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Valentine Day 2023 : प्रेमियों का तीर्थ कही जाती है लैला मजनू की ये मजार, हर साल लगता है मेला

वैलेंटाइन यानी प्यार का दिन. इस दिन मशहूर प्रेम कहानियों को (Laila Majnu Love Story) जरूर याद किया जाता है. इनमें से एक प्रेम कहानी है लैला-मजनू की, जो अधूरी होकर भी अमर हो गई. लैला-मजनू की मजार राजस्थान के श्रीगंगानगर में स्थित है, जहां कई प्रेमी जोड़े मुरादें लेकर पहुंचते हैं.

Laila Majnu Tomb in Sri Ganganagar
लैला मजनू की मजार

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Published : Feb 14, 2023, 4:52 PM IST

प्रेमियों का तीर्थ कही जाती है लैला मजनू की ये मजार

श्रीगंगानगर. आज वैलेंटाइन डे पर युवा वर्ग अपने साथी से प्यार का इजहार करते हैं. प्रेम के प्रतीक के रूप में जाने-जाना वाला यह दिन काफी खास है. बात करें मशहूर लव स्टोरीज की तो इनमें लैला मजनू के प्यार की मिसाल आज भी दी जाती है. जिनका प्यार अधूरा होकर भी युगों तक के लिए अमर हो गया. लैला मजनू की मजार राजस्थान के अनूपगढ़ में स्थित है. इस मजार पर आज भी प्रेमी जोड़े सजदा करने पहुंचे हैं.

श्रीगंगानगर जिले के अनूपगढ़ के बिंजोर गांव में पाकिस्तान से महज तीन किलोमीटर दूर लैला मजनू की मजार स्थित है. बिंजोर गांव भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसा हुआ है. लैला मजनू के बारे में कहा जाता है कि जब वे अपने प्यार को नहीं पा सके तो उन दोनों प्रेमियों ने इसी जगह पर अपनी जान दे दी. जीते-जी वो दोनों अपने प्यार को तो नहीं पा सके लेकिन मरने के बाद उनका प्यार अमर हो गया.

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आज के दिन यहां प्रेमी जोड़े पहुंचते हैं :स्थानीय निवासियों ने बताया कि लैला मजनू की मजार एक दूसरे के पास में स्थित हैं. इस जगह पर देश के कोने-कोने से लोग सजदा करने पहुंचते हैं. अपने प्यार को पाने के लिए मन्नत मांगते हैं और मन्नत पूरी होने पर यहां आते हैं. यहां मुख्य मेला जून में भरता है, लेकिन वैलेंटाइन डे पर भी प्रेमी जोड़े यहां पहुंचते हैं. लोक गायक भूपेंदर संधू का कहना है कि जो भी सच्ची श्रद्धा से यहां आता है उसकी मन्नत जरूर पूरी होती है.

आखिर क्या है रहस्य :लैला मजनू की मजार को लेकर एक काफी रोचक रहस्य है. मजार की कमेटी के प्रधान ने बताया कि पहले इस जगह पर कच्ची मजार थी और आस पास मिलिट्री वाले रहा करते थे. कहा जाता है कि पहले रात के समय इस मजार से दो दीपक निकलते और सारी रात सरहद का चक्कर लगाकर सुबह वापिस मजार में समां जाते. मिलिट्री के लोगों ने काफी जांच पड़ताल की, लेकिन कोई भी जानकारी हासिल नहीं हुई.

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पांच दिन का मेला लगता है : बिंजोर गांव के एक व्यक्ति को सरहद पार के एक व्यक्ति ने इस मजार के बारे में बताया. इसके बाद इस मजार को कच्ची ईंटों से घेर दिया गया. स्थानीय ग्रामीण यहां आकर अपनी मन्नतें मांगने लगे. धीरे-धीरे गुरुवार के दिन यहां श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ने लगा और लोगों की आस्था इसमें बढ़ती गई. धीरे-धीरे दीपक दिखने बंद हो गए. पहले यहां एक दिन का मेला लगता था, जिसे बढ़ाकर पांच दिन का कर दिया गया.

सबकी मन्नत होती है पूरी :कहा जाता है यहां आने वाले हर इंसान की मन्नत पूरी होती है. लोग यहां आकर शादी के लिए, प्यार में आई अड़चन को दूर करने के साथ ही कई मुरादें लेकर आते हैं. बंटवारे के बाद भी सरहद के पार से लोगाें का आना-जाना यहां लगा रहता था. लेकिन जैसे-जैसे सरहद पर चौकसी बढ़ती गई लोगों का आना भी बंद हो गया.

लैला-मजनू की दास्तां पीढ़ियों से सुनी और सुनाई जा रही है. कहा जाता है कि लैला और मजनू एक दूजे से बेपनाह मोहब्बत करते थे, लेकिन उन्हें जबरन जुदा कर दिया गया था. माना जाता है कि लैला मजनू की मौत यही हुई थी. लेकिन लैला मजनू की मौत कैसे हुई इसके बारे में कई मत हैं. लैला-मजनू को अलग करने की लाख कोशिशें की गई, लेकिन सब बेकार साबित हुईं. उनकी मौत के बाद दुनिया ने जाना कि दोनों की मोहब्बत कितनी अजीज थी.

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