उदयपुर.प्रदेश के विधानसभा चुनाव में इस बार मेवाड़ ने दिल खोलकर भाजपा को समर्थन दिया. ऐसे में आगामी सरकार में मेवाड़ से कितने मंत्री बनेंगे, इसको लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं. मेवाड़-वागड़ की 28 सीटों में से भाजपा ने 17 और कांग्रेस ने 7 सीटें जीती हैं. इसके अलावा बीएपी 3 और 1 सीट निर्दलीय प्रत्याशी जीतने में सफल रहा. हालांकि, इस बार कई बड़े-बड़े दिग्गज भी मेवाड़ में धराशायी हो गए. अब आगामी मंत्रिमंडल को लेकर इन जिलों के नेताओं का नाम प्रमुखता से सुर्खियां बटोर रहा है.
मेवाड़-वागड़ के नेता बन सकते हैं मंत्री :राजस्थान में 'सत्ता का द्वार' मेवाड़ कहलाता है. आजादी के बाद से अब तक जिस पार्टी ने मेवाड़ में सर्वाधिक सीट हासिल की, उसने प्रदेश पर राज किया, लेकिन 2018 में यह मिथक टूट गया. कांग्रेस के मुकाबले भाजपा ज्यादा सीटें लेकर आई फिर भी पार्टी की सरकार न बन पाई. इस बार के सियासी रण में भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही मेवाड़ को साधने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. मेवाड़ के पांच जिलों में भाजपा ने कांग्रेस के बड़े-बड़े दिग्गजों को धराशायी किया.
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इन्हें मिली जीत-हार :इसमें राजसमंद जिले में चार विधानसभा सीटों पर भाजपा ने कांग्रेस को परास्त किया. वहीं, नाथद्वारा विधानसभा सीट से विधानसभा अध्यक्ष और कांग्रेस के कद्दावर नेता सीपी जोशी को हार का सामना करना पड़ा. सीपी जोशी को विश्वराज सिंह मेवाड़ ने हराया. राजसमंद विधानसभा सीट पर दिप्ती माहेश्वरी ने जीत दर्ज करते हुए न सिर्फ अपने प्रतिद्वंदियों को बल्कि अपनी ही पार्टी के बगावत करने वालों पर एक करारा तमाचा मारा है. भाजपा के लिए चित्तौड़गढ़ विधानसभा सीट से चंद्रभान सिंह आक्या का टिकट काटना भारी पड़ा. चंद्रभान सिंह आक्या को चित्तौड़ की जनता ने दिल खोलकर समर्थन दिया, जिसकी वजह से बीजेपी के नरपत सिंह राजवी को करारी हार का सामना करना पड़ा. निंबाहेड़ा विधानसभा सीट से गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री उदयलाल आंजना को भी हार का सामना करना पड़ा.
उदयपुर से मंत्री बन सकते हैं बाबूलाल खराड़ी :झाड़ोल से भाजपा के बाबूलाल खराड़ी पूर्व में तीन बार विधायक रह चुके हैं और इस चुनाव में चौथी बार जीत हासिल की है. खराड़ी लगातार दूसरी बार झाड़ोल विधानसभा पर जीत हासिल की है. 2018 में जब कांग्रेस की सरकार बनी तब भी झाड़ोल से भाजपा विधायक ने जीत हासिल कर क्षेत्र में और पार्टी में अपना वर्चस्व कायम किया. बाबूलाल खराड़ी चार बार विधायक रहने के बावजूद सादगी के साथ अपना जीवन बिता रहे हैं. पिछली बार कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद सर्वश्रेष्ठ विधायक का अवार्ड भी जीत चुके हैं. जनजाति बाहुल्य क्षेत्र से होने और चार बार विधायक रहने का अनुभव और साफ छवि होने के कारण वर्तमान भाजपा सरकार में जनजाति मंत्री बनने की कतार में पहले नंबर पर हैं.
चित्तौड़ से श्रीचंद कृपलानी फिर बन सकते मंत्री :श्रीचंद कृपलानी का जन्म 1958 को निंबाहेड़ा में हुआ था. उनकी स्कूली शिक्षा के बाद कॉलेज शिक्षा चित्तौड़गढ़ से हुई. उनका राजनीति में प्रवेश 1994 से 98 तक जिला परिषद सदस्य के रूप में हुआ और 1989 के चुनाव में निंबाहेड़ा विधानसभा से चुनकर विधानसभा पहुंचे. इसके बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और 1998 मे फिर विधायक चुने गए. इसके बाद उनके जीवन में एक और राजनीतिक उछाल आया और 1999 में 13वीं लोकसभा के लिए चुने गए. पार्टी ने एक बार फिर उनपर विश्वास जताया और 2004 में उन्हें चित्तौड़गढ़ लोकसभा से चुनावी मैदान में उतारा. तब वे चुनाव जीतकर संसद पहुंचे. 2013 में निंबाहेड़ा से चुनाव जीतकर 2016 से 18 तक वसुंधरा सरकार में नगरीय विकास और आवास मंत्रालय संभाला, लेकिन 2018 में चुनाव हार गए. 2023 में उन्होंने सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना को पराजित किया है.