आगरा:भारत का प्रतिनिधित्व कर जहां हमारे खिलाड़ी देश का नाम रोशन कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ शासन-प्रशासन की बेरुखी के चलते ताजनगरी के उभरते नेशनल और इंटरनेशनल लेवल के शूटर्स इन दिनों परेशान नजर आ रहे हैं. दरअसल, जिलाधिकारी आगरा इन सभी उभरते निशानेबाजों के भविष्य पर कुंडली मारकर बैठ गए हैं. आठ माह से राइफल और पिस्टल बनवाने के लिए यह शूटर्स लगातार डीएम ऑफिस के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन अब तक इन्हें लाइसेंस नहीं मिल सका है.
लाइसेंस में हुई देरी से 10 से ज्यादा नेशनल लेवल के शूटर्स बीते साल नेशनल चैंपियनशिप में भी नहीं जा सके थे. वहीं इस बार भी 12 से ज्यादा उभरते निशानेबाजों का भविष्य प्रशासन की बेरुखी से गर्त में जाता दिखाई दे रहा है.
14 शूटर्स को नहीं मिल पाया है राइफल्स का लाइसेंस
देश की नंबर दो दिव्यांग इंटरनेशनल शूटर सोनिया शर्मा, इंटरनेशनल शूटर मयंक पाठक के साथ ही नेशनल लेवल के शूटर्स समीर डागुर, नवीन डागुर, कृष्णा जादोन, कुणाल राठौड़ समेत 14 शूटर्स ने राइफल्स के लाइसेंस के लिए आवेदन किया था. 8 माह बीत जाने के बाद भी इन उभरते निशानेबाजों को अब तक रायफल का लाइसेंस नहीं मिल पाया है.
6 महीने पहले किया था आवेदन
नेशनल लेवल के शूटर कुणाल राठौड़ का कहना है कि उन्होंने 6 महीने पहले आवेदन दिया था लेकिन जिलाधिकारी राइफल लाइसेंस की फाइल पर हस्ताक्षर नहीं कर रहे हैं. इसकी वजह से उन्हें राइफल का लाइसेंस नहीं मिला है. शूटर कुणाल राठौड़ 10 मीटर एयर पिस्टल और 50 मीटर प्रॉन्स शूटिंग में प्रतिभाग करते हैं. उन्होंने बताया कि 2018 में केरल में हुई नेशनल चैंपियनशिप में 50 मीटर प्रॉन्स कैटेगरी में राइफल नहीं होने की वजह से वह शामिल नहीं हो पाये थे.