उदयपुर. प्रदेश की विधानसभा चुनाव में इस बार सबकी निगाहें मेवाड़-वागड़ पर टिकी हुईं हैं, क्योंकि 6 जिलों के 28 विधानसभा सीटों वाले उदयपुर संभाग में इस बार दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है. जहां एक और भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने है तो वहीं दूसरी ओर दोनों ही पार्टियों के कई विधानसभा सीटों पर अपनों ने ही बगावत कर ताल ठोकी है. इतना ही नहीं वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में 2 सीटें जीतकर चौंकाने वाली बीटीपी के इस बार दो भाग हो गए हैं. अब बीटीपी और बाप कांग्रेस भाजपा के लिए गले की फांस बनी है.
मेवाड़ पर भाजपा और कांग्रेस की नजर : राजस्थान में 'सत्ता का द्वार' मेवाड़ कहलाता है. आजादी के बाद से अब तक जिस पार्टी ने मेवाड़ में सर्वाधिक सीट हासिल की, उसने प्रदेश पर राज किया, लेकिन 2018 में यह मिथक टूटा हुआ नजर आया. जब कांग्रेस के मुकाबले भाजपा ज्यादा सीटें लेकर आई फिर भी उसकी सरकार न बन पाई. इस बार के सियासी रण में भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही मेवाड़ को साधने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. संभाग के कई विधानसभा सीटों पर तो कांग्रेस और भाजपा के बीच दिलचस्प मुकाबला नजर आ रहा है. वहीं, कई सीटों पर दोनों ही पार्टियों के बागियों ने खेल बिगाड़ रखा है. उदयपुर जिले की इन विधानसभा सीटों पर रोचक मुकाबला देखा जा रहा है- वल्लभनगर, उदयपुर शहर, मावली, सलूंबर.
उदयपुर शहर विधानसभा क्षेत्र : पिछले कई दशकों से भाजपा के किले में तब्दील हुई उदयपुर शहर विधानसभा सीट पर इस बार मुकाबला दिलचस्प है. उदयपुर से विधायक रहे गुलाबचंद कटारिया के असम के राज्यपाल बनने के बाद भाजपा ने यहां से ताराचंद जैन को मैदान में उतारा है. वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस ने अपने राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ पर दांव खेला है. हालांकि, इस बार के रण में दोनों ही पार्टियों के नेताओं के बीच अंदर खाने गुटबाजी नजर आ रही है. एक तरफ जहां गौरव वल्लभ का भविष्य दांव पर है तो वहीं दूसरी ओर भाजपा को अपना किला बचाने की चुनौती है.
वल्लभनगर विधानसभा सीट : यहां इस बार त्रिकोणीय मुकाबले ने सियासी सरगर्मियां बढ़ा दी है. कांग्रेस-भाजपा के लिए ये सीट इस बार चुनौती बनकर उभरी है. जनता सेना पार्टी ने वल्लभनगर रण में गरमाहट पैदा की है. एक ओर कांग्रेस ने प्रीति शक्तावत पर दांव लगाया है तो वहीं भाजपा ने आरएलपी छोड़ भाजपा में शामिल हुए उदयलाल डांगी को मैदान में उतारा है. वहीं, जनता सेना ने दीपेंद्र कुवर को मैदान में उतारा है. ऐसे में भाजपा-कांग्रेस के लिए मुश्किलें पैदा हो सकती हैं.
मावली विधानसभा सीट : उदयपुर की मावली विधानसभा सीट पर भी भाजपा और कांग्रेस के लिए सियासी समीकरण बैठाना आसान नजर नहीं आ रहा, क्योंकि यहां इस बार त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है. जहां एक ओर कांग्रेस ने पुष्कर डांगी को टिकट देकर मैदान में उतारा है तो वहीं दूसरी ओर भाजपा ने अपने विधायक धर्म नारायण जोशी का टिकट काटते हुए केजी पालीवाल पर दांव लगाया है. वहीं, भाजपा के कुलदीप सिंह ने टिकट नहीं मिलने पर बगावत करते हुए आरएलपी का दामन थामा और दोनों प्रत्याशी के सामने ताल ठोकी है. ऐसे में इस बार मावली में भी मुकाबला बड़ा रोचक नजर आ रहा है.
सलूंबर विधानसभा सीट : यहां कांग्रेस के कद्दावर नेता रघुवीर मीणा मैदान में हैं. दूसरी और भाजपा ने अमृतलाल पर दांव लगाया है. इस बार के रण में रघुवीर मीणा की साख दांव पर लगी हुई है क्योंकि इससे पहले उनकी पत्नी और वो चुनाव हार चुके हैं. ऐसे में यह चुनाव उनके राजनीतिक भविष्य भी तय करेगा. हालांकि, इससे पहले भी रघुवीर मीणा सांसद और विधायक रह चुके हैं. उनके प्रतिद्वंदी अमृतलाल मीणा भी दो बार से विधायक रह चुके हैं. इस विधानसभा सीट पर कई जातियों का महत्वपूर्ण रोल देखने को मिलता है.
राजसमंद जिले के सियासी समीकरण :
नाथद्वारा विधानसभा सीट :यहां इस बार दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है. जहां कांग्रेस ने अपने कद्दावर नेता और विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को फिर से मैदान में उतारा है, वहीं भाजपा ने महाराणा प्रताप के वंशज विश्वराज सिंह मेवाड़ पर दांव लगाया है. दोनों के बीच इस बार दिलचस्प मुकाबला नजर आ रहा है. 2008 के विधानसभा चुनाव में इसी विधानसभा सीट से डॉ. सीपी जोशी एक वोट से चुनाव हार गए थे, जिसके बाद यह सीट सुर्खियों में आई थी. इस बार फिर से इस सीट को लेकर सियासी चर्चाएं देखने को मिल रही हैं.
राजसमंद विधानसभा सीट : यहां से भाजपा ने दिप्ती माहेश्वरी को उतारा है तो कांग्रेस ने नारायण सिंह भाटी को मैदान में उतारा है. भाजपा से टिकट न मिलने से नाराज दिनेश वडाला बगावत करते हुए मैदान में उतरे हैं. हालांकि, इस बार भाजपा को अपने वोटों में सेंध का डर भी सता रहा है. भाजपा को यहां अपनों की ही बगावत से जूझना पड़ रहा है.
डूंगरपुर की इन सीटों पर रोचक मुकाबला :
सागवाड़ा विधानससभा सीट : इस सीट से कुल 11 प्रत्याशी मैदान में हैं, लेकिन यहां त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा. भाजपा ने पूर्व प्रधान शंकर डेचा को, कांग्रेस ने कैलाश कुमार रोत और बीएपी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहनलाल रोत को मैदान में उतारा है, जिनके बीच में कड़ा मुकाबला दिख रहा है.