टोंक.खरेड़ा गांव के रहने वाले पेशे से शिक्षक तरुण राज सिंह राजावत हर बार महाराणा प्रताप की जयंती मनाने के लिए या तो किसी समारोह में आमंत्रित होते थे, या वे अपने स्कूल में जयंती मनाते थे. महाराणा प्रताप के जीवन पर अपने विचार व्यक्त करते थे, लेकिन इस बार कोराना महामारी के चलते लॉकडाउन के कारण कहीं भी जयंती समारोह का आयोजन नहीं हुआ.
ऐसे में राजावत ने अपने आस-पास से काली मिट्टी इकट्ठा करके महाराणा प्रताप की मूर्ति बनाने का कार्य शुरू किया. महज कुछ घंटों में ही महाराणा प्रताप की मूर्ति बनाई. आश्चर्य की बात यह है कि राजावत ने इससे पहले कोई मूर्ति नहीं बनाई और न ही किसी प्रकार की मूर्ति बनाने के औजार काम में लिए. उन्होंने अपने हाथों को ही औजार बनाकर मूर्ति को एक जीवंत रूप प्रदान किया. इस मूर्ति को देखने के बाद लोगों ने कहा कि यह किसी दक्ष मूर्तिकार ने बनाई है.