उदयपुर.झीलों की नगरी उदयपुर में कथावाचक जया किशोरी मंगलवार से तीन-दिवसीय नानी बाई का मायरा में कथा वाचन करेंगी. उदयपुर के फतहनगर में 14 से 16 फरवरी को इस कथा का आयोजन होगा. कथा को लेकर आयोजकों की ओर से सभी तैयारियां पूरी की जा रही हैं. कथावाचक और मोटिवेशनल स्पीकर जया किशोरी ने इसे लेकर अपने ट्विटर अकाउंट पर भी जानकारी साझा की है. इससे पहले जया किशोरी अजमेर के विजयनगर में नानी बाई का मायरा की कथा कर रही थीं.
तीन दिवसीय कथा का आयोजन :उदयपुर स्थित फतहनगर के श्री द्वारिकाधीश मंदिर भूमि पर तीन दिवसीय कथा का आयोजन होगा. 14 फरवरी से लेकर 16 फरवरी तक दोपहर 1 बजे से शाम 5 बजे तक कथा होगी. जानकारी के अनुसार 14 फरवरी को जया किशोरी नानी बाई का मायरा की पूजा अर्चना कर कथा की शुरुआत करेंगी. इसके बाद 15 फरवरी को मायरा के साथ शाम को श्याम बाबा का भजन कीर्तन होगा. 16 तारीख की सुबह सांवरिया सेठ मायरा लेकर नानी बाई के यहां जाएंगे. इस दौरान भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी. मायरा के बाद विशाल भंडारा भी होगा.
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श्रद्धालुओं के लिए की गई व्यवस्था :नगर पालिका क्षेत्र फतहनगर-सनवाड़ में तीन दिन नानी बाई की मायरा की धूम रहेगी. नानी बाई के मायरा के लिए माकूल व्यवस्था की गई है. बैठने की 20,000 से ज्यादा लोगों की व्यवस्था है. सभी जगह पानी के काउंटर लगाए गए हैं. कथा में बाहर से भी बड़ी संख्या में लोगों के आने की उम्मीद जताई जा रही है. नगर वासियों की ओर से कथा को लेकर विशेष तैयारियां और सजावट की गई हैं.
नानी बाई मायरा की कथा :नानी बाई की कथा भक्त और भगवान की अटूट संबंधों को बताती है. अगर भगवान को सच्चे मन से आराधना की जाए तो वह अपने भक्तों की विपदा दूर करने जरूर आते हैं. इस कथा की शुरुआत नरसी मेहता से होती है. उनका का जन्म गुजरात के जूनागढ़ में हुआ था. वो बचपन से ही गूंगे और बहरे थे. बाद में एक संत के आशीर्वाद से नरसी की आवाज आ गई और उनका बहरापन भी ठीक हो गया. उनके एक भाई और भाभी भी थीं. वह अपने दादा के पास रहा करते थे. इस दौरान नरसी मेहता के माता-पिता महामारी के शिकार हो गए.
नरसी मेहता की हुई दो बार शादी :नरसी मेहता की शादी करवा दी गई, लेकिन कुछ समय बाद ही पत्नी का निधन हो गया. इसके कुछ समय बाद उनकी दूसरी शादी करवाई गई. पुत्री के जन्म होने के बाद उनके जीवन में खुशियां आईं. प्यार से नरसी मेहता ने उसका नाम नानी बाई रखा था. भाभी के कड़क स्वभाव की वजह से नरसी मेहता को घर से बाहर निकाल दिया गया. ऐसे में वो भगवान श्रीकृष्ण की आराधना और भक्ति करने लगे और सांसारिक मोह त्याग संत की तरह रहने लगे. उधर, देखते ही देखते नानी बाई बड़ी होती गईं. कुछ समय उपरांत उसका विवाह करवा दिया गया.
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भात भरने के लिए पकड़ाई करोड़ों की लिस्ट : शादी के बाद नानी बाई ने बेटी को जन्म दिया. नानी बाई की सास और देवर काफी कड़क स्वभाव के थे. जब नानी बाई की बेटी की शादी तय हुई तो ननिहाल की तरफ से भात भरने की रस्म के लिए नरसी मेहता को सूचित किया गया. नानी बाई के ससुराल वालों को पता था कि भात भरने के लिए उनके पास कुछ नहीं है. ऐसे में उन्होंने करोड़ों रुपए की सामान की लिस्ट बनाकर भिजवा दी.
नरसी मेहता ने अपने अड़ोस-पड़ोस और मित्रों से सहायता मांगी, लेकिन किसी ने मदद नहीं की. इसके बाद विवाह की तारीख नजदीक आने के साथ ही नरसी मेहता अपनी बैल गाड़ी से नानी बाई के घर की तरफ निकल गए. इसी दौरान बीच रास्ते में उनकी बैलगाड़ी का एक पहिया टूट गया. इस दौरान नरसी मेहता ने अपने आराध्य देव भगवान श्री कृष्ण की आराधना की. तभी जंगल से गुजर रहा है एक खाती उनके पास पहुंचा. उसने काफी मशक्कत के बाद बैलगाड़ी के पहियों को ठीक कर दिया.
नानी बाई को कुएं से कूदने से बचाया :जब नरसी मेहता नानी बाई के घर के नजदीक पहुंचे तो उनके ससुराल वाले नरसी मेहता की बेइज्जती करने लगे. पिता की बेइज्जती देखकर नानी बाई कुएं में कूदने के लिए पहुंची. तभी भगवान श्रीकृष्ण वहां प्रकट हो गए और उसको वचन दिया कि ठाठ-बाट के साथ भात भरा जाएगा. भगवान श्री कृष्ण और रुक्मणी दूसरे दिन नरसी मेहता के साथ हाथी-घोड़ों पर भात भरने पहुंचे और भगवान ने 56 करोड़ रुपए का भात भरा. तभी से भक्त और भगवान की कहानी बड़ी आस्था और भाव के साथ सुनी जाती है.