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विश्व आदिवासी दिवस पर कांग्रेस का चुनावी बिगुल, राहुल गांधी की 3 राज्यों की एसटी सीटों पर नजर, क्या मानगढ़ धाम को कांग्रेस बनाएगी मुद्दा

आगामी विधानसभा का चुनावी शंखनाद अब कांग्रेस पार्टी वागड़-मेवाड़ की धरती से करने जा रही है. आदिवासियों की आस्था का केंद्र कहे जाने वाले मानगढ़ धाम में विश्व आदिवासी दिवस पर राहुल गांधी चुनावी शंखनाद करेंगे.

विश्व आदिवासी दिवस पर कांग्रेस का चुनावी बिगुल
विश्व आदिवासी दिवस पर कांग्रेस का चुनावी बिगुल

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Published : Aug 4, 2023, 1:08 PM IST

Updated : Aug 4, 2023, 1:53 PM IST

राहुल गांधी की मानगढ़ यात्रा पर विश्लेषकों की राय

उदयपुर.प्रदेश की आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर अब कांग्रेस पार्टी भी चुनावी शंखनाद वागड़-मेवाड़ की धरती से करने जा रही है. आदिवासियों की आस्था का केंद्र कहे जाने वाले मानगढ़ धाम में विश्व आदिवासी दिवस पर राहुल गांधी चुनावी शंखनाद करेंगे. राहुल गांधी के इस दौरे को लेकर कांग्रेस पार्टी के नेता तैयारियों में जुटे हुए हैं. इस कार्यक्रम को भव्य और दिव्य बनाने के लिए स्वयं कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कमान संभाल रखी है. इस ऐतिहासिक मानगढ़ धाम में कांग्रेस पार्टी अपना पहला चुनावी बड़ा कार्यक्रम करने जा रही है. जहां से कई चुनावी सियासी संदेश भी कांग्रेस के नेता देते हुए नजर आएंगे. अब राजनीतिक विश्लेषक भी राहुल गांधी के इस दौरे के कई मायने निकाल रहे हैं.

मानगढ़ धाम से कांग्रेस का चुनावी शंखनाद :9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर आदिवासियों की आस्था का केंद्र कहे जाने वाले मानगढ़ धाम से कांग्रेस राजस्थान के चुनावी समर में अपना बिगुल बजाने जा रही है. ऐसे में कांग्रेस पार्टी ने आदिवासियों को एक ऐसे आस्था के केंद्र का चयन किया है. जहां हजारों लोगों ने अपनी शहादत दे दी थी. राहुल गांधी के मानगढ़ दौरे को लेकर हमने राजनीतिक विश्लेषक कुंजन आचार्य और श्याम सुंदर शर्मा से बातचीत की कि राहुल गांधी के दौरे के क्या मायने हैं. डॉ कुंजन आचार्य ने बताया कि मानगढ़ धाम का अपना इतिहास गौरवशाली है, क्योंकि आदिवासियों का एक पवित्र स्थल है. अंग्रेजों से लड़ाई के दौरान करीब 1500 से ज्यादा आदिवासी यहां पर शहीद हो गए थे.

राष्ट्रीय स्मारक बनाने का मुद्दा :इस ऐतिहासिक मानगढ़ धाम के स्थल पर न सिर्फ राजस्थान बल्कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से भी बड़ी संख्या में आदिवासी लोग आते हैं. यह अपने आप में एक आस्था का केंद्र है. ऐसे में राहुल गांधी 3 राज्यों को साधने के साथ आदिवासी सीटों पर भी उनकी विशेष नजर रहेगी. ऐसे में राहुल गांधी और अशोक गहलोत के कदम सोच समझकर उठाए जा रहे हैं. बार-बार मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने के मुद्दे पर एक बार फिर केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोल सकते हैं. बता दें कि पिछले दिनों प्रधानमंत्री मोदी मानगढ़ धाम आए थे तो सीेएम अशोक गहलोत ने राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की बात कही थी, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की बजाय तीनों राज्यों पर एक कमेटी बनाने की बात कही थी. जिसे लेकर मुख्यमंत्री गहलोत लगातार उन पर जुबानी हमला बोलते आ रहे हैं. लेकिन अब इसी मुद्दे को लेकर कांग्रेस पार्टी राष्ट्रीय मानगढ़ धाम के विकास को लेकर कोई बड़ी घोषणा कर सकती है. ऐसा राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है. जिससे कांग्रेस अपने परंपरागत एसटी वोट बैंक पर फिर से पकड़ बना सके. आगामी दिनों में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने हैं. अगर बात करें पिछले विधानसभा चुनाव की तो कांग्रेस के लिए एसटी विधानसभा सीटों पर कमजोर नजर आई थी.

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राहुल गांधी को मानगढ़ धाम ला करके कांग्रेस अपना पक्ष मजबूत करना चाहती :राजनीतिक विश्लेषक श्याम सुंदर शर्मा ने बताया कि आदिवासियों की आस्था का केंद्र मानगढ़ धाम में राहुल गांधी विश्व आदिवासी दिवस पर आ रहे हैं. राजस्थान के चुनाव में मानगढ़ धाम का मुद्दा भी बड़ा हो सकता है. क्योंकि राजस्थान छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में भी बड़ी संख्या में आदिवासी रहते हैं. ऐसे में मानगढ़ धाम को लेकर कोई बड़ी घोषणा होने की भी संभावना जताई जा रही है. जैसे कांग्रेस पार्टी के साफ करेगी कि अगर उनके सरकार बनेगी तो मानगढ़ धाम के लिए यह काम करेगी. वहीं उदयपुर संभाग में सबसे ज्यादा राजस्थान की एसटी सीटें है.जिन पर कांग्रेस पार्टी अपनी विशेष पकड़ बनाना चाहती है, क्योंकि पिछले चुनाव में कांग्रेस यहां अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई थी.

दरअसल राजस्थान में पिछले दिनों पीएम मोदी, केंद्रीय मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा की सभाओं के बाद कांग्रेस भी राजस्थान में राहुल गांधी की धमाकेदार सभा के जरिए चुनावी शंखनाद करना चाहती है. विश्व आदिवासी दिवस पर राहुल गांधी की सभा से कांग्रेस राजस्थान की 30 से ज्यादा जनजाति वर्ग की सीटों पर प्रभाव चाहती है. इसी कारण गोविंद गुरु की बलिदान भूमि से कांग्रेस आदिवासी वोट बैंक पर सेंधमारी करते हुए मेवाड़-वागड़ समेत जनजाति वर्ग पर अपनी पकड़ को मजबूत करने में जुटी है. कहा जा रहा है सीएम गहलोत भी हाड़ौती, शेखावटी और मेवात के मुकाबले अब आदिवासी वोटबैंक पर ज्यादा फोकस करते हुए यहां से अधिक संख्याबल के सहारे सरकार को रिपीट होने का दांव खेलना चाहते है.

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यह है मानगढ़ धाम का इतिहास :मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की मांग को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ट्वीट करने से पहले पत्र भी लिख चुके हैं. मुख्यमंत्री गहलोत ने अपने स्मरण पत्र में प्रधानमंत्री को दो बार पत्र लिखकर राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की मांग की है. इस पत्र में गहलोत ने लिखा था कि साल 1913 में मानगढ़ में गोविन्द गुरू के नेतृत्व में जमा हुए वनवासियों पर ब्रिटिश सेना ने अंधाधुंध फायरिंग की थी. इस फायरिंग में 1500 से अधिक वनवासियों ने बलिदान दिया था. गोविन्द गुरु के योगदान और आदिवासियों के बलिदान को दुनिया तक पहुंचाने के लिये यहां जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय बनाया है. लिहाजा सीएम गहलोत ने जनजातीय आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के इस महत्वपूर्ण स्थल को प्राचीन स्मारक, पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के तहत इसे ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय स्मारक की घोषणा की मांग की है.

राजस्थान के जलियांवाला बाग का इतिहास :इस जगह को राजस्थान का जलियांवाला बाग के नाम से भी जाना जाता है. जहां जलियांवाला बाग में एक हजार लोगों के जनरल डायर की गोली के नाम से मारे जाने की बात सामने आती है. वहीं मानगढ़ में 1500 जनजातीय लोगों पर ब्रिटनी हुकूमत ने पूरी तैयारी के साथ फायरिंग की थी. इस नरसंहार को स्वीकार करने में सरकारों ने भी बहुत समय लगा दिया. यहां स्मारक से लेकर पैनोरमा और संग्राहलय बीते दो दशक में ही बने हैं. इसके पहले यहां 8 दशक तक कुछ खास काम नहीं हुआ. राजस्थान सरकार ने नरसंहार में मारे गए सैकड़ों लोगों की याद में 27 मई, 1999 को शहीद स्मारक बनवाया था.

मानगढ़ का इतिहास :इतिहास के जानकार बताते हैं कि डूंगरपुर के बांसिया (वेड़सा) गांव के बंजारा परिवार में जन्मे गोविंद गुरु ने 1880 में लोगों को जागरूक करने के लिए आंदोलन चलाया था. उन्होंने जनजातीय समुदाय में व्याप्त बुराइयों और दुराचार के खात्मे के लिए 1903 में संप सभा की स्थापना की थी. इस दौरान मानगढ़ की पहाड़ी पर लगातार यज्ञ अनुष्ठान का आयोजन किया जाने लगा. जिसमें वागड़ से बड़ी संख्या में आदिवासी लोग शामिल होने लगे.

Last Updated : Aug 4, 2023, 1:53 PM IST

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