श्रीगंगानगर.पांच राज्यों में चुनाव के दौरान पेट्रोल-डीजल की कीमतों (petrol diesel price hike) पर लगा ब्रेक अब हट चुका है. इन दिनों पेट्रोल-डीजल की कीमत बढ़ने के कारण चारों ओर महंगाई को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. कोई इसके लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहा है तो कोई राज्यों की सरकारों की ओर से बढ़ाए गए वैट को इसका प्रमुख कारण बता रहा है, लेकिन इन सब के बीच हर रोज बढ़ रहे पेट्रोल-डीजल के भाव से आम आदमी परेशान है.
पेट्रोल का प्रयोग गरीब हो या अमीर हर व्यक्ति कर रहा है. ऐसे में पेट्रोल की कीमतों लगातार हो रही बढ़ोतरी से आम और खास हर आदमी प्रभावित हो रहा है. अलग-अलग राज्यों में पेट्रोल की कीमतों में अंतर देखने को मिल रहा है, लेकिन हिंदुस्तान में सबसे महंगा पेट्रोल पाकिस्तान से लगे सीमावर्ती जिले श्रीगंगानगर में बिक (petrol diesel rate in sriganganagar) रहा है. वहीं श्रीगंगानगर जिला मुख्यालय से 4 किलोमीटर दूर 17 रुपये प्रती लीटर सस्ता पेट्रोल मिल रहा है.
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पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगातार हो रहा इजाफा लोगों की जेब पर भारी पड़ रहा है. एक बार फिर तेल कंपनियों ने कीमतों में इजाफा कर आम आदमी को महंगाई की मार झेलने के लिए मजबूर कर दिया है. कीमतों में बढ़ोतरी के चलते राजस्थान के शहरों में भी पेट्रोल की दामों में आग लग गई है. प्रदेश के श्रीगंगानगर जिले में पेट्रोल के दाम 123 रुपए पार कर गए हैं. वहीं डीजल भी सौ का आंकड़ा पार कर चुका है. यहां बुधवार को पेट्रोल 123.16 रुपये प्रती लीटर तो वहीं डीजल 105.55 रुपए प्रती लीटर का भाव है. वहीं पेट्रोल प्रीमियम के भाव 126 रुपए प्रती लीटर के पार पहुंच चुके हैं.
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20 दिनों में 15 बार से ज्यादा बार बढ़े दाम
पेट्रोल-डीजल के भाव पिछ्ले 20 दिनों में करीब 15 बार से अधिक बढ़ चुके हैं. लगातार पेट्रोल डीजल के भावों में बढ़ोतरी होने से यहां के लोग पंजाब की सीमा की ओर रुख कर रहे हैं और वहीं से 17 रुपए सस्ते में पेट्रोल खरीद कर महंगाई से कुछ हद तक राहत मिल सके. वहीं ट्रांसपोर्टर इस बात से परेशान हैं कि एक ओर जहां तेल के भाव बढ़ रहे हैं वहीं दूसरी तरफ किराये-भाड़े में वृद्धि नहीं होने से उनकी कमाई धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है.
सरकारी दफ्तरों में करार कर किराये पर गाड़ियां चलाने वाले अमन सहारन बताते हैं कि पिछले एक साल में जिस तेजी से पेट्रोल-डीजल के भाव बढ़े हैं, उससे उनकी गाड़ियां घाटे में चल रही हैं क्योकिं सरकार की ओर से किराये में अभी तक कोई वृद्धि नही की गई है. इससे उन्हें घाटे में गाड़ियां चलानी पड़ रही हैं. ऐसे में सरकारी दफ्तरों में कॉन्ट्रैक्ट पर चल रही गाड़ियों के किराए नहीं बढ़ाए गए तो ये बंद करनी पड़ेंगी.