उदयपुर. वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की जयंती सोमवार को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाई जा रही है. हल्दीघाटी की माटी में राणा प्रताप ने ना सिर्फ अकबर की सेना का मुंहतोड़ जवाब दिया बल्कि दांतों तले लोहे के चने चबाने को मजबूर कर दिए थे. इतिहासकार चंद्रशेखर शर्मा का कहना हैं कि प्रताप के शौर्य और पराक्रम से आज भी युवा प्रेरणा लेते हैं.
वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा : इतिहासकार ने बताया कि हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप ने अपने शौर्य पराक्रम और अपने बुलंद इरादों के दम पर अकबर को मुंहतोड़ जवाब दिया था. हजारों वर्ष बीत जाने के बाद भी महाराणा प्रताप के शौर्य और पराक्रम की कथा अमर अजर नजर आती है. आज भी युवाओं में महाराणा प्रताप को लेकर एक बड़ा उत्साह दिखाई देता है. महाराणा प्रताप ने अन्याय का विरोध किया और उसके खिलाफ खड़े होने की जो गाथा शुरू की, वह आज भी जारी है. शर्मा ने बताया कि प्रताप के जीवन के कालखंड को देखें तो उन्होंने किस तरह से संघर्ष किया.
जब सभी राजाओं ने किया अधीनता स्वीकार, तो महाराणा प्रताप ने उठाई ज्वाला : चंद्रशेखर शर्मा ने बताया कि उस दौर में जब अकबर के दमन के कारण राजा अधीनता स्वीकार कर रहे थे. तब इन सबके बीच महाराणा प्रताप ने अपने स्वाभिमान के लिए अकबर को मुंहतोड़ जवाब दिया था. हालांकि, इस दौरान बड़ी संख्या में कई राजाओं ने अपनी सेनाओं का अकबर की सेना में शामिल कर लिया था वह महाराणा प्रताप के सामने युद्ध लड़ रहे थे, लेकिन इसके बावजूद भी प्रताप ने अपने बुलंद इरादों की ज्वाला को शांत नहीं होने दिया. इतिहासकार ने बताया कि वर्तमान दौर में भी महाराणा प्रताप हमारे लिए सदैव प्रासंगिक हैं.