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SPECIAL : दहेज, घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं को अब दर-दर नहीं भटकना पड़ेगा, महिलाओं की सुरक्षा के लिए है 'सखी'

सामाजिक सुरक्षा और महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सखी वन स्टॉप सेंटर की स्थापना की गई है. अब दहेज, घरेलू हिंसा या अन्य कारणों से पीड़ित महिलाओं को दर-दर भटकने की जरूरत नहीं पड़ेगी. सरकार की ओर से उन्हें सखी वन स्टॉप सेंटर में कानूनी सलाह से लेकर रहने और खाने तक की सुविधा मुहैया कराई जा रही है. जिले का पहला सेंटर जिला अस्पताल परिसर में संचालित है. यहां अब तक करीब 96 मामले आये है जिसमें से 82 विवादित मामलों का निपटारा किया जा चुका है.

सखी वन स्टॉप सेंटर, Sakhi One Stop Center
सखी दे रही है महिलाओं को घर बसाने का नया अवसर

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Published : Mar 18, 2021, 2:25 PM IST

श्रीगंगानगर.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिलाओं को संबल देने के लिए कई योजनाओं को लागू किया है. इसी के तहत सखी योजना के अंतर्गत केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से शुरू की गई सखी वन स्टॉप सेंटर योजना शारीरिक अथवा मानसिक हिंसा से पीडित,अल्प शिक्षित पीड़ित महिलाओं के लिए है. सामाजिक सुरक्षा और महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सखी वन स्टॉप सेंटर की स्थापना की गई है. सामाजिक बुराईयों को लेकर अक्सर महिलाओं को प्रताड़ित कर घर से बाहर निकाल दिया जाता है. इसी समय में उनके साथ कोई घटना घटने की संभावना भी बढ़ जाती है. एसी घटनाओं को रोकने और महिलाओं को सुरक्षा देने के लिए सखी योजना शुरू की गई है.

महिलाओं की सुरक्षा के लिए है सखी

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अब दहेज, घरेलू हिंसा या अन्य कारणों से पीड़ित महिलाओं को दर-दर भटकने की जरूरत नहीं पड़ेगी. सरकार की ओर से उन्हें सखी वन स्टॉप सेंटर में कानूनी सलाह से लेकर रहने और खाने तक की सुविधा मुहैया कराई जा रही है. जिले का पहला सेंटर जिला अस्पताल परिसर में संचालित है. यहां अब तक करीब 96 मामले आये है जिसमें से 82 विवादित मामलो का निपटारा किया जा चुका है. सखी सेन्टर में ना केवल दहेज प्रताड़ित,घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं की सुनवाई और देखभाल की जाती है बल्कि यहां बुजुर्ग, मानसिक दिव्यांग और अन्य कारणों से घर से निकली किशोरी और महिलाओं के लिए सेंटर में तमाम तरह की कानूनी सलाह से लेकर रहने की जगह दी जाती है.

पीड़ित महिलाओं को संबल देने का काम कर रही है सखी

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार ने सखी सेंटर में आने वाली पीड़ित महिलाओं को एक ही छत के नीचे तमाम सारी सुविधाएं देकर ना केवल उन्हें प्रताड़ना से बचाना है बल्कि समाज में मजबूती से मुकाबला कर जीवन जीने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. वन स्टॉप सेंटर का उद्देश्य परिवार समुदाय और कार्यस्थल पर हिंसा से प्रभावित निजी और सार्वजनिक स्थानों में प्रभावित महिलाओं का समर्थन करना है.

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विभाग ने 181 महिला हेल्पलाइन और अन्य मौजूदा सहायता लाइनों के साथ एकीकृत किया है. महिलाओं के खिलाफ किसी भी प्रकार के हिसाब से लड़ने के लिए एक छत के नीचे चिकित्सा, कानूनी, मनोवैज्ञानिक और परामर्श संहिता सहित कई सेवाओं के लिए तत्काल आपातकालीन और गैर आपातकालीन पहुंच की सुविधा प्रदान की है.सेंटर में पीड़ित महिलाओं को 5 से 10 दिन तक रखने की व्यवस्था है. सेन्टर में दो नर्स देखभाल के लिए मौजूद होगी तो वहीं तीन विधि स्नातक,काउंसलर और केयर टेकर सेन्टर में आने वाली पीड़ित महिलाओ की काउंसलिंग करके पीडित को उसके साथ हुई घटना से बाहर लाने की कोसिस की जाती है.

महिलाओं को दी जाती है हर प्रकार की सुविधा

श्रीगंगानगर के इस सखी वन स्टॉप सेंटर में लॉ ग्रेजुअट पायल सेतिया अब तक करीब 82 से अधिक पीडित महिलाओ को जीवन की नई दिशा दे चुकी है.पायल बताती है की यहां आने वाली महिलाए काफी हताश,निराश,परेशान होती है. जिसको अपनापन देकर सदमे से बाहर लाया जाता है. पायल की माने तो अधिकतर घरेलू झगड़ो की वजह से बात इतनी आगे बढ़ जाती है की महिलाओं को या तो मारपीट करके घर से निकाल दिया जाता है या महिला तंग परेशान होकर घर छोड़ने पर मजबुर हो जाती है.

पारिवारिक कलह का भी निवारण किया जाता है

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यहां आने वाली महिलाओं को सबसे पहले काउंसलर की मदद से काउंसलिंग की जाती है. उसके बाद दुसरे पक्ष को बुलाकर उनके बीच वार्ता करवाई जाती है.बात जब काउंसलिंग से नहीं बन पाती है तो बाकायदा महिलाओं की तरफ से अधिवक्ता न्यायालय में परिवाद दायर कर उनके कानूनी हक पर लड़ाई लड़ते हैं. पायल की माने तो अधिकतर मामले आपसी बातचीत से ही सुलट जाते हैं. यही कारण है कि गंगानगर के सखी सेंटर में अब तक अधिकतर मामले उनकी काउंसलिंग से निपटाए जा चुके हैं. एक परिवार पिछले दिनों तक बहु की छोटी-छोटी बातों में कमियां निकाल कर बिखराव की स्थिति में आ चुका था लेकिन सखी वन स्टॉप सेंटर में मिली काउंसलिंग के बाद अब इनका घर फिर से बस गया है.

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