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श्रीगंगानगर: कोरोना संकट के बीच मनाई गई श्री गुरु नानक जयंती

श्रीगंगानगर में सोमवार को सिक्खों के पर्व गुरु नानक जयंती धूम-धाम से मनाई गई. कोरोना संकट के चलते इस बार इस जयंती पर गुरुद्वारा में भीड़ कम नजर आई. इसके साथ ही सरकार की गाइडलाइन को देखते हुए गुरु नानक जयंती ज्यादातर लोगों ने घरों में ही मनाई है.

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कोरोना संकट के बीच मनाई गई श्री गुरु नानक जयंती

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Published : Nov 30, 2020, 7:56 PM IST

श्रीगंगानगर. पंजाब सीमा से लगते पंजाबी कल्चर में रंगे श्रीगंगानगर में सिक्खों के पर्व गुरु नानक जयंती धूम-धाम से मनाई गई. कोरोना संकट के चलते इस बार इस जयंती पर गुरुद्वारा में भीड़ कम नजर आई. इसके साथ ही सरकार की गाइडलाइन को देखते हुए गुरु नानक जयंती ज्यादातर लोगों ने घरों में ही मनाई है. इस मौके पर गुरुद्वारा सिंह सभा में दर्शनों के लिए आने वाले श्रद्धालु को सैनिटाइजर व स्क्रीनिंग करने के बाद ही दरबार में प्रवेश दिया गया है.

कोरोना संकट के बीच मनाई गई श्री गुरु नानक जयंती

कोरोना संक्रमण के चलते गुरुद्वारा साहिब में संगत को लंगर चखने की इजाजत नहीं दी गई. श्रद्धालु ने गुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष नतमस्तक होकर इलाके की समृद्धि व खुशाली के लिए अरदास कर गुरु का आशीर्वाद प्राप्त किया. बता दें कि गुरु नानक देव जी ने जीवन के 3 मूल सिद्धांत बताएं हैं. पहला नाम जपना, दूसरा कीरत करना यानी कमाई करना और तीसरा वन्ढ छखना यानी बांटकर खाना.

श्री गुरु नानक देव जी ने कहा था कि इंसान के लिए सबसे पहला काम है परमेश्वर का नाम जपना. इंसान को जन्म मिला ही परमेश्वर के नाम का जाप करने के लिए है. परमेश्वर के नाम जपने से मन को शांति मिलती है जो नाम का जाप नहीं करते उनका जन्म व्यर्थ चला जाता है. दूसरा काम कीरत करने का मतलब कमाई करना है, ताकि परिवार का पालन-पोषण कर सके और वह कमाई अपने हक की हो.

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तीसरा काम वढ चखना है, मतलब बांट के खाना. हर इंसान को अपनी कमाई में से कम से कम दसवां हिस्सा परोपकार के लिए लगाना चाहिए, ताकि सभी मिल बांट कर खा सके लेकिन आज के इस कलयुग में शायद ही कोई गुरु नानक देव जी के सिद्धांतों पर चलता होगा. ऐसे में आज की नई पीढ़ी को गुरु नानक जी के सिद्धांतों को युवा कितना उतार पाते हैं यह बड़ा सवाल है.

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