उदयपुर. किसी शायर ने कहा है,तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है. मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी हैं. झूठे आंकड़ों की कहानी बयां करता है उदयपुर के ग्रामीण अंचल में बसा राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय. सरकारी स्कूल के बच्चे आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. एक और गहलोत सरकार महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल खोलने को लेकर बजट में लगातार घोषणाएं कर रही हैं तो वहीं दक्षिणी राजस्थान में बसे हाईला कुडी गांव के सरकारी स्कूल की बदहाल तस्वीर सरकारी दावों को धत्ता बताती है.
एक कमरे में 1 से 5वीं तक के बच्चे साथ साथ...
आदिवासी इलाके में बसे गिर्वा पंचायत समिति स्थित सरू ग्राम पंचायत के हाईला कुडी राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में स्कूल के नाम पर एक ही कमरा है. 35 साल हो चुके हैं लेकिन साढ़े तीन दशक बाद भी जहां से शुरू किया था वहीं पर ठिठके खड़े हैं. यानी तस्वीर जस की तस. पहली से पांचवीं क्लास के बच्चे एक ही कमरे में बैठने को मजबूर है. वो भी तब जब वर्तमान सरकार बड़े-बड़े दावे करती है. महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल खोलने को उपलब्धियों के तौर पर पेश कर रही है. इन सबके बीच गांव के बदहाल स्कूल की तस्वीर सरकार के प्रचार तंत्र पर प्रहार करती है, कई सवाल खड़े करती है.
1992 से अब तक...
ग्रामीणों ने बताया कि 1992 में राज्य सरकार से स्कूल के लिए मांग उठाई गई. उद्देश्य सिर्फ एक ही था कि सुदूर आदिवासी इलाकों में बच्चों को पढ़ने के लिए बड़ी लड़ाई न लड़नी पड़े. दूर न जाना पड़े. इसे देखते हुए राज्य सरकार ने इलाके में प्राथमिक विद्यालय की स्वीकृति दे दी. उस समय बच्चों की संख्या भी बहुत कम थी. इसके बाद धीरे-धीरे संख्या में वृद्धि होती गई. फिर वित्तिय वर्ष 1993-94 में यहां एक कमरा और छह बाय पांच फीट का छोटा सा ऑफिस बनवाया गया. इतना ही नहीं बच्चों की बढ़ती संख्या को देखते हुए राज्य सरकार ने सितंबर 2021 में इसे क्रमोन्नत कर प्राथमिक से उच्च प्राथमिक कर दिया.