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स्वास्थ्यकर्मी हो रहे प्रशिक्षित, दिव्यांग बच्चों की जन्म के समय ही कर सकेंगे पहचान

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Published : Mar 15, 2020, 3:51 PM IST

श्रीगंगानगर में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत नर्सिंग स्टाफ और तमाम स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. जिससे वे दिव्यांग बच्चों की जन्म के समय ही पहचान कर पाएंगे. जिससे उन बच्चों को उचित समय पर इलाज मिल सकेगा.

National Child Health Program, श्रीगंगानगर न्यूज
श्रीगंगानगर में स्वास्थ्यकर्मियों का प्रशिक्षण

श्रीगंगानगर.राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जिले के नर्सिंग स्टाफ और तमाम स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. जिससे जन्म के समय ही दिव्यांग बच्चों की पहचान हो सके और उनका इलाज करवाया जा सके. यह ट्रेनिंग 4 बैच में चल रही है. वहीं स्वास्थ्यकर्मियों को दिव्यांग बच्चों की बीमारी का पता कैसै लगाया जा सके, इसकी ट्रेनिंग दी गई.

श्रीगंगानगर में स्वास्थ्यकर्मियों का प्रशिक्षण

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जन्म के समय जो बच्चे दिव्यांग होते हैं, ऐसे बच्चों की पहचान करके उनका उचित तरीके से इलाज करवाया जाता है. वहीं इस प्रशिक्षण में सभी स्वास्थ्यकर्मियों को बीमारी का कैसे पता लगाया जाए, इसके बारे में चर्चा की गई. राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जिला अस्पताल, मेडिकल कॉलेज, उच्च संस्थानों में अलग से स्पेशल इलाज करवाने की सरकार द्वारा सुविधा दी गई है.

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योजना के तहत जिला अस्पताल से लेकर तमाम संस्थानों में सरकार की तरफ से दिव्यांग बच्चों की स्पेशल तरीके से केयर करने की भी सुविधा दी गई है. सरकार द्वारा ऐसे बच्चों का इलाज करवाने के लिए अलग से बजट भी उपलब्ध करवाया जाता है. जिससे इस राशि के सहयोग से दिव्यांग बच्चों की जांच कर इलाज किया जा सके. राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जिले में 2016 से अब तक करीब डेढ़ सौ से अधिक दिव्यांग बच्चों का इलाज करवाया जा चुका है, जो पूरी तरह से स्वस्थ हैं.

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योजना प्रभारी डॉ. पवन शर्मा ने बताया कि वर्तमान में दो या तीन से अधिक बच्चों के इलाज करवाने की अनुमति राज्य सरकार से मिली है लेकिन ऐसे बच्चों का इलाज करवाने के लिए उन्होंने रास्ता निकाला है. डॉक्टर पवन शर्मा अब ऐसे बच्चों का इलाज भामाशाह स्वास्थ्य योजना या किसी समाजसेवी संस्थाओं से संपर्क करके, इन बच्चों का इलाज करवा रहे हैं. डॉक्टर शर्मा गुजरात के सत्य साईं हॉस्पिटल से अब तक करीब 30 से अधिक बच्चों का नि:शुल्क इलाज भी करवा चुके हैं.

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