राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

श्रीगंगानगर में किसान समर्थन मूल्य से कम दाम में बेच रहे हैं कॉटन, वजह ये है - कपास किसान श्रीगंगानगर

श्रीगंगानगर में कपास निगम के नियम कायदों के कारण किसान समर्थन मूल्य पर कॉटन बेचने की बजाए सीधे मंडियों में व्यापारियों को बेच रहे हैं. किसान समर्थन मूल्य से 300 रुपये प्रति क्विंटल से कम भाव में अपना माल सीधे व्यापारियों को बेच रहे हैं.

cotton farmer news Shri Ganga Nagar, कपास किसान श्रीगंगानगर

By

Published : Oct 30, 2019, 12:56 PM IST

श्रीगंगानगर.जिले में नरमा कपास की धान मंडियों में बोली लग रही है. समर्थन मूल्य पर भारतीय कपास निगम किसानों से कॉटन की खरीद कर रहा है. लेकिन, किसान समर्थन मूल्य पर कॉटन बेचने की बजाए सीधे मंडियों में व्यापारियों को बेच रहे हैं, जिसका कारण है कपास निगम के तकनीकी नियम कायदे.

कपास निगम के नियम कायदों से परेशान किसान

कपास निगम के नियमों के चलते किसान समर्थन मूल्य से 300 रुपये प्रति क्विंटल कम में अपना माल सीधे व्यापारियों को बेच रहे हैं. जिले की मंडियों में रोजाना 5 हजार क्विंटल से अधिक नरमा आ रहा है. किसानों को प्रतिदिन लगभग 15 लाख की चपत लग रही है. किसानों को एक क्विंटल में 300-400 रुपये का सीधा नुकसान सहना पड़ता है. वहीं किसान अपनी ट्रैक्टर ट्रालियों में कपास लेकर आते हैं और व्यापारी उचित भाव लगाकर ट्रॉली सीधे जिनिंग मिल्स में भेजवा देते हैं.

किसानों को कारखाने तक ट्रैक्टर-ट्राली ले जाने में अतिरिक्त खर्च भी होता है. लेकिन इसका पैसा भी व्यापारी नहीं दे रहे. कपास किसानों की समस्या यहीं समाप्त नहीं होती है. उन्हें प्रति क्विंटल एक से दो किलो घटती देनी पड़ रही है. वहीं समर्थन मूल्य पर खरीद करने वाली भारतीय कपास निगम किसानों की कॉटन गिल्ली बताकर खरीद नहीं कर रही है.

पढे़ं- डूंगरपुर में बदला मौसम का मिजाज, बूंदाबांदी से मौसम में घुली ठंडक

जिले में सीसीआई 10 सालों से नरमा कपास नहीं खरीद रही. बीते 3 साल पहले तक सीसीआई समर्थन मूल्य के बजाय कमर्शियल रेट पर नरमा कपास खरीद करता था. लेकिन, इन सालों में निगम ने धान मंडी में प्रवेश तक नहीं किया. यह पहली बार है कि उसे केंद्रों पर खरीद करनी पड़ रही है. सीसीआई ने चार केंद्रों पर खरीद शुरू कर दी है. ऐसे में सरकार द्वारा समर्थन मूल्य जारी करने के बावजूद किसानों को भाव सही नहीं मिल रहे हैं.

ऐसे में किसानों का कहना है कि जब न्यूनतम मूल्य जारी हो जाता है तो कम से कम उससे नीचे कपास की बिक्री कभी नहीं होनी चाहिए. वहीं इस मामले में भारतीय कपास निगम के अधिकारी कुछ कहने से बचते नजर आ रहे हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details