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योगी सरकार के गो-आश्रय केंद्र की खुली पोल, 4 महीने में लगभग 45 पशुओं की मौत - uttar pradesh news

गोवंश आश्रय केंद्र राबर्ट्सगंज में भूख और प्यास से तड़पकर पशुओं की मौत का सिलसिला जारी है.आश्रय केंद्र में 4 महीने में 45 पशुओं की मौत हो गई है. दूसरी तरफ पशु चिकित्सा विभाग के डॉक्टर का कहना है कि प्लास्टिक खाने व निमोनिया के कारण पशुओं की मौत हो रही है.

गोवंश आश्रय केंद्र में पशुओं की मौत

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Published : May 2, 2019, 7:56 AM IST

सोनभद्र:जनपद में बने गो-आश्रय केंद्र में विगत 4 महीनों के अंदर 45 से अधिक पशुओं की मौत सरकार की व्यवस्था का पोल खोलने के लिए काफी है. जी हां, जनपद सोनभद्र में गो आश्रय केंद्र में विगत 4 माह पूर्व बनाया गया था जिसमें नगर के छुट्टा पशुओं को रखा गया है. गो-आश्रय केंद्र में दुर्व्यवस्था का आलम यह है कि यहां पर लगभग 45 से अधिक पशुओं की मौत हो चुकी है.

जनपद सोनभद्र के एकमात्र नगर पालिका परिषद राबर्ट्सगंज में जिला पंचायत की जमीन पर 4 माह पूर्व नगर पालिका व पशु चिकित्साधिकारी की संयुक्त देखरेख में गो-आश्रय केंद्र की स्थापना की गई थी, जिसमें नगर के सैकड़ों छुट्टा पशुओं को रखा गया है.

गो-आश्रय केंद्र की देखरेख करने वाले ने योगेंद्र कुमार ने बताया कि यहां पर तमाम प्रकार की असुविधाएं हैं. गो-आश्रय केंद्र में खाने के लिए केवल भूसा है, गर्म पानी और खुले में 45 डिग्री सेल्सियस तापमान में पशुओं को रहने की व्यवस्था है, जिसके कारण यहां लगातार मौतें हो रही हैं. साथ ही स्टाफ की कमी भी है. 200 से अधिक पशुओं की देखरेख के लिए एक व्यक्ति 8 घंटे ड्यूटी करता है.

गोवंश आश्रय केंद्र में पशुओं की मौत का सिलसिला जारी है.
पशु चिकित्सा विभाग के डॉ. एसके कुशवाहा के अनुसार प्लास्टिक खाने व निमोनिया के कारण पशुओं की मौत हो रही है. अब तक लगभग 45 से अधिक पशुओं की मौत हो चुकी है. देखरेख के लिए एक पशु पर मात्र 30 रुपये ही आता है. नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी प्रदीप गिरी के अनुसार डॉक्टरों की टीम द्वारा लगातार पशुओं का चेकअप कराया जा रहा है. हाल के कुछ दिनों में पशुओं की मौतें हुई हैं, जिसके पीछे का कारण प्लास्टिक खाना है. अगर कोई पशु बीमार होता है तो इसकी सूचना तत्काल डाक्टरों तक पहुंचाई जाती है.

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