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Special : जिसकी दहाड़ से थर्राता था जंगल, आज गुमनामी की जिंदगी जीने को मजबूर रणथंभौर का 'उस्ताद'

उस्ताद, जिसकी दहाड़ से जंगल कांप उठता था आज शायद ही (Tiger Ustad of Ranthambore) गुर्राता है. जिसे देखने के लिए कभी दूर-दूर से पर्यटक आते थे, आज न वो किसी को देख सकता है और न कोई उसे. रणथंभौर के जंगलों पर एक समय जिसका राज था, आज उसे उसी जंगल से निकाल कर उसे दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया गया. ऐसा क्या हुआ कि बीते 6 सालों से जंगल के राजा 'उस्ताद' गुमनाम जिंदगी जीने को मजबूर है. पढ़िए ये खबर...

रणथंभौर का राजा
रणथंभौर का राजा

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Published : Oct 24, 2022, 8:09 PM IST

Updated : Oct 24, 2022, 8:51 PM IST

उदयपुर.एक टाइगर, जिसकी दहाड़ से एक वक्त रणथंभौर का पूरा जंगल थर्रा (Tiger Ustad of Ranthambore) उठता था. उस्ताद T24 जो रणथंभौर जंगल का राजा कहा जाता था, वो बीते 6 सालों से गुमनामी की जिंदगी जीने को मजबूर है. टाइगर T24 पर नरभक्षी होने के आरोप लगे थे. इसके बाद से उसे रणथंभौर के जंगल से निकाल कर सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क लाया गया. जहां वह एक छोटे से डिस्प्ले एरिया में रहने को मजबूर है.

रणथंभौर में 2006 में गूंजी थी खुशियां :साल 2006 में रणथंभौर टाइगर रिजर्व जंगल में खुशियां छाई थी, जब टाइगर झुमरू के घर तीन शावक का जन्म हुआ था. इनमें दूसरे नंबर का T24 उस्ताद का भी जन्म हुआ था. जन्म से ही अन्य टाइगर की तुलना में उस्ताद की आंखों में तेज और चेहरे पर विशेष आकर्षण था. उस्ताद की मां का नाम गायत्री था.

गुमनामी की जिंदगी जीने को मजबूर रणथंभौर का 'उस्ताद'

'उस्ताद' का एक बड़ा भाई और एक छोटा भाई भी था. बड़े भाई का नाम T23 भोला जबकि सबसे छोटे भाई T34 कुंभा था. जब मां-पिता और तीन भाइयों के साथ उस्ताद जंगल में निकलता तो उसे देखने के लिए हर कोई लालायित नजर आता था. बचपन से ही अपने तीनों भाइयों में उस्ताद थोड़ा शरारती था. वह जंगल पर बचपन से ही अपना रुतबा कायम करना चाहता था. यही वजह है, कि उसकी आंखों की तेज चमक पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती थी. अपनी एक विशेष छवि और चेहरे की अलग आकर्षण के कारण उसे लोग प्यार से उस्ताद कहते थे.

बचपन से ही जिंदगी संघर्ष भरी रही :अपने मां-बाप का सबसे प्रिय उस्ताद तीनों भाइयों में सबसे नटखट और शरारती था, लेकिन बचपन से ही टाइगर T24 उस्ताद को कई परेशानियों और बीमारियों का भी सामना करना पड़ा. कई बार उसका स्वास्थ्य खराब होने के कारण उसको ट्रेंकुलाइज करना पड़ा. हाल ही में उसके एक पैर की हड्डी बढ़ने के कारण उसका इलाज किया गया. अभी भी पिछले पैर की हड्डी बढ़ने के कारण उसे चलने-फिरने में परेशानी का सामना करना करना पड़ता है.

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डॉ. हंस कुमार जैन ने बताया कि 2015-16 में उस्ताद का अचानक पेट फूल गया था. इसकी वजह से ट्रेंकुलाइज करने के बाद टाइगर का ऑपरेशन किया गया. हालांकि, इसके बाद यह पूर्णतया स्वस्थ हो गया. इसके बाद टाइगर का भारी भोजन बंद कर दिया गया. सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में भी उस्ताद की तबीयत कई बार बिगड़ी. विशेष देखरेख में उसका इलाज किया गया. अब उसे हर रोज दवाई दी जा रही है.

'उस्ताद' को मिली ऐसी सजा की छिन गया जंगल :रणथंभौर अभ्यारण में 4 लोगों का शिकार करने के बाद टाइगर उस्ताद एक (Tiger Ustad of Ranthambore Attacks People) सनसनी बन गया था. इस नरभक्षी बाघ को 2015 में रणथंभौर नेशनल पार्क से उदयपुर के सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में शिफ्ट कर दिया गया. किसी वक्त रणथंभौर में उस्ताद की दहाड़ से पूरा जंगल थर्रा उठता था. उदयपुर शिफ्ट किए जाने के बाद यह टाइगर कई बीमारियों से जूझा, उसने कमबैक भी किया लेकिन खुले जंगल के बाघ की जिंदगी अब एंक्लोजर में सिमट गई है. उसे सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क नॉन डिस्प्ले एरिया में रखा गया है. पिछले 6 साल से यह जंगली बाघ यहां सजा भुगत रहा है. रणथंभौर की खुली आबोहवा में इंसानों पर हमला करने के बाद उस्ताद पर आदमखोर होने का ठप्पा लग गया. इस कलंक के कारण उसे सवाई माधोपुर के रणथंभौर अभ्यारण से उदयपुर के एक छोटे से एंक्लोजर में कैद कर दिया गया.

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4 लोगों को मौत के घाट उतारा : रणथंभौर टाइगर रिजर्व का राजा और सबसे स्मार्ट टाइगर T24 को देखने के लिए कई (Tiger Ustad Shifted to Udaipur) पर्यटक आते थे. लेकिन चार लोगों को मौत के घाट उतारने के बाद उसे बायोलॉजिकल पार्क शिफ्ट किया गया था. यहां उसे एकांत वाले एंक्लोजर में रखा गया है. यहां न उस्ताद किसी को देख सकता है और न कोई उस्ताद को. सिर्फ केयरटेकर और डॉक्टर ही उसके पास जाते हैं. उस्ताद अब सीमित क्षेत्र में विचरण करता है. उस्ताद अब बहुत कम दहाड़ता है. एंक्लोजर के आसपास किसी नए चेहरे को देखकर वह बेचैन हो जाता है.

बीते 6 सालों में बदला स्वभाव :सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में केयरटेकर राम सिंह ने बताया कि पहले की (Tiger Ustad in Sajjangarh Biological Park ) तुलना में उस्ताद में काफी बदलाव आए हैं. पहले यह टाइगर अचानक डर जाता था. उसका व्यवहार चिड़चिड़ा हो जाता था. लेकिन अब ऐसा नहीं है. उस्ताद अब अपनी दिनचर्या खुद तय करता है. जब उसको नहाने का मन करता है, तो वो पानी की अठखेलियां करता है. जब सोने का मन करता है, तो वह पेड़ की छांव में आराम करता है. हालांकि अभी भी पिंजरे के पास किसी अनजान व्यक्ति को देख दहाड़ उठता है.

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पेट में तकलीफ के बाद हड्डी वाला मीट नहीं :डॉ हंस जैन से मिली जानकारी के अनुसार उस्ताद किए पेट में तकलीफ के बाद भोजन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. उसे हर रोज 6 किलो की कीमा, आधा किलो पपीता, कद्दू और 4 लीटर सूप दिया जा रहा है. वहीं टाइगर की दवाइयां भी नियमित तौर पर दी जा रही है.ताकि उस्ताद का स्वास्थ्य दुरुस्त बना रहे.केयरटेकर राम सिंह ने बताया कि जब उस्ताद को भोजन देने के लिए बुलाते हैं. तो वह अपने आप आ जाता है. भोजन के बाद यह भी ध्यान रखा जाता है, कि उस उसने कितना भोजन किया है. उस्ताद की हर रोज गतिविधि पर नजर रखी जाती है.

बायोलॉजिकल पार्क रेंजर गणेश ने बताया कि फिलहाल उस्ताद की स्थिति अच्छी है. रणथंभौर का राजा कहे जाने वाला उस्ताद अच्छी तरह से अपना जीवन यापन कर रहा है. एक समय था जब इसकी एक झलक पाने के लिए लोग लालायित रहते थे. इनके परिवार के सभी सभी लोगों का बड़ा वर्चस्व रहा है. उस्ताद की मां और इसके पिता का भी बड़ा बोलबाला देखने को मिलता था.

उस्ताद को नूर से हुआ था प्यार :उस्ताद अपना दिल नूर को दे बैठा था, जिसके बाद नूर ने अपनी पहली संतान को जन्म दिया. उसका नाम सुल्तान रखा गया. वहीं, दूसरी बार में दो और संतान कालू और धोलू को भी जन्म दिया. रणथंभौर में उस्ताद अपनी संगिनी टी-39 नूर के साथ में अक्सर लोगों को नजर आया करता था. रणथंभौर गाइड एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहम्मद रफीक ने बताया कि देश दुनिया से बड़ी संख्या में पर्यटक इस बाघ को देखने के लिए आते थे. इसके जाने के बाद जंगल में एक खालीपन सा नजर आया है.

Last Updated : Oct 24, 2022, 8:51 PM IST

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