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चार दिवसीय भाषा व कला मेला 23 से, ऐतिहासिक नाटक प्रणवीर प्रताप से होगा आगाज - Udaipur language and art fair dates

उदयपुर में 23 मार्च से 26 मार्च तक भाषा और कला का मेला शुरू होगा. इसका शुभारम्भ नाटक 'प्रणवीर प्रताप' से होगी.

Udaipur Language and Art fair from March 23 to 26 March
चार दिवसीय भाषा व कला मेला 23 से, ऐतिहासिक नाटक प्रणवीर प्रताप से होगा आगाज

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Published : Mar 22, 2023, 11:05 PM IST

उदयपुर.शहर में गुरुवार से चार दिवसीय भाषा और कला का मेला शुरू होगा. सुखाड़िया विश्वविद्यालय के विवेकानंद सभागार में ऐतिहासिक नाटक प्रणवीर प्रताप के मंचन के साथ ही साहित्य व कलाओं के चार दिवसीय महाकुंभ 'मेला' (मर्जिंग एलिमेंट्स ऑफ लेंग्वेज एंड लिटरेचर) का शुभारम्भ होगा. अगले तीन दिन राजस्थानी, उर्दू व हिंदी भाषाओं पर आधारित विभिन्न सत्र आयोजित होंगे. मौलिक संस्था और मोहन लाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के राजस्थानी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में राजस्थान साहित्य अकादमी, उर्दू अकादमी, उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के सहयोग से स्थानीय प्रतिभाओं व साहित्य-कला रसिकों को देशभर की ख्यातनाम हस्तियों से रूबरू करवाने के उद्देश्य से 23 से 26 मार्च तक यह आयोजन होगा.

मौलिक संस्थान के संस्थापक शिवराज सोनवाल ने बताया कि उदयपुर में पहली बार तीन भाषाओं पर आधारित कार्यक्रम आयोजित होगा. इन भाषाओं को लिखने, पढ़ने व बोलने वालों के लिए सुनहरा अवसर होगा कि वे ख्यातिलब्ध साहित्यकारों के अनुभव सुन सकेंगें, मिल सकेंगे और अपनी जिज्ञासाओं का समाधान कर सकेंगे. साथ ही ड्रामा, संगीत, डांस, शिल्पकारी एवं चित्रकारी आदि कलाओं पर आधारित कार्यक्रम कला प्रेमियों के आकर्षण का केंद्र होंगे. सभी सत्रों व कार्यक्रमों में प्रवेश निशुल्क है.

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ये हस्तियां करेंगी शिरकत: मेला निदेशक कपिल पालीवाल ने बताया कि भाषाओं पर आधारित सभी सत्र सुखाड़िया विश्वविद्यालय के बप्पा रावल सभागार में आयोजित होंगे. 24 मार्च का दिन राजस्थानी भाषा को समर्पित रहेगा. इस दिन तीन सत्रों में मायड़ भाषा के महत्व, पहचान और साहित्य पर विमर्श होगा. साथ ही राजस्थानी कविताओं के सत्र में वरिष्ठ एवं नवोदित कवि अपनी रचनाओं का पाठ करेंगे. नई पीढ़ी के कलाकार संगीत पर मेवाड़ी में रैप व पॉप गायन का अनूठा प्रयोग करेंगे. इस दिन डॉ अर्जुन देव चारण, डॉ आईदान सिंह भाटी, मधु आचार्य ‘आशावादी’ पुरूषोत्तम पल्लव, प्रमोद शर्मा, डॉ सुरेश सालवी, राजवीर सिंह चलकोई, हरीश बी शर्मा जैसे नामचीन साहित्यकारों का सानिध्य मिलेगा.

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25 मार्च को उर्दू भाषा पर आधारित सत्रों में महेंद्र मोदी, आलोक श्रीवास्तव, अश्विनी मित्तल, अब्दुल जब्बार, हदीस अंसारी, एम आई जाहिर, डॉ सरवत खान, वैभव मोदी, रजत मेघनानी जैसे बड़े हस्ताक्षर भाग लेंगे. प्रसिद्ध शायर आलोक श्रीवास्तव सांयकाल 7 बजे 'आलोकनामा' में अपनी गजलों से समां बांधेंगे. अंतिम दिन 26 मार्च को हिंदी भाषा के ख्यातिलब्ध साहित्यकार एवं विभिन्न क्षेत्रों की सफल हस्तियां 'मेरे लिए साहित्य के मायने' सत्र में चर्चा करेंगे. इस दिन भानु भारती, डॉ दुलाराम सहारण, प्रताप राव, भंवरलाल श्रीवास, अनुज गर्ग, दिनेश पंत, रत्न कुमार सांभरिया, गजाधर भरत सहित कई अन्य हस्तियों से रूबरू होने का मौका मिलेगा.

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कला, संगीत, नृत्य का होगा अद्भुत संगम: मेला के कला निदेशक चेतन औदीच्य ने बताया कि 24 मार्च को सांयकाल विवेकानंद सभागार में लोकनृत्य एवं संगीत संध्या में मारिषा दीक्षित व नारायण गंधर्व अपने गायन का जलवा बिखेंरेंगे. वहीं विजय लक्ष्मी आमेटा लोकनृत्य की प्रस्तुतियां देंगी. 25 मार्च को दोपहर 1 बजे बप्पा रावल सभागार में 'गजल संग कैनवास' सत्र में कोमल बारेठ व भूपेंद्र पंवार की गजलों पर लगभग दस कलाकार पैंटिग्स व मृदा शिल्प के माध्यम से अपनी प्रतिभा को लाइव प्रदर्शन करेंगे. 26 मार्च को सांयकाल 7 बजे 'रूह से रूह' तक कार्यक्रम में महेश आमेटा, दिनेश वर्मा, रेखा शर्मा, जतिन भारवानी, अपूर्व गौतम अपनी प्रस्तुतियां देंगे. मेला के चारों दिन राष्ट्रीय कला शिविर भी आयोजित होगा. इसमें देशभर के मशहूर शिल्पकार अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे.

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