उदयपुर. राजस्थान के उदयपुर में सोमवार से तीसरी राष्ट्रीय व्हीलचेयर क्रिकेट चैंपियनशिप प्रतियोगिता (National Wheelchair Cricket Championship) शुरू हुई है. प्रतियोगिता में देशभर की करीब 16 टीमों के 300 से ज्यादा खिलाड़ी भाग ले रहे हैं. व्हीलचेयर पर बैठकर गेंदबाजी, बल्लेबाजी और फील्डिंग करते दिव्यांग खिलाड़ी मैदान में दर्शकों में भी उत्साह और रोमांच भर रहे हैं. व्हीलचेयर क्रिकेट प्रतियोगिता का अपना अलग जुनून है. कड़ी चुनौतियों और बाधाओं के बावजूद दिव्यांग खिलाड़ी मैदान पर अपना हुनर दिखाते नजर आते हैं.
भगवान ने दिव्यांग बनाया लेकिन हुनर ने चलना सिखाया...
व्हीलचेयर क्रिकेट प्रतियोगिता के खिलाड़ियों का हुनर और जज्बा क्रिकेट के मैदान में देखते ही बनता है. आप सोच रहे होंगे कि व्हीलचेयर पर खिलाड़ी किस तरह से क्रिकेट खेलते होंगे, लेकिन व्हीलचेयर क्रिकेट प्रतियोगिता भी आम क्रिकेट प्रतियोगिताओं के तरह ही आयोजित की गई है. इस प्रतियोगिता में भी क्रिकेट के पूरे नियमों की पालना की जाती है. उसी तरह खिलाड़ी भी भारतीय जर्सी में नजर आते हैं.
2016 में शुरू हुई थी व्हीलचेयर क्रिकेट प्रतियोगिता...
व्हीलचेयर क्रिकेट प्रतियोगिता 2016 में शुरू हुई थी. तब इसमें गिने-चुने ही दिव्यांग खिलाड़ी भाग लिया करते थे लेकिन जैसे-जैसे इसका प्रचलन बढ़ने लगा वैसे-वैसे देश में टीमें भी बढ़ने लगीं. उदयपुर में भी नारायण सेवा संस्थान, डिफरेन्टली एबल्ड क्रिकेट कौंसिल ऑफ इण्डिया एवं व्हीलचेयर क्रिकेट इण्डिया एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान और राजस्थान रॉयल्स के सहयोग से सोमवार से तीसरी राष्ट्रीय व्हील चेयर प्रतियोगिता शुरू हुई है. इसमें देशभर के कोने-कोने से आई 16 टीमों के 300 से ज्यादा खिलाड़ी (300 players in Wheelchair Cricket Championship) अपनी प्रतिभा और हुनर दिखा रहे हैं.
पहले नजरअंदाज करते थे लोग...
व्हीलचेयर क्रिकेट प्रतियोगिता में भाग लेने वाले खिलाड़ियों ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि शुरुआत के दिनों में लोग इस प्रतियोगिता और हम पर अलग-अलग तरह के तंज कसा करते थे. लेकिन धीरे-धीरे व्हीलचेयर क्रिकेट प्रतियोगिता का चलन बढ़ा और खिलाड़ियों ने भी रुचि दिखाई तो लोगों से उत्सावर्धन मिलने लगा. हरिद्वार से आए दिव्यांग खिलाड़ी प्रवीण कुमार ने बताया कि क्रिकेट से जुड़े सभी नियमों को व्हीलचेयर पर बैठे हुए ही फॉलो करना पड़ता है. इसमें बॉलिंग, फील्डिंग व बैटिंग भी सामान्य क्रिकेट प्रतियोगिता की तरह ही करनी होती है. यह अपने आप में एक अनूठा इवेंट है जिसे खेलने में बहुत ज्यादा उत्साह और उमंग नजर आती है.
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कई कठिनाइयों और परिस्थितियां बाधाएं भी उत्पन्न करती हैं. इस खेल को खेलने के लिए खिलाड़ियों को अलग-अलग तरह के एफर्ट लगाने पड़ते हैं. क्योंकि व्हीलचेयर पर ही बैटिंग, फील्डिंग करना मैदान में बोल पकड़ना बड़ी चुनौती रहती है. यह भी आम क्रिकेट की तरह लेदर बॉल से खेला जाता है. नॉर्मल क्रिकेट में खिलाड़ी मैदान में बोल को देखकर अपने टाइमिंग सेट कर सकता है. लेकिन इसमें बोल के लाइन में आकर के व्हीलचेयर को मूवमेंट देकर शॉट खेलना पड़ता है जिसमें काफी कठिनाई आती है.
अलग-अलग राज्यों की टीमें...
नारायण सेवा संस्थान के अध्यक्ष प्रशान्त अग्रवाल ने बताया कि हमारे दिव्यांग भाइयों में खेलों के प्रति रुचि उत्पन्न करने और देश के समग्र विकास में उनकी भूमिका सुनिश्चित करने के लिए संस्थान हर वर्ष विभिन्न खेलों का आयोजन करता है. इस व्हीलचेयर क्रिकेट चैम्पियनशिप में राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखण्ड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बड़ौदा, गुजरात, मुम्बई, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की कुल 16 टीमों के 300 से अधिक दिव्यांग खिलाड़ी भाग ले रहे हैं.