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टोंक: आवां ग्राम पंचायत के युवाओं का मानना, हर गांव में खुले महात्मा गांधी जनवादी जैसा पुस्तकालय

टोंक में देवली उपखंड क्षेत्र के आवां ग्राम में महात्मा गांधी जनवादी पुस्तकालय है, जो निरंतर प्रगति की ओर बढ़ रहा है. इसका मुख्य उद्देश्य पढ़ने की संस्कृति का विकास करना है. गांव के युवाओं का मानना है कि ऐसा पुस्तकालय हर गांव में होना चाहिए.

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हर गांव में खुले महात्मा गांधी जनवादी जैसा पुस्तकालय

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Published : Sep 8, 2020, 5:59 PM IST

देवली (टोंक).जिले के देवली उपखंड क्षेत्र के आवां ग्राम में युवाओं और शिक्षकों के साझा प्रयासों से महात्मा गांधी जनवादी पुस्तकालय की स्थापना फरवरी 2019 में की गई थी. उसके बाद से पुस्तकालय निरंतर प्रगति कर रहा है. इस पुस्तकालय की स्थापना के पीछे का मुख्य कारण पढ़ने की संस्कृति का विकास करना है.

हर गांव में खुले महात्मा गांधी जनवादी जैसा पुस्तकालय

राजस्थान जनवादी शिक्षक संघ के महासचिव अंशुल शर्मा ने बताया कि हर गांव में पढ़ने की एक ऐसी जगह हो. जहां बालक, किशोर, युवा और वृद्ध आकर विभिन्न प्रकार की पत्र-पत्रिकाओं का अध्ययन करें, जिससे उनके विचारों का आदान प्रदान हो. इस दिशा में आवां का महात्मा गांधी जनवादी पुस्तकालय एक मॉडल के रूप में उभर कर सामने आया है.

बता दें कि आवां गांव की पंचायत ने पुस्तकालय के लिए एक कमरा निशुल्क उपलब्ध करवाया है. इस पुस्तकालय में प्रतियोगी परीक्षाओं के अतिरिक्त कला, साहित्य, इतिहास, धर्म से सम्बंधित पुस्तकें हैं, जिनका लाभ पूरा गांव उठा रहा है. यहां आने वाले पाठकों के लिए सभी सुविधाएं मुफ्त हैं. अब धीरे-धीरे पुस्तकालय में पाठकों की संख्या लगातार बढ़ने लगी है. ऐसे पुस्तकालय आस-पास की पंचायतों में भी शुरू करवाने के प्रयास लगातार जारी हैं.

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पुस्तकालय स्थापना के सहयोगी विष्णु जायसवाल ने बताया कि हम चाहते हैं यह विचार पूरे राजस्थान में फैले और हर ग्राम पंचायत स्तर पर इस तरह का एक सामुदायिक पुस्तकालय स्थापित हो. उन्होंने बताया कि इस पुस्तकालय को सभी ओर से सहयोग मिल रहा है, जिनमें राजकमल प्रकाशन, दिल्ली, बोधि प्रकाशन, जयपुर और जैन संत श्री सुधासागर जी महाराज का नाम उल्लेखनीय है. पुस्तकालय के पाठकों ने भी इस विचार की प्रशंसा की है.

उन्होंने बताया कि कोरोना काल से पहले हम जयपुर में पैसे देकर पुस्तकालय में पढ़ाई करते थे. मगर अब गांव में इस तरह की निःशुल्क व्यवस्था होने से शहर जाकर तैयारी करने का मन नहीं करता. साथ ही साथ यहां पढ़ाई करने से हमारा अतिरिक्त खर्च भी बचता है. हम चाहते हैं कि महात्मा गांधी जनवादी पुस्तकालय जैसा पुस्तकालय हर गांव में हो.

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