सलूंबर (उदयपुर).जिले के सलूंबर तहसील के गावड़ापाल की होली हजारों लोगों की मौजूदगी में जलाई गई. गावड़ापाल की यह होली बड़ी महत्वपूर्ण और संवेदनशील मानी जाती है. इसलिए इसे यहां के लोग इसे दिन में जलाते हैं. जो इसे और ज्यादा खास बनाती है. दशकों से चली आ रही परंपरा को यहां के आदिवासी लोग बड़े ही उत्साह के साथ आगे बढ़ा रहे है. रात में आपसी झगड़ों के चलते बड़े विवाद की आशंका को लेकर कई दशकों से यह होली दिन में ही जलाई जाती है.
मंगलवार सुबह गांवडापाल के बारह फलों से ढोल और कुण्डी के ताल पर थिरकते लोग हाथों में डंडे और तलवारों के साथ होली दहन स्थल पर पहुंचे. जहां ढोल-कुंडी और थाली के लय के साथ जमकर गैर खेला. वहीं आदिवासी युवतियां भी पारंपरिक नृत्य पर अपने कदम से कदम मिलाते हुए थिरकती नजर आईं. आदिवासियों की तलवारों और लकड़ी के डंडे के साथ खेली जाने वाली गैर आकर्षण का केन्द्र होता है, जिसमें गैर खेलते गेरियों को सन्तुलन इतना जोरदार होता है कि नंगी तलवार होने के बावजूद गैर के दौरान किसी को छू भी नहीं सकती.