उदयपुर. जिले के ओड़ा रेलवे ब्रिज ब्लास्ट केस में गुरुवार को एटीएस की टीम सातों आरोपियों को कोर्ट ले गई, जहां सभी के साइन और फिंगर प्रिंट के साथ ही लेखनी के सैंपल लिए गए. जिसका मिलान जांच के दौरान बरामद विवादित दस्तावेज से किया जाएगा. जिसे जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजा जाएगा. साथ ही बताया गया कि ये नमूने जांच में अहम साक्ष्य साबित होंगे.
आरोपियों ने किए फर्जी हस्ताक्षर:एटीएस के एडिशनल एसपी अनंत कुमार ने उदयपुर कोर्ट में एक एप्लीकेशन लगाई थी. जिसमें कहा गया था कि जावर माइंस थाना क्षेत्र अंतर्गत पड़ने वाले ओड़ा ब्रिज स्थित उदयपुर-अहमदाबाद रेलवे ट्रैक को डेटोनेटर के जरिए विस्फोट कर क्षतिग्रस्त किया था. इस मामले में आरोपी लोकेश सोनी, अमित सोनी, भरतराज सेन और अशोक कुमार मीणा न्यायिक अभिरक्षा में हैं. साथ ही आरोपी अक्षय सेन, सुरेश उपाध्याय और देवेन्द्र कुमार डांगी जमानत पर चल रहे हैं. ऐसे में आरोपियों के साइन और फिंगर प्रिंट्स लेने हैं, क्योंकि इन आरोपियों ने फर्जी हस्ताक्षर किए थे.
इसे भी पढ़ें- उदयपुर-अहमदाबाद रेल ट्रैक ब्लास्ट मामला: राजस्थान में अलर्ट, बदमाशों की धरपकड़ के लिए अलग-अलग जिलों में छापेमारी
वहीं, इस दौरान एटीएस के एएसपी अनंत कुमार ने अभियोजन अधिकारी दिव्यराज सिंह झाला की मौजूदगी में 311-ए सीआरपीसी के तहत न्यायिक अभिरक्षा और जमानत पर चल रहे सातों आरोपियों के फिंगर प्रिंट और साइन के नमूना लेने की कार्रवाई की. अब सीज किए गए सभी दस्तावेजों से इनके फिंगर प्रिंट्स और हस्ताक्षर के नमूने का मिलान कराया जाएगा. जिसके बाद मामले में बड़ा खुलासा होने की उम्मीद जताई जा रही है.
यह है पूरा मामला:दरअसल, उदयपुर-अहमदाबाद रेलवे लाइन पर बने पुल पर आरोपियों ने ब्लास्ट की घटना को अंजाम दिया था. जिससे पटरियों पर क्रैक आ गया था. घटना के बाद मामले की जांच में जुटी टीम को मौके से बारूद भी मिले थे. आरोपियों की साजिश पुल को उड़ाने और रेलवे ट्रैक को बर्बाद करने की थी. धमाके से चार घंटे पहले ही इस ट्रैक से ट्रेन गुजरी थी. वहीं, 31 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस लाइन का लोकार्पण किया था. मामले की ATS, NIA और रेल पुलिस जांच कर रही है.