उदयपुर.राजस्थान की राजनीति में मेवाड़-बागड़ की अपनी विशेष भूमिका रही है, क्योंकि राजस्थान की राजनीति में मेवाड़ को सता का रास्ता भी कहा जाता है. हालांकि इस बार की विधानसभा चुनाव में मेवाड़ में भाजपा के लिए समीकरण बदले हैं. भाजपा के कद्दावर नेता रहे गुलाबचंद कटारिया को असम का राज्यपाल बना दिया गया है. कटारिया की गैर मौजूदगी में पहली बार विधानसभा चुनाव भाजपा मेवाड़ में लड़ रही है. इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर राजस्थान आ रहे हैं. पीएम 9 नवंबर को मेवाड़ की जनता को संबोधित करेंगे. राजस्थान में आचार संहिता लगने के बाद पीएम का ये पहला दौरा होगा.
राजस्थान में मेवाड़ को लेकर एक कहावत है 'जिसने मेवाड़ को जीत लिया, उसने राजस्थान जीत लिया'. यही वजह है कि चाहे भाजपा हो या फिर कांग्रेस दोनों ही पार्टियों का इस क्षेत्र पर विशेष फोकस रहता है. उदयपुर संभाग में आने वाली 28 विधानसभा सीट राजस्थान में सत्ता किसकी बनेगी यह तय करती हैं.
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पीएम मोदी का मेवाड़ दौरा कई मायने में खास: मेवाड़-वागड़ की 28 विधानसभा सीटें है. इनमें उदयपुर की 8, डूंगरपुर की 4, प्रतापगढ़ की 2, बांसवाड़ा की 5, राजसमंद की 4 और चित्तौड़गढ़ की 5 विधानसभा सीटें हैं. इसमें गौर करने वाली बात यह है, कि राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों में से 25 यानी 12.5% विधानसभा सीटें आदिवासी वर्ग (एसटी) के लिए आरक्षित हैं. इनमें भी सर्वाधिक 16 सीटें उदयपुर-बांसवाड़ा संभाग में आती हैं, जो राजस्थान के सियासत में काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है. पिछले चुनाव को छोड़ दिया जाए तो माना जाता है कि मेवाड़ की 28 में से जिस पार्टी के पास ज्यादा सीटें आती हैं राजस्थान की सत्ता उसके हाथ मे होती है. ऐसे में भाजपा इस बार मेवाड़ संभाग पर विशेष ध्यान दे रही है. 2018 के चुनाव में 28 में से 15 सीटों पर भाजपा का कब्ज़ा है, जबकि 10 सीटों पर कांग्रेस और 3 अन्य के पास रहे.
उदयपुर संभाग पहुंचेंगे कार्यकर्ता: प्रधानमंत्री मोदी 9 नवंबर को शाम 5 बजे उदयपुर पहुंचेंगे. इस जनसभा के लिए भाजपा नेताओं को विशेष दिशा-निर्देश भी दिए गए हैं. बताया जा रहा है, कि इस चुनावी सभा में मेवाड़ के वरिष्ठ नेताओं के साथ राजस्थान के दिग्गज नेता भी शामिल होंगे. इससे पहले पीएम चित्तौड़गढ़ में सांवरिया सेठ की नगरी में चुनावी सभा कर चुके हैं. इतना ही नहीं आदिवासियों का आस्था का केंद्र कहे जाने वाले मानगढ़ धाम में भी प्रधानमंत्री मोदी आ चुके हैं.
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क्या भाजपा की बगावत को रोक पाएंगे मोदी: इस बार के विधानसभा चुनाव में मेवाड़ की कई सीटों पर भाजपा के लिए अपने ही नेता सिरदर्द बने हुए हैं. कई बीजेपी नेता चुनाव में बागी होकर ताल ठोक रहे हैं. ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी क्या इन बागी नेताओं को मनाने में सफल हो पाते हैं, इस पर सभी की नजर टिकी हुई रहेगी. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी के संसदीय क्षेत्र चित्तौड़गढ़ में ही दो बार के विधायक रहे चंद्रभान सिंह आक्या निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. इतना ही नहीं कई अन्य सीटों पर भी भाजपा के वरिष्ठ नेता बगावत का झंडा बुलंद किए हुए हैं. उदयपुर-बांसवाड़ा संभाग में भाजपा और कांग्रेस को दो नई पार्टियां चुनौती दे रही हैं. दरअसल 2018 के चुनाव में 2 सीटें जीतकर चौंकाने वाली भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) में इस बार 2 फाड़ हो गए हैं. बीटीपी के दोनों विधायकों ने मिलकर भारत आदिवासी पार्टी बना ली है. इन दोनों ही पार्टियों ने कई विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. ऐसे में भाजपा के वोटो में सेंध को लेकर खतरा मंडरा रहा है. दोनों प्रमुख सियासी दलों के लिए अब चुनौती डबल हो गई है,क्योंकि बीटीपी के साथ ही अब यहां भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) ने भी कदम रख दिया है. डूंगरपुर, बांसवाड़ा, उदयपुर के आदिवासी बाहुल्य इलाकों में दोनों पार्टी पैर पसारने में लगी हैं.
कन्हैया हत्याकांड को क्या प्रधानमंत्री बनाएंगे मुद्दा: राजस्थान के रण में बीजेपी चुनाव प्रचार के दौरान बहुचर्चित कन्हैया हत्याकांड को अपना चुनावी मुद्दा बना रही है. गृहमंत्री अमित शाह भी कन्हैया हत्याकांड को लेकर गहलोत सरकार पर सवाल उठा रहे हैं. अब देखना होगा कि प्रधानमंत्री मोदी उदयपुर में क्या कन्हैया हत्याकांड का फिर से जिक्र कर गहलोत को कटघरे में खड़ा करने का काम करेंगे.
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मेवाड़ का सियासी जनादेश: 2008 में परिसीमन के बाद उदयपुर संभाग की विधानसभा सीटें घटकर 28 हो गईं. इससे पहले ये 30 थी. बात करें 1998 से लेकर 2018 के बीच हुए चुनावों की तो साल 1998 में कुल सीटें 30 थी, तब कांग्रेस को 23, भाजपा को 4 और अन्य के खाते में 3 गईं थी. साल 2003 में भी विधानसभा सीट 30 ही थी. उसमें से कांग्रेस को 7, भाजपा को 21 और अन्य के खाते में दो सीटें गई थी. परिसीमन के बाद 2008 में सीटें सिमट कर 28 हो गई, जिसमें कांग्रेस को 20, भाजपा को 6 और अन्य को 2 सीटों पर जीत मिली थी. वर्ष 2013 में 28 सीट में से कांग्रेस को सिर्फ 2 भाजपा को 25 और अन्य के खाते में 1 सीट गई थी. वहीं, पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 10, भाजपा को 15 और अन्य की झोली में 3 सीटें गईं थी.