सूरतगढ़ (श्रीगंगानगर). 67 साल के बुजुर्ग रघुवीर खोड़ 50 किलोमीटर तक दौड़ लगातार युवाओं को पीछा छोड़ देते है. अब तक वे मैराथन और हाफ मैराथन सहित नेशनल और राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में 32 से अधिक पदक जीत चुके हैं.
सूरतगढ़ के रघुवीर बने 50 की उम्र में मैराथन विजेता रघुवीर एक दिन के लिए सेना में जवान बनकर देश की सेवा करना चाहते हैं. इस आयु में दौड़ लगाना और खुद को फिजिकल फिट रखने का मुख्य उद्देश्य युवाओं को नशे से दूर रखकर स्वास्थ्य और खेल के प्रति जागरुक करना है. रघुवीर ने बताया कि उनकी बेटी और 2 बेटे हैं. साल 2014 के बाद 60 साल की आयु में दौड़ने का जुनून पैदा हुआ.
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रघुवीर सूरतगढ़ में अपनी बेटी के पास रहते हैं. हर दिन 15 से 20 किलोमीटर दौड़ लगाना उनके अभ्यास में है. रघुवीर खुद की जमीन पर खेती भी करते हैं. साथ ही प्रतिदिन अभ्यास और सेहतमंद खाना खाते है. रघुवीर लगातार दिल्ली, अहमदाबाद, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़ और बैंगलुरु सहित अन्य जगहों पर दौड़ में हिस्सा ले चुके हैं.
बुजुर्ग रघुवीर ने बताया कि साल 2013 में सीकर में पढ़ रहे पोते-पोतियों से मिलने जाते थे. इस दौरान वहां स्टेडियम ग्राउंड में युवाओं को दौड़ लगाते हुए देखकर प्रेरित हुए. शुरुआत में कुछ परेशानी आई, फिर धीरे-धीरे दौड़ना शुरु किया. अब बिना रुके मैराथन दौड़ पूरी कर लेते हैं. उन्होने बताया कि सादा जीवन और भोजन करने से यह संभव हो सका.
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सर्दी हो या गर्मी सुबह उठकर मॉर्निग वॉक पर जरुर जाते है. साल 2013 से लेकर अभी तक विभिन्न नेशनल और राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में 32 से अधिक स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक अपने नाम कर चुके हैं. यही नहीं 10 बार मैराथन और 5 बार हॉफ मैराथन दौड़ चुके हैं.
सबसे पहले 1500, 800 और 400 मीटर में पदक अपने नाम किए. पत्नी कमला भी उन्हे प्रोत्साहित करती है. बुजुर्ग रघुवीर ने बताया कि उन्हें सेना में जाकर देश की सेवा न कर पाने का आज भी मलाल है. एनसीसी की भर्ती में सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल ने भी इस आयु में उनकी स्फूर्ति देखकर तारीफ की.
रघुवीर ने बताया कि वे अवैतनिक पर एक दिन के लिए सेना में जाना चाहते हैं. इसके लिए वे सेना की ओर से किए जाने वाले सारे फिजिकल टेस्ट देने के लिए तैयार है. इसके लिए वे 29 नवबंर को रावतसर से दिल्ली तक 350 किलोमीटर का सफर साइकिल पर पूरा कर पीएम से मिलने के लिए जाएंगे. उनकी मांग है कि उन्हें एक दिन के लिए सेना में भर्ती किया जाए.