उदयपुर.प्रदेश के विधानसभा चुनाव में हर बार मेवाड़ में दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलता है. इस बार भी भाजपा-कांग्रेस के बीच कई सीटों पर कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है. हालांकि, राजस्थान में सत्ता का द्वार कहे जाने वाले मेवाड़ की 6 जिलों की 28 विधानसभा सीटें राजस्थान के सियासी रण में काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है. यहां जिस दल की सीटें ज्यादा आती हैं, वो पार्टी ही प्रदेश में सरकार बनाती है, लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में मेवाड़ ने इस मिथक को तोड़ते हुए नए सियासी समीकरण पैदा किए हैं. मेवाड़ की 28 सीटों में से 17 सीटें रिजर्व हैं, जिसमें 16 सीटें अकेले अनुसूचित जनजाति के लिए हैं.
भाजपा की मजबूत जड़ों को नहीं हिला पाई कांग्रेस : वर्ष 2018 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने जीत दर्ज कर भाजपा को सूबे की सत्ता से बेदखल कर दिया था, लेकिन उदयपुर संभाग सहित जिले में कांग्रेस भाजपा की मजबूत जड़ों को नहीं हिला पाई. गुलाबचंद कटारिया के नेतृत्व में हुए इस चुनाव में भाजपा ने संभाग की 28 में से 15 सीटों पर कब्जा किया तो वहीं उदयपुर जिले की 8 में से 6 सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की.