श्रीगंगानगर: कोरोना संक्रमण के दौरान लगे लॉकडाउन में जरूरतमंदों तक राशन पहुंचाने की जिम्मेवारी रसद विभाग पर है. रसद विभाग लॉकडाउन के दौरान ऐसे जरूरतमंदों को राशन किट और अनाज देने के दावे भी कर रहा है. लेकिन रसद विभाग के ये दावे अब खोखले नजर आ रहे हैं. क्योंकि ईटीवी भारत जब ग्राउंड में पहुंच कर ग्राणीमों से बात की तो सब कुछ सामने आ गया.
रसद विभाग के अधिकारी लॉकडाउन के दौरान हजारों किट वितरित करने का दावा कर रहे हैं. कोई भी गरीब और बेसहरा भूखा नहीं सोता ये दावा कर रहा है लेकिन ये दावे तब हवाई साबित होते दिखे जब जरूरतमंद और गरीब लोगों से हमारी बात हुई.
जिला रसद अधिकारी राकेश सोनी बताते हैं कि लॉकडाउन में रसद विभाग ने जरूरतमंदों को हजारों राशन किट का वितरण कर चुका है. लेकिन जरूरतमंद इस बात से दुखी है कि उन्हें रसद विभाग की तरफ से ना तो सूखा राशन कीट मिला और ना ही कभी पका हुआ भोजन की कोई व्यवस्था हुई.
रसद विभाग अधिकारियों की मानें तो लॉकडाउन एक के दौरान विभाग ने सर्वे करवाकर खाद्य सुरक्षा के पात्रों के अलावा ऐसे जरूरतमंदों को भी राशन किट वितरित किए जो सरकार की किसी योजना में शामिल नहीं थे. जिला रसद अधिकारी राकेश सोनी की मानें तो लॉकडाउन एक में ऐसे 2 हजार 350 राशन किट वितरण किए गए थे जिनमें 10 किलो आटा के साथ नमक, मिर्च और दाल भी शामिल थी.
विभाग ने ये किट कोविड फंड के तहत प्रति किट 500 रुपए के हिसाब से खरीदे थे. लेकिन किन जरूरतमंदों तक ये किट पहुंचे यह विभाग के अधिकारी ही बता सकते हैं. इसी तरह लॉकडाउन-2.0 में रसद विभाग ने करीब 1 हजार 819 सूखा राशन की किट 444 रुपए प्रति के हिसाब से खरीद कर जरूरतमंदों तक पहुंचाने का दावा किया. लेकिन राशन लेने वाले जरूरतमंद ईटीवी भारत के कैमरे पर राशन नहीं मिलने की पीड़ा बता रहे हैं साथ ही रसद विभाग के दावों पर सवाल खड़े कर रहे हैं.