फर्रुखाबाद : बोरवेल में फंसी बच्ची को निकाल न पाने के बाद प्रशासन के अधिकारी अपनी नाकामी छुपाने के लिए अब गड्ढे को भरवाने में जुटे हुए हैं. वहीं डीएम मोनिका रानी का दावा है कि खुदाई 40 से 42 फीट कराने पर आसपास के सात से आठ मकान गिराने पड़ते, जिस कारण परिजनों ने आगे कोई भी कार्रवाई से मना कर दिया है.
तीन दिन तक जिंदगी और मौत की जंग लड़ रही बोरवेल में फंसी आठ वर्षीय सीमा को एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सेना के जवान काफी प्रयास के बाद भी निकाल नहीं सके. शुक्रवार रात आचानक रेस्क्यू ऑपरेशन बंद कर दिया गया और सेना व प्रशासन के आलाधिकारी मौके से चले गए.
वहीं इस आसपास के लोगों ने कड़ी आपत्ति भी जताई, लेकिन प्रशासन की हनक के आगे किसी की नहीं चली. डीएम मोनिका रानी ने बताया कि तीन दिन तक बच्ची को बचाने का अभियान चलाया गया था, लेकिन बलुई मिट्टी होने के कारण बार-बार मिट्टी धसती जा रही है. शुक्रवार रात खुदाई करने पर यह निश्चित किया गया कि जितने भी आसपास के सात से आठ घर चिन्हित किए गए हैं. उन्हें गिराना पड़ेगा और उसके बाद ही 40 से 42 फीट खुदाई की जा सकेगी. जिसमें 3 से 4 दिन और लग सकते हैं.
इसके बाद आसपास के लोगों और परिजनों से बात की गई तो उन्होंने आगे किसी भी कार्रवाई से मना कर दिया. उनका कहना है कि ऐसा कोई भी काम वह नहीं चाहते हैं. जिससे आस पड़ोस के लोगों को किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत हो. इस कारण अंत में निर्णय लिया गया कि अब इस बचाव कार्य को समाप्त किया जाए. हालांकि रात में खुदाई के दौरान यह भी पता नहीं लग पा रहा था कि बच्ची कितनी गहराई में चली गई है.