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Special : क्रॉप इंप्रूवमेंट, प्रोडक्शन और प्रोटेक्शन की नई तकनीकें सीख रहे कृषि विद्यार्थी...किसानों की बढ़ेगी आय - New options in farming

श्रीगंगानगर में नई तकनीक से खेती को उन्नत बनाने के लिए नवाचार किए जा रहे हैं. फसल का उत्पादन बढ़ाकर किसानों की आय में बढ़ोतरी करने के मकसद से जिले का कृषि अनुसंधान केंद्र पिछले लंबे समय से कार्य कर रहा है. यहां मशरूम की खेती, मछली पालन, मधुमक्खी पालन से संबंधित प्रशिक्षण देकर किसानों की आय बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं. अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक यहां कृषि विद्यार्थियों को ट्रेनिंग देकर खेती-किसानी की भविष्य की दिशा और दशा भी तय कर रहे हैं.

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श्रीगंगानगर कृषि अनुसंधान केंद्र में नवाचार

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Published : Nov 28, 2020, 11:02 PM IST

श्रीगंगानगर. कृषि अनुसंधान केंद्र में इन दिनो रेडी प्रोग्राम के तहत कृषि विषय के विद्यार्थियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. छात्र कृषि वैज्ञानिकों के निर्देशन में ट्रेनिंग ले रहे हैं. केंद्र के कृषि वैज्ञानिक अलग-अलग परियोजना में इन भविष्य के कृषि वैज्ञानिकों को कृषि से संबंधित तमाम प्रकार के नवाचार की जानकारी देकर खेती को मजबूत कर किसानों की आय बढाने के तरीकों पर काम कर रहे हैं.

श्रीगंगानगर कृषि अनुसंधान केंद्र में नवाचार

कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि वैज्ञानिक पद्धति से प्रशिक्षण लेने आए कृषि के विद्यार्थियों को बताया जा रहा है कि किस परियोजना में कितना विकास हुआ है. साथ ही कितना विकास होने की जरूरत है. ताकि किसान और खेती को मजबूत किया जा सके. कृषि विद्यार्थियों को कृषि अनुसंधान केंद्र द्वारा क्रॉप इंप्रूवमेंट और क्रॉप प्रोडक्शन सहित विभिन्न अचीवमेंट, वैरायटी और डेवलपमेंट के बारे में किसानों को दी जाने वाली जानकारी के बारे में बताया जा रहा है.

कृषि अनुसंधान केंद्र में प्रशिक्षु कृषि शोधार्थियों की ट्रेनिंग

विभिन्न नवाचारों का दिया जा रहा प्रशिक्षण

यहां प्रशिक्षण लेने आए कृषि विषय के विद्यार्थियों को प्रशिक्षण में विभिन्न तरह की तकनीकों के बारे में बताया जा रहा है. ताकि विद्यार्थी भविष्य में कृषि अधिकारी बनकर किसानों को बेहतर तरीके से खेती करने के गुर सिखा सकें. कृषि अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक दशरथ सिंह की मानें तो भविष्य के इन कृषि अधिकारियों को कृषि के क्षेत्र में उन्नत और बेहतरीन टेक्नोलॉजी का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. उद्देश्य यह है कि टेक्नोलॉजी किसानों तक जाए और किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में व्यवहारिक काम हो सकें.

खेती के नवाचारों का प्रशिक्षण लेते कृषि विद्यार्थी

विद्यार्थियों को मौसम की भी दी जा रही जानकारी

प्रशिक्षण देने वाले कृषि विशेषज्ञों की मानें तो एग्रोमेंट सर्विस के तहत तापमान, वाष्पीकरण और वर्षा सहित तमाम प्रकार की महत्वपूर्ण जानकारियो से भी छात्रों को अवगत करवाया जा रहा है. कृषि से जुड़े इंस्ट्रुमेंटल की जानकारी देकर मौसम के बारे में विद्यार्थियों को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है. कृषि विषय की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को वैज्ञानिक नई-नई तकनीकों से अवगत करवा कर भविष्य में किसान को कैसे मजबूत किया जा सकता है इसके बारे में बताया जा रहा है.

केंद्र में चल रही 56 दिन की ट्रेनिंग

ट्रेनिंग लेने आए मनोज सोनी ने बताया कि रेडी प्रोग्राम के तहत कृषि अनुसंधान केंद्र में दो तरह की ट्रेनिंग चल रही है. जिसमें पहले 56 दिनों की ट्रेनिंग है. इस ट्रेनिंग में किसान से अटैच होकर उसकी खेती से जुड़ी मूलभूत समस्याओं की जानकारी जुटाना है.

नई तकनीक से कम क्षेत्र में मिलेगी अधिक उपज

युवा विद्यार्थी कर रहे किसानों की फसल समस्याओं का समाधान

प्रशिक्षण देने वाले कृषि विशेषज्ञों ने बताया कि किसान को खेत में जो समस्या आ रही हैं उनका समाधान अगर कृषि विद्यार्थियों के पास है तो उन्हें समझाया जाएगा अन्यथा वैज्ञानिकों से इसके बारे में चर्चा कर इन समस्याओं का समाधान करवाय जाता है. यूनिट अटैचमेंट के प्रशिक्षण के दौरान भी किसानों को कृषि विद्यार्थियों द्वारा 35 दिनों की ट्रेनिंग में कृषि अनुसंधान केंद्र में जो प्रोजेक्ट चल रहे हैं. उसके बारे में जानकारी देकर किसानों को फायदा देना है.

क्रॉप प्रोडक्शन, तकनीक और प्रोटेक्शन की पढ़ाई

कृषि के विद्यार्थियों का कहना है कि कृषि अनुसंधान केंद्र गंगानगर में प्रोडक्शन, टेक्नोलॉजी,क्रॉप इंप्रूवमेंट,नई नई वैरायटी पैदा करने की जानकारी दी जा रही है. किसान सामान्यत केमिकल का यूज ना करके कृषि में अधिक उत्पादन कैसे ले सकता है इसकी जानकारी भी किसानों को दी जा रही है. किसानों के सामने फसलों में बीमारी से संबंधित समस्याएं आ रही हैं, उस पर किसानों को जानकारी देकर उपायों पर काम किया जा रहा है.

एप बनेगा किसानों का मददगार

विद्यार्थी बताते हैं कि मूंग में सबसे ज्यादा पीलिया रोग आता है, जिसमें किसान एक्टिसाइड,पेस्टिसाइड और फंगीसाइड यूज करते हैं. किसान आईपीएम का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं जिससे फसलो में अधिक रोग आते हैं. वहीं कृषि अनुसंधान केंद्र में किसानो के लिए तैयार की गयी एप से किसान बेहतर तरीके से फायदा ले सकते हैं. जिसमें हर फसल से संबंधित किसान को फसल के बारे में जानकारी दी जा रही है.

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