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बोरवेल में गिरी बच्ची को बचाने गड्ढे में उतरे दो जवान दबे, बामुश्किल बाहर निकाला गया - फर्रूखाबाद न्यूज

फर्रुखाबाद जिले में बोरवेल में गिरी बच्ची को बचाने के लिए गहरे गड्ढे में उतरे भारतीय सेना के 2 जवान भी मिट्टी में दब गए. जिन्हें कड़ी मश्शक्त के बाद बाहर निकाला गया.

रेस्क्यू

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Published : Apr 5, 2019, 12:00 AM IST

फर्रुखाबाद:जनपद में बोरवेल में गिरी 8 वर्षीय बच्ची को बचाने के लिए गहरे गड्ढे में उतरे भारतीय सेना के 2 जवान भी मिट्टी में दब गए. यह देख भारतीय जवानों के बीच हड़कंप मच गया. तुरंत सभी ने एक साथ मिलकर रस्सी खींचकर एक-एक करके दोनों को गड्ढे से बाहर निकाला. इसके बाद करीब 2 घंटे के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन को पूरी तरह से रोक दिया गया.


बोरवेल में गिरी बच्ची को सिलेंडर से ऑक्सीजन दिया जा रहा है. प्रशासन के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अपनी टीम के साथ मौके पर मौजूद हैं. गहरे गड्ढे में सांस लेने में बच्ची को कोई दिक्कत न हो इसके लिए सिलेंडर से ऑक्सीजन पहुंचाई जा रही है. अभी तक 3 सिलेंडर खत्म हो चुके हैं और सिलेंडर की डिमांड की गई है. डॉक्टरों का एक दल भी मौके पर डेरा जमाए हुए हैं. वहीं पूरे रेस्क्यू पर डीएम और एसपी भी अपनी पैनी नजर रखे हुए हैं.

गड्ढे में गिरे जवान


जिंदगी और मौत की जंग लड़ रही सीमा को बचाने के लिए दो जिंदगियां मौत के मुंह की ओर जाने से बच गई. जिसे देख मौके पर मौजूद लोगों का कलेजा मुंह को आ गया. कमालगंज के रसीदपुर गांव में 60 फीट गहरे बोरवेल में गिरी सीमा को बचाने के लिए पिछले 22 घंटे से भारतीय सेना मशक्कत कर रही है. बुधवार दोपहर करीब 4 बजे से बच्ची को बचाने के लिए सिखलाई रेजीमेंट के जवानों ने रेस्क्यू शुरू किया. लेकिन 12 घंटे बीत जाने के बाद भी सफलता नहीं मिली, तो ऐसे में दिक्कतों से निपटने के लिए रेस्क्यू करने वाली विशेष टीम को आगरा से बुलाया गया. टीम के जवान गुरुवार तड़के 4:30 पर जनपद पहुंच गए. जवानों ने ऑपरेशन को सफल बनाने के लिए युद्धस्तर पर काम करना शुरू कर दिया था, लेकिन दोपहर 11:45 बजे के आसपास बलुअर मिट्टी धंसने से 2 जवान अंदर दब गए.


मौके पर मौजूद सेना के जवानों ने उन्हें रस्सी से खींचकर बड़ी मुश्किल से बाहर निकाला. इसके बाद उन्हें मौके पर ही प्राथमिक उपचार दिया गया. फिलहाल दोनों जवानों की हालत ठीक बताई जा रही है.बताते चलें कि लगातार बलवर मिट्टी के धसकने से खतरा बना हुआ है.

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