उदयपुर. उदयपुर-अहमदाबाद रेलवे ट्रैक को ब्लास्ट कर उड़ाने के (Udaipur Ahmedabad Railway Track case) मामले के तार अब धौलपुर और डूंगरपुर तक पहुंच गए हैं. इस रेलवे ट्रैक को उड़ाने में जिस बारूद का इस्तेमाल किया गया था वो जिलेटिन छड़ धौलपुर के आरईसीएल फैक्ट्री में निर्मित होना सामने आ रहा है. इसलिए जांच एजेंसियों ने अपने दायरे को और ज्यादा बढ़ा दिया है. क्योंकि बीते 2 दिनों से लगातार डूंगरपुर जिले में बड़ी संख्या में विस्फोटक सामग्री पुल के नीचे से (Explosive found in Dungarpur raised tension) मिल रही हैं. इसे लेकर सुरक्षा एजेंसियों की चिंता लगातार बढ़ती जा रही है.
क्योंकि अचानक इतनी बड़ी संख्या में बारूद मिलना कई सवाल खड़े कर रहा है. जहां एक और इस पूरे मामले को जांच एजेंसियां आतंकवाद और नक्सलवाद से जोड़कर देख रही हैं. वहीं दूसरी ओर अब तक जांच एजेंसियों को ऐसा कोई पुख्ता सबूत हाथ नहीं लगा है जिससे इस पूरे वारदात की गुत्थी को सुलझाए जा सके.
डूंगरपुर में मिले विस्फोटक ने बढ़ाई चिंता पढ़ें.उदयपुर-अहमदाबाद रेलवे ट्रैक पर ब्लास्ट, डेटोनेटर भी मिले...सीएम गहलोत बोले- पता लगाएंगे कैसे हुआ विस्फोट
अलग-अलग एजेंसियां कर रही पूरे मामले की जांचः उदयपुर अहमदाबाद रेलवे ट्रैक शुरू होने के 13 दिन बाद ही अचानक हुए इस ब्लास्ट ने कई अनसुलझे सवाल खड़े कर दिए हैं. जिस रेल लाइन के शुरू होने में 16 साल का वक्त लगा ऐसे में इस रेलवे ट्रैक को कौन उड़ाना चाहता था?. इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए एनआईए, एसओजी, एटीएस, आरपीएफ और स्थानीय पुलिस लगातार जांच कर रही है.
पुलिस और एजेंसियों ने पूरे इलाके के 10 किलोमीटर एरिया के लोगों से गहन पूछताछ भी की है. इस मामले की जांच के लिए एजेंसियों के अलावा पुलिस के करीब 200 से ज्यादा अधिकारी कर्मचारी इस मामले की गुत्थी सुलझाने में जुटे हुए हैं. पुलिस अब तक 100 से ज्यादा लोगों से पूछताछ कर चुकी है, लेकिन किसी से भी कोई लीड नहीं मिल सकी है. पुलिस ने सीडीआर की मदद से 1500-2000 ज्यादा नंबर्स की बारीकी से जांच कर रही है. पुलिस उन नंबर्स पर ज्यादा फोकस कर रही है, जो शनिवार शाम को उस इलाके में 5 मिनट से ज्यादा एक्टिव रहे थे.
एनआईए ने अभी तक मामला दर्ज नहीं किया हैःहालांकि इस पूरे मामले को लेकर एनआईए ने अभी तक मामला दर्ज नहीं किया है. लेकिन एनआईए के अधिकारियों और अन्य एजेंसियों के लोग इस पूरे मामले का रहस्य खोलने में लगे हुए हैं. इस रेलवे ट्रैक को उड़ाने में जिस बारूद का इस्तेमाल किया गया वह धौलपुर आरएसीएल बारूद फैक्ट्री से जुड़े पाए गए. क्योंकि यहां से बड़ी संख्या में बारूद को बेचा गया था. तमाम एजेंसियों के आलाधिकारियों ने घटना स्थल का मौका मुआयना किया और घटना की जानकारी ली. स्थानिय पुलिस के अधिकारी मामले की जांच में जुटी एजेंसियों ने अपनी जांच का दायरा उदयपुर के बाहर आतंकी और नक्सल प्रभावित इलाकों तक बढ़ा दिया है. जिससे पुरे मामले का खुलासा किया जा सके.
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तीन से चार लोगों द्वारा घटनाक्रम को अंजाम देने का अनुमानःउदयपुर-अहमदाबाद रेलवे ओडा पुल को उड़ाने की साजिश के मामले में तीन से ज्यादा लोगों ने मिलकर यह ब्लास्टिंग की फिटिंग की होगी. पिछले 4 दिनों से केवड़ा पुलिस चौकी, पलोदड़ा पुलिस चौकी और जावर माइंस चौकी में लगातार लोगों को बुलाया जा रहा है. इन्हीं बिल्डिंग्स में पुलिस के कई बडे़ अधिकारियों ने भी डेरा डाल रखा है.
डूंगरपुर में मिला बड़ी संख्या में जिलेटिन की छड़ेंः ब्लास्ट के पिछे क्या मकसद था, इसका पता नहीं चल पाया है. वहीं घटना स्थल से करीब 60 किलोमीटर दूर उदयपुर डूंगरपुर सीमा पर लगातार दो दिन से मिल रहे विस्फोटक पदार्थो ने पुलिस और जांच एजेंसियों के सामने एक नई चुनौती खड़ी कर दी है.ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि उदयपुर क्या आतंकियों के निशाने पर है, या यहां के आदिवासी इलाके में अब नक्सली एक्टिव होने लगे हैं?. पुलिस की ओर से पूरे संभाग में जांच की जा रही है. इस बीच डूंगरपुर में पिछले 2 दिनों से भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री मिली है. उदयपुर-अहमदाबाद रेलवे ट्रैक पर ब्लास्ट के बाद इतनी बड़ी संख्या में सामग्री मिलने से कई सवाल खड़े हो रहे हैं. पुलिस इस मामले की जांच हर एंगल से कर रही है. कहीं यह पूरे ब्रिज को उड़ाने की साजिश तो नहीं थी
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मंगलवार को डूंगरपुर में भबराना पुल के नीचे पानी में 186 किलो विस्फोटक मिला था. उसके बाद बुधवार को सोम नदी के किनारे झाड़ियों में 27 पैकेट से 500 से ज्यादा जिलेटिन की छड़ें जब्त की गई हैं. उदयपुर में रेलवे पुल पर ब्लास्ट के बाद मिले विस्फोटक को लेकर सेंट्रल आईबी और इंटेलिजेंस की टीमें भी आसपुर पहुंच गई हैं. पूरे इलाके में सर्च अभियान चलाया जा रहा है.
कन्हैया लाल हत्याकांड के बाद पटरी पर लौटाः 28 जून को कन्हैलाल हत्याकांड के बाद मानो उदयपुर की फिजा ही बदल गई है. किसी तरह स्थानीय प्रशासन ने कन्हैयालाल हत्याकांड के बाद बिगड़े माहौल को संभाल लिया. शहर फिर से पटरी पर लौटने लगा. लेकिन इसी बीच चार दिन पहले उदयपुर के ओडा रेलवे पूल पर हुए ब्लास्ट ने एक बार फिर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं. इसके बाद एक बार फिर इस चर्चा ने जोर पकड़ लिया है कि क्या उदयपुर शहर आतंकियों और नक्सलियों के निशाने पर है. इसी को देखते केन्द्र और राज्य सरकार एक्टिव नजर आ रही है. पुल पर हुए ब्लास्ट के बाद एनएसजी, एसओजी, एटीएस और एनआईए की टीमें एक्टिव हो गई. तमाम एजेंसियों के आलाधिकारियों ने घटना स्थल को मौका मुआयना किया और घटना की जानकारी ली.
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ट्रैक को उड़ाना नौसिखिया का काम नहींः रेलवे ट्रैक के सबसे बड़े ओडा पुल को उड़ाने के लिए जिस तरह की साजिश रची गई. उसके बाद जांच एजेंसी मान रही है कि यह किसी नौसिखिए का काम नहीं है. एटीएस के अधिकारियों ने मौके पर डेमो के रूप में कुछ वायरिंग की फिटिंग कर धमाके की इंटेंसिटी का अनुमान लगाने की कोशिश की है. एटीएस के अधिकारी मान रहे हैं कि जिस स्तर का ब्लास्ट किया गया है, वो आरोपियों ने करीब 100 से 150 मीटर के दायरे में किया होगा.
यह है पूरा मामलाःउदयपुर-अहमदाबाद रेलवे लाइन पर बने पुल पर शनिवार देर रात अज्ञात लोगों ने ब्लास्ट कर दिया था. जिससे पटरियों पर क्रैक आ गया. मौके पर बारूद भी मिला था. बदमाशों की साजिश पुल को उड़ाने और रेलवे ट्रैक को बर्बाद करने की थी. धमाके से चार घंटे पहले ही इस ट्रैक से ट्रेन गुजरी थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 31 अक्टूबर को ही इस लाइन का लोकार्पण किया था. मामले की ATS, NIA और रेल पुलिस जांच कर रही है.