टोंक.प्रदेश सहित देशभर में दीपावली का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस बीच प्रदेश में दिवाली पर कई ऐसी परंपराएं देखने को मिलती है, जो वर्षों से अनवरत चली आ रही है. ऐसी ही एक परंपरा जिले के गुर्जर समाज के लोग निभा रहे हैं. जिसके तहत जल स्रोतों पर सामूहिक रूप से छांट भर के पितरों को याद किया जाता है. साथ ही तालाब की पाल पर खीर और पराठों का भोग लगाया जाता है. रविवार को भी दीपावली के अवसर पर जिला मुख्यालय के ऐतिहासिक चतुर्भुज तालाब व अन्य जल स्रोतों पर समाज के लोग अपने गोत्र के अनुसार एकत्रित हुए. परंपरानुसार सामूहिक रूप से सभी ने छांट भर के पितरों को याद किया.
छांट भरने के बाद ही खाते हैं खाना : समाज के लोगों का कहना है कि गुर्जर समाज अलग-अलग समय में श्राद्ध करने के बजाय दीपावली पर गौत्र अनुसार एकत्रित होकर पितरों का याद करते हैं. इस परंपरा को साधारण भाषा में छांट भरना कहते हैं, जिसमें समाज के लोग एक निश्चित स्थान पर जाकर तालाब या अन्य जल स्त्रोतों में छांट भरकर अपने पितरों को धूप लगाते हैं. इससे तालाबों, एनिकटों और अन्य जल स्त्रोतों को शुद्ध रखने की सीख मिलती है तो वहीं इस परंपरा से भाईचारा भी बढ़ता है. समाज के लोग छांट भरने के बाद ही खाना खाते हैं. दीपावली के एक दिन पहले ही गुर्जर समाज के लोग इसके लिए अपनी तैयारी पूरी कर लेते हैं. गुर्जर समाज में श्राद्ध मनाने की यह अनूठी परंपरा सालों से चली आ रही है.