उदयपुर.प्रदेश सहित पूरे देश में कैंसर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. कैंसर के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल जनवरी को जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है. हालांकि, पिछले 5 सालों में कैंसर के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. जागरूकता नहीं होने के कारण महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर अपना शिकार बना रहा है. ऐसे में कैंसर के शुरुआती लक्षण के साथ ही इस बीमारी से कैसे बचा जा सकता है, इसे लेकर उदयपुर के आरएनटी मेडिकल कॉलेज व सुपर स्पेशलिटी के कैंसर विभागाध्यक्ष डॉक्टर नरेंद्र राठौड़ से ईटीवी भारत ने बातचीत की.
हर साल जनवरी में मनाया जाता कैंसर जागरूकता माह :डॉक्टर नरेंद्र राठौड़ ने बताया कि अगर कैंसर शुरुआती स्टेज में हो तो इसका पूर्णतः उपचार संभव है. खासकर महिलाओं को नियमित जांच करवानी चाहिए, ताकि बीमारी को बढ़ने से रोका जा सके. लेकिन जागरूकता के अभाव में अधिकांश महिलाएं इसके एडवांस स्टेज से ग्रसित हो जाती हैं. इसके बाद उपचार से ठीक करना सरल नहीं रह जाता है. जागरूकता लाने के लिए हर साल की तरह इस बार भी जनवरी में सर्वाइकल कैंसर जागरूकता माह मनाया जा रहा है.
सर्वाइकल कैंसर की स्थिति :राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम के अनुसार भारत में सर्वाइकल कैंसर 18.3% (123,907 मामले) की दर के साथ तीसरा सबसे आम कैंसर है. GLOBOCAN 2020 के अनुसार 9.1% की दर के साथ कैंसर से होने वाली मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण है. अपने पूरे जीवन काल में 1,00,000 में से 18 महिलाएं सर्वाइकल कैंसर से ग्रसित होती हैं. एशिया में भारत के अरुणाचल प्रदेश के पापुमपारे जिले में सर्वाइकल कैंसर (27.7) की उच्चतम दर है.
क्या हम इस कैंसर को खत्म कर सकते हैं :सर्वाइकल कैंसर एक महिला के गर्भाशय ग्रीवा (योनि से गर्भाशय का प्रवेश द्वार) में विकसित होता है. सर्वाइकल कैंसर के लगभग सभी मामले (99%) उच्च जोखिम वाले मानव पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) के संक्रमण से जुड़े हैं. ये यौन संपर्क के माध्यम से प्रसारित होने वाला वायरस है. हालांकि, एचपीवी के अधिकांश संक्रमण अनायास हल हो जाते हैं और कोई लक्षण पैदा नहीं करते. लेकिन लगातार संक्रमण महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर का कारण बन सकता है.