समाज में अपने अस्तित्व के बारे में एलजीबीटी तबके ने अपने विचार रखे. इसके अलावा कुछ बुक लॉन्च, पेजेंट शो, रैंप वॉक सिंगिंग डांसिंग समेत तमाम ऐसी चीजें जो एलजीबीटी समुदाय करना चाहता था, जिससे वह अपनी बात लोगों के सामने रख सके उसका प्रदर्शन किया गया.
रोजमर्रा जिंदगी में आम लोगों जैसे दिखने वाले एलजीबीटी समुदाय ने 'अवध क्वीर लिटरेचर फेस्टिवल' में अपने उन तमाम हुनर को पेश किया, जिनको देखकर हर कोई दंग रह गया. बैली डांसिंग, सिंगिंग, कथक, रासलीला, कविता और ऐसी तमाम चीजें जिनके हुनर को हम आसपास देखते तो हैं, पर कभी पहचान नहीं पाते, इस फेस्टिवल में वो सब देखने का मौका मिला.