श्रीगंगानगर. साल 2005 में मात्र 5 हजार रुपए से दो युवाओं ने मिलकर कारोबार की शुरूआत की. 14 साल के बाद उनकी इस कंपनी में 40 और लोगों को भी रोजगार दिया है. जो लगातार मुनाफे में चल रही है. मध्यम वर्गीय परिवार और खराब आर्थिक हालातों के बावजूद हार नहीं मानी और जो सपना इन्होंने देखा, उन्हें आखिरकार पूरा कर दिखाया और बन गए युवा पीढ़ी के लिए एक मिसाल.
दरअसल यह कहानी है एक ऐसे परिवार की, जिसका मुखिया हनुमान प्रसाद खाने-पीने से जुड़े आइटम बनाने में तो माहिर थे, लेकिन घर की आर्थिक हालत पस्त होने के कारण मात्र 3 हजारी की नौकरी करने पर मजबूर थे. इसके बाद वक्त ने करवट बदली और जब हनुमान के बेटे पढ़-लिख गए तो घर को हालातों को सुधारने के लिए अपने ग्लैमरस सपने को छोड़कर पिता की मदद को आगे आए. उन्होंने पापा के साथ एक योजना बनाई कि क्यों ना खुद का कोई आइटम तैयार करके बाजार में बेचा जाए. फिर क्या था, तीनों ने मिलकर घर पर ही मात्र 5 हजार रुपए जमा करके अपना खुद का बिजनेस शुरू कर दिया.
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पिता के हाथों में है स्वाद का खजाना
यह बात सन् 2005 की है. पिता नमकीन, स्वीट आईट्म बनाने के बेहतरीन कलाकार थे ही. इसके बाद दोनों बेटों ने पिता के बनाए गए इन आइटमों को बाजार में ब्रांडिंग करके बेचना शुरू कर दिया. समय के साथ बाजार में इनके आइटम की डिमांड बढ़ती गई. फिर तीनों ने मिलकर घर से बाहर किराए की जगह ली और अपने काम को थोड़ा और विस्तारित किया.
इस प्रकार बना 'विशाल फूड प्रोड्क्ट'
इसके बाद इनकी तो जैसे गाड़ी चल ही पड़ी. धीरे-धीरे बाजार में बढ़ते ग्राहकों की बढ़ती डिमांड के चलते माल की क्वालिटी में नई-नई प्रयोग किए जाने लगे. तेजी से बढ़ते व्यवसाय को देखते हुए इन्होंने 'विशाल फूड प्रोडक्ट' के नाम से रजिस्ट्रेशन करवा लिया और अपना बनाया सामान दूसरे राज्यों में भी भेजना शुरू कर दिया. बेहतरीन क्वालिटी के कारण ग्राहकों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी. ज्यादा माल तैयार करने के लिए इन्हें अब कारीगरों और हेल्परों की जरूरत थी, तो वो भी रख लिए गए.