भीलवाड़ा. कोरोना जैसी वैश्विक महामारी ने हर आम इंसान के जेब पर डाका डाला है. इस वैश्विक महामारी के कारण हर आम से लेकर खास व्यक्ति तक प्रभावित हुआ है. इन्हीं में से एक है कपड़े की धुलाई करने वाले धोबी समाज के लोग. जिन्हें इस महामारी में खासा नुकसान उठाना पड़ा है. ईटीवी भारत की टीम भीलवाड़ा में कपड़े की धुलाई और प्रेस करने वाले परिवारों के पास पहुंची. जहां कपड़े पर रंगाई करने वाले मोहम्मद अयूब का ईटीवी भारत पर दर्द छलक पड़ा.
धोबी समाज पर कोरोना की मार उन्होंने कहा कि मैं कपड़े पर रंगाई कर अपनी गुजर बसर करता हूं. इसके अलावा कोई आजीविका का साधन नहीं है. पहले कोरोना की वजह से भीलवाड़ा में जब 56 दिन तक कर्फ्यू लगा तब मैं घर पर ही बैठा रहा. अब लॉकडाउन भले ही खुल गया है, लेकिन वर्तमान में भी कपड़े की रंगाई के लिए बिल्कुल कपड़े नहीं आ रहे हैं. वर्तमान में कोरोना के केस में इजाफा हो रहा है. इसलिए पूरे शहर में रात को कर्फ्यू लगा हुआ है. वहीं दिन में भी जगह-जगह पुलिस के चेकपोस्ट बने रहते हैं. जिससे लोग घर से बाहर कम निकलते हैं. अय्यूब ने बताया कि कर्फ्यू के समय राज्य सरकार से सहायता मिली, जिससे हमने हमारा परिवार चलाया था.
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वहीं, अपना पुश्तैनी काम करने वाले धोबी समाज सेवा संस्थान भीलवाड़ा के उपाध्यक्ष गौतम गहलोत ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि कोरोना से हमारे व्यवसाय पर बहुत प्रभाव पड़ा है. रोजी और रोजगार की दिक्कत हो गई. हमारे समाज के लोगों को बहुत परेशानी हो रही है. आजिविका चलाना भी मुश्किल हो रहा है. बिजली के बिल ज्यादा है, जिससे हम कपड़ों पर प्रेस नहीं कर पाते. क्योंकि आमदनी का जरिया ही खत्म हो चुका है. उन्होंने बताया कि धोबी समाज के जिले में 1 हजार परिवार इसी व्यवसाय पर आश्रित हैं.
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वर्तमान में परिवहन, व्यापार, होटल, स्कूल और ऑफिस बंद हैं. जिससे लोग घर के बाहर नहीं निकल रहे हैं. अगर लोग घर के बाहर नहीं आएंगे तो उनको कपड़े की धुलाई और प्रेस की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. इसलिए हमारा व्यवसाय चौपट है. पहले 200 से 300 कपड़ों की हम धुलाई, चरक और प्रेस करते थे. लेकिन वर्तमान में 50 कपड़े ही पहुंच रहे हैं. जिससे आजीविका चलाना मुश्किल हो रहा है. भीलवाड़ा शहर में धोबी घाट स्थित है, लेकिन वह भी खराब पड़ा हुआ है. वहीं कपड़े पर प्रेस कर रही महिला ज्योति गहलोत का ईटीवी भारत पर दर्द छलक पड़ा. उन्होंने कहा कि कोरोना काल का समय बहुत खराब निकला. उस समय हम बहुत परेशान हुए. जिसकी अभी तक भरपाई भी नहीं हो पा रही है. पहले हमारे पास कपड़े धुलाई और प्रेस के लिए खूब आते थे, लेकिन वर्तमान में ना के बराबर कपड़े आ रहे हैं.