उदयपुर.एक टाइगर, जिसकी दहाड़ से एक वक्त रणथंभौर का पूरा जंगल थर्रा (Tiger Ustad of Ranthambore) उठता था. उस्ताद T24 जो रणथंभौर जंगल का राजा कहा जाता था, वो बीते 6 सालों से गुमनामी की जिंदगी जीने को मजबूर है. टाइगर T24 पर नरभक्षी होने के आरोप लगे थे. इसके बाद से उसे रणथंभौर के जंगल से निकाल कर सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क लाया गया. जहां वह एक छोटे से डिस्प्ले एरिया में रहने को मजबूर है.
रणथंभौर में 2006 में गूंजी थी खुशियां :साल 2006 में रणथंभौर टाइगर रिजर्व जंगल में खुशियां छाई थी, जब टाइगर झुमरू के घर तीन शावक का जन्म हुआ था. इनमें दूसरे नंबर का T24 उस्ताद का भी जन्म हुआ था. जन्म से ही अन्य टाइगर की तुलना में उस्ताद की आंखों में तेज और चेहरे पर विशेष आकर्षण था. उस्ताद की मां का नाम गायत्री था.
'उस्ताद' का एक बड़ा भाई और एक छोटा भाई भी था. बड़े भाई का नाम T23 भोला जबकि सबसे छोटे भाई T34 कुंभा था. जब मां-पिता और तीन भाइयों के साथ उस्ताद जंगल में निकलता तो उसे देखने के लिए हर कोई लालायित नजर आता था. बचपन से ही अपने तीनों भाइयों में उस्ताद थोड़ा शरारती था. वह जंगल पर बचपन से ही अपना रुतबा कायम करना चाहता था. यही वजह है, कि उसकी आंखों की तेज चमक पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती थी. अपनी एक विशेष छवि और चेहरे की अलग आकर्षण के कारण उसे लोग प्यार से उस्ताद कहते थे.
बचपन से ही जिंदगी संघर्ष भरी रही :अपने मां-बाप का सबसे प्रिय उस्ताद तीनों भाइयों में सबसे नटखट और शरारती था, लेकिन बचपन से ही टाइगर T24 उस्ताद को कई परेशानियों और बीमारियों का भी सामना करना पड़ा. कई बार उसका स्वास्थ्य खराब होने के कारण उसको ट्रेंकुलाइज करना पड़ा. हाल ही में उसके एक पैर की हड्डी बढ़ने के कारण उसका इलाज किया गया. अभी भी पिछले पैर की हड्डी बढ़ने के कारण उसे चलने-फिरने में परेशानी का सामना करना करना पड़ता है.
डॉ. हंस कुमार जैन ने बताया कि 2015-16 में उस्ताद का अचानक पेट फूल गया था. इसकी वजह से ट्रेंकुलाइज करने के बाद टाइगर का ऑपरेशन किया गया. हालांकि, इसके बाद यह पूर्णतया स्वस्थ हो गया. इसके बाद टाइगर का भारी भोजन बंद कर दिया गया. सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में भी उस्ताद की तबीयत कई बार बिगड़ी. विशेष देखरेख में उसका इलाज किया गया. अब उसे हर रोज दवाई दी जा रही है.
'उस्ताद' को मिली ऐसी सजा की छिन गया जंगल :रणथंभौर अभ्यारण में 4 लोगों का शिकार करने के बाद टाइगर उस्ताद एक (Tiger Ustad of Ranthambore Attacks People) सनसनी बन गया था. इस नरभक्षी बाघ को 2015 में रणथंभौर नेशनल पार्क से उदयपुर के सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में शिफ्ट कर दिया गया. किसी वक्त रणथंभौर में उस्ताद की दहाड़ से पूरा जंगल थर्रा उठता था. उदयपुर शिफ्ट किए जाने के बाद यह टाइगर कई बीमारियों से जूझा, उसने कमबैक भी किया लेकिन खुले जंगल के बाघ की जिंदगी अब एंक्लोजर में सिमट गई है. उसे सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क नॉन डिस्प्ले एरिया में रखा गया है. पिछले 6 साल से यह जंगली बाघ यहां सजा भुगत रहा है. रणथंभौर की खुली आबोहवा में इंसानों पर हमला करने के बाद उस्ताद पर आदमखोर होने का ठप्पा लग गया. इस कलंक के कारण उसे सवाई माधोपुर के रणथंभौर अभ्यारण से उदयपुर के एक छोटे से एंक्लोजर में कैद कर दिया गया.