उदयपुर.कहते हैं कि कुछ कर गुजरने की इरादे अगर मजबूत हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है. ऐसा ही मेवाड़ की दो बेटियों ने कर दिखाया है, जिन्होंने अपनी मेहनत के बल पर निशानेबाजी के लिए वर्ल्डकप (ISSF World Cup) में जगह बनाई है.
भूपाल नोबल्स शूटिंग रेंज ऑफिसर जितेंद्र सिंह मायदा ने बताया कि उदयपुर शहर की दो बेटियों ने साबित कर दिया कि बेटियां किसी से कम नहीं हैं. खिलाड़ियों और कोच की लगन-मेहनत के ही नतीजा है कि ISSF World Cup (International Shooting Sport Federation) में उनका चयन हुआ है. साथ ही एक बेहतरीन खिलाड़ी के निर्माण में माता-पिता का भी बहुत त्याग होता है.
अपूर्वी चंदेला (Shooter Apurvi Chandela) ने 2015 में बी.एन. स्पोर्ट्स शूटिंग रेंज का उद्घाटन किया था. तब से आत्मिका गुप्ता और मानवी सोनी रेंज पर अभ्यास करने लगे. यहां तक कोरोना काल में भी उन्होंने प्रैक्टिस नहीं छोड़ी.
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10 मीटर एयर राइफल निशानेबाज आत्मिका गुप्ता (Shooter Atmika Gupta) ने बताया की कोच जितेन्द्र सिंह का बहुत सपोर्ट रहा. उनके बिना यह संभव नहीं हो पाता. आत्मिका का कहना है कि वर्ल्डकप खेलना ही उनका लक्ष्य नहीं है बल्कि उन्हें मेडल की तैयारी भी करनी है.
मानवी सोनी (Shooter Manvi Soni) ने कहा कि अगर उदयपुर में यह रेंज उस समय नहीं होती और कोच सर का साथ नहीं होता तो यहां तक पहुंचना नामुमकिन था. मानवी आगे कहती हैं कि वह भारत के लिए स्वर्ण जितना चाहती है. यही उनका एकमात्र लक्ष्य है.
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शूटिंग रेंज ऑफिसर जितेंद्र सिंह मायदा इन दोनों की उपलब्धि पर फूले नहीं समा रहे हैं. उन्होंने बताया कि शहर के दो निशानेबाज मोहित सिंह शेखावत और प्रतीक सिंह खेल कोटे से सरकारी नौकरी कर रहे हैं.
जितेन्द्र सिंह मायदा कहते हैं कि अगर उदयपुर में समय रहते फायर आर्म 25-50 मीटर और ट्रैप शूटिंग की रेंज बन जाए तो शहर के निशानेबाज बहुत अच्छा रिजल्ट दे सकते है. वहीं उन्होंने कहा कि ओलंपिक में भारत के प्रदर्शन से भी खिलाड़ियों का इस फील्ड में रुझान बढ़ा है.