दधिमती मंदिर में मनाई गई महर्षि दधीचि की जयंती
राजधानी में रविवार को महर्षि दधीचि जयंती मनाई गई. इस मौके पर दाधीच समाज (Maharishi Dadhichi Jayanti) की ओर से महर्षि दधीचि सर्किल पर पूजन और आरती कार्यक्रम किया गया. वहीं झोटवाड़ा रोड स्थित दधिमती मंदिर में महर्षि दधीचि की पूजा अर्चना कर हवन किया गया. साथ ही वृद्धजन और विशिष्ट जन सम्मान समारोह आयोजित हुआ. प्राचीन काल में ऋषि अथर्वा और माता शांति के पुत्र परम तपस्वी महर्षि दधीचि का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी को दधीचि जयंती के रूप में मनाया जाता है. पुराणों में दधीचि ऋषि का उल्लेख मिलता है. वे एक महान तपस्वी थे. धरती पर (Story of Maharishi Dadhichi) जब वृत्तासुर का अत्याचार बढ़ने लगा तो आखिरकार भगवान इंद्र महर्षि दधीचि के पास गए और उनसे अपनी अस्थियां देने की प्रार्थना की. देवताओं के कल्याण और असुरों के वध के लिए दधीचि ने वज्र के निर्माण के लिए अपनी अस्थियां दान कर दी थी. देवताओं ने दधीचि की रीढ़ की हड्डी से बने वज्र से वृत्तासुर का वध कर शांति कायम की. इसी त्याग को याद रखने के लिए महर्षि दधीचि जयंती मनाई जाती है.