उदयपुर. प्रदेश की गहलोत सरकार के खिलाफ भाजपा अब परिवर्तन यात्रा के जरिए मोर्चा खोलने जा रही है. इससे पहले ही भाजपा में भी अब अंदरूनी कलह सामने आने लगी है. जहां एक ओर भाजपा की परिवर्तन यात्रा आगामी 2 सितंबर से शुरू होगी. इसी बीच भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे आज मेवाड़ के दौरे पर आ रही हैं. जहां वो एक धार्मिक प्रोग्राम शामिल होने वाली हैं. वसुंधरा राजे भगवान चारभुजा नाथ के मंदिर जाएंगी. इसके बाद श्रीनाथजी के मंदिर और बांसवाड़ा में मां त्रिपुरा सुंदरी के दरबार में भी हाजिरी लगाएंगी. वसुंधरा राजे की इस यात्रा को लेकर अब सियासी गलियारों में कई तरह की चर्चाएं हैं, क्योंकि वसुंधरा राजे अपनी यात्राओं की शुरुआत अपने आराध्य देव चारभुजा मंदिर से करती आई हैं.
वसुंधरा की मेवाड़ यात्रा को लेकर सियासी चर्चाएं तेज:भाजपा की परिवर्तन यात्रा के पहले मेवाड़ से वसुंधरा राजे भगवान चारभुजा नाथ के दरबार में हाजिरी लगाकर क्या मन्नत मांगेंगी यह तो वही जाने लेकिन सियासी गलियारों में उनकी इस यात्रा को लेकर कई तरह की चर्चाएं तेज हो गई है. इससे पहले भी 2008 और 2013 के विधानसभा चुनाव में वसुंधरा राजे चारभुजा के दरबार से ही अपनी यात्रा की शुरुआत की थी. परिवर्तन यात्रा से पहले अचानक एक दिवसीय देव दर्शन का कार्यक्रम घोषित करके राजे ने एक बार फिर से सियासी चर्चाओं को जन्म दे दिया है.
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राजे चारभुजा, नाथद्वारा और त्रिपुरा सुंदरी के करेंगी दर्शन :वसुंधरा राजे आज जयपुर से हेलीकॉप्टर से रवाना होकर सीधे राजसमंद जिले में स्थिति चारभुजा मंदिर पहुंचेगी.यहां दर्शन के बाद राजे हेलिकॉप्टर से नाथद्वारा पहुंचेंगी. नाथद्वारा दर्शन के बाद राजे सीधे बांसवाड़ा जिले में स्थित त्रिपुरा सुंदरी मंदिर जाएंगी. राजे जब भी बांसवाड़ा जाती है। त्रिपुरा सुंदरी के दर्शन जरूर करती हैं. दरअसल वसुंधरा राजे का मेवाड़ समेत राजस्थान भर के धार्मिक स्थानों से शुरू से लगाव रहा है. इस बार बीजेपी की परिवर्तन यात्रा से पहले वसुंधरा राजे की देव दर्शन यात्रा को लेकर भी कई कयास लगाए जा रहे है्ं. उसके इस कदम को हिंदूवादी और प्रमुख चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट करने के रूप में भी जोड़कर भी चर्चा हो रही है.
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वसुंधरा राजे की अब तक 3 यात्रा :राजस्थान में दो बार मुख्यमंत्री रह चुकीं वसुंधरा राजे अब तक राजस्थान में तीन यात्राएं निकाल चुकी हैं. 5 बार देव दर्शन यात्रा भी कर चुकी हैं. राजे ने साल 2002 में पहली बार यात्रा निकाली. उस यात्रा को परिवर्तन यात्रा का नाम दिया गया था. राजे की वो सबसे लंबी यात्रा थी. इस यात्रा में राजे ने एक साल में 200 विधानसभा सीटों में घुमकर कवर किया और पहली बार राजस्थान की मुख्यमंत्री बनीं. इसके बाद साल 2013 में राजे ने दूसरी यात्रा सुराज संकल्प यात्रा के नाम से निकाली थी, जो राजसमंद के चारभुजा मंदिर से ही शुरू हुई. इसके बाद भी दिसंबर-2013 में बीजेपी को राजस्थान में बहुमत मिला था. तीसरी यात्रा राजे ने मुख्यमंत्री रहते हुए साल 2018 में निकाली थीं. यह यात्रा भी चारभुजा मंदिर से ही शुरू हुई थी. इस यात्रा को गौरव यात्रा का नाम दिया गया, हालांकि 2018 के चुनावों में बीजेपी की हार हुई और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनी थी.
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यह चारभुजा मंदिर का इतिहास:गोमती नदी किनारे बसा यह मंदिर करीब 5285 साल पुराना माना जाता है. पांडवों के हाथों स्थापित इस मंदिर में कृष्ण का चतुर्भुज स्वरूप विराजमान है. यह मंदिर राजसमंद जिला मुख्यालय से करीब 37 किलोमीटर दूरी पर गोमती नदी के तट पर बसा है. मंदिर के बारे में मान्यता है कि द्वापर युग में पांडवों ने अपने वनवास के दौरान गोमती नदी के तट पर चारभुजा वाली प्रतिमा की पूजा किया करते थे. इसके बाद इस प्रतिमा को पांडवों ने जलमग्न कर दिया और यहां से चले गए. इसके बाद यह प्रतिमा गंगदेव क्षत्रिय को मिली तो उसने भी इस प्रतिमा की पूजा की और कुछ वर्षों बाद इसे पुन जलमग्न कर दिया. इसके उपरान्त सूरागुर्जर को स्वप्न में मूर्ति के पानी में होने की बात कही, जिस पर सूरा गुर्जर ने मंदिर को पुनः स्थापित कर इसकी पूजा-अर्चना शुरू की. तभी से मंदिर की पूजा-सेवा गुर्जर समुदाय के पास है.