उदयपुर.एक तरफ अपराध के आंकड़ों के लिहाज से राजस्थान पूरे देश में चर्चा का मुद्दा बना (Increasing Crime in Rajasthan) हुआ है. दूसरी ओर सरकार इस मामले में एफआईआर की अनिवार्यता को बड़ी वजह बताती रही है. इन सबके बीच प्रदेश में आदतन अपराधी और हिस्ट्रीशीटर की फेहरिस्त बताती है कि अपराध को लेकर राजस्थान की मौजूदा तस्वीर क्या है. ये आंकड़ें साफ बयां करती हैं कि उदयपुर संभाग अपराध का गढ़ बन चुका है. संख्या के लिहाज से सबसे ज्यादा हिस्ट्रीशीटर उदयपुर संभाग से आते हैं. वहीं, इस लिस्ट में जोधपुर संभाग दूसरे नंबर पर है. राजधानी की बात की जाए तो यहां के कमिश्नरेट प्रणाली में 4 जिलों का आंकड़ा बताता है कि जयपुर भी गंभीर अपराध वाले बदमाशों में अव्वल है.
उदयपुर संभाग में है सबसे ज्यादा आदतन अपराधी :राजस्थान में हिस्ट्रीशीटर की संख्या 10864 (History Sheeters in Rajasthan) है. ये खाकी के लिए भी बड़ी चुनौती बनी हुई है. पुलिस विभाग के पोर्टल पर जारी आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में सबसे ज्यादा 1772 अपराधियों की हिस्ट्रीशीट उदयपुर रेंज में खुले हुए हैं. वहीं, जोधपुर रेंज में 1592 अपराधियों की हिस्ट्रीशीट के साथ यह संभाग लिस्ट में दूसरे नंबर पर है. जिलों में सबसे ज्यादा 684 हिस्ट्रीशीटर उदयपुर में हैं. दूसरे नंबर पर अजमेर जिला आता है, यहां 491 आदतन अपराधी हैं. बाड़मेर में हिस्ट्रीशीटर अपराधियों की संख्या 450 है, ये तीसरे स्थान पर आता है. राजधानी जयपुर में ईस्ट, वेस्ट, नॉर्थ और साउथ जिलों की बात की जाए, तो यहां अपराधियों की संख्या हिस्ट्रीशीटर के आधार पर 877 है. जयपुर कमिश्नरेट के पूर्व जिले में 157, पश्चिम में 241, उत्तर में 318 और दक्षिण में आदतन अपराधियों की संख्या 161 है.
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लगातार रजिस्टर हो रहे केस और उनकी गंभीरता के आधार पर पुलिस बदमाशों को आदतन अपराधी मानते हुए हिस्ट्रीशीट खोलती है. इस दौरान :
- हिस्ट्रीशीटर का नाम-पता, परिवार समेत हर अपराध की जानकारी दर्ज की जाती है.
- आदतन अपराधी के लिए काम में ली जाने वाली हिस्ट्रीशीटर टर्म में हिस्ट्री शीट एक तरह से अपराधी का इतिहास होता है.
- हिस्ट्रीशीट में अपराधी का नाम, पता, उसकी उम्र फिंगरप्रिंट, उसकी पुरानी वारदातों की जानकारी, पैरों के निशान और अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां रखी जाती हैं. इन्हें कानून व्यवस्था के खतरे में रहने की स्थिति में सबसे पहले पुलिस की ओर से राउंडअप या पाबंद किया जाता है.
- आदतन अपराधियों को रिकॉर्ड के साथ अपराध की गंभीरता को देखते हुए अन्य राज्यों और राज्य के अन्य जिलों से उनके रिकॉर्ड को साझा किया जाता है.
- गंभीर मामलों में आदतन अपराधियों को पुलिस की ओर से तड़ीपार किया जाता है. इसमें उनके स्थान को पुलिस की तरफ से बदल दिया जाता है. साथ ही आवास के अलावा कहीं और रहने के लिए समय और अवधि तक पाबंद किया जाता है.