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सुविधाएं नहीं मिलने पर आक्रोशित हुआ पैरामेडिकल स्टाफ, मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन

कोरोना काल में नर्सेज और पैरामेडिकल स्टाफ से जुड़े कोरोना वॉरियर्स लगातार लोगों को अपनी सेवाएं दे रहे हैं. लेकिन कोरोना वॉरियर्स के लिए ठहरने और खाने-पीने की समुचित व्यवस्था नहीं की जा रही है. जिसे लेकर बुधवार को कर्मचारियों ने जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा.

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पैरामेडिकल स्टाफ ने सुविधाएं नहीं मिलने पर सौंपा मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन

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Published : Oct 21, 2020, 8:25 PM IST

श्रीगंगानगर. राजस्थान नर्सेज एसोसिएशन जिला शाखा श्रीगंगानगर ने कोविड-19 में ड्यूटी दे रहे नर्सेज और पैरामेडिकल स्टाफ से जुड़े कोरोना वॉरियर्स को ठहरने और खाने-पीने की समुचित व्यवस्था नहीं मिलने से नाराज होकर जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा है. एसोसिएशन पदाधिकारियों ने नाराजगी जाहिर करते हुए आक्रोश प्रकट किया है.

पैरामेडिकल स्टाफ ने सुविधाएं नहीं मिलने पर सौंपा मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन

ज्ञापन में बताया गया कि राजकीय जिला चिकित्सालय श्रीगंगानगर में कोविड-19 हॉस्पिटल में कार्यरत नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ के ठहरने के लिए जिस धर्मशाला को जिला प्रशासन ने अधिग्रहण कर रखा है. वहां व्यवस्था उचित नहीं है, इसलिए कोरोना में रात दिन ड्यूटी दे रहे कोरोना वॉरियर्स को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

करोना में कार्यरत नर्सेज और पैरामेडिकल स्टाफ को मिशन निदेशक एनएचएम चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवाएं जयपुर की ओर से जारी किए गए. सभी दिशा निर्देशानुसार के अनुसार समुचित व्यवस्था करवाई जाए ताकि कोरोना वॉरियर्स किसी प्रकार के संकट में ना आए.

एसोसिएशन पदाधिकारियों ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी और जिला प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि कोरोना में ड्यूटी दे रहे नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ के लिए राज्य सरकार की ओर से रोजाना 1,500 रुपए प्रति व्यक्ति के हिसाब से बजट दिया जा रहा है, लेकिन नसीब में पैरामेडिकल स्टाफ के लिए की गई व्यवस्था देखकर लगता है कि वहां व्यव्स्था नाम की कोई चीज नहीं है.

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उन्होंने कहा कि प्रति व्यक्ति 1,500 रुपए के हिसाब से मिल रहे बजट का इस्तेमाल ना करते हुए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी बजट को खुर्द-बुर्द करने में लगे हुए हैं. वहीं, कोरोना वोरियर्स को उचित सुविधाएं ना देकर उनकी जान जोखिम में डाली जा रही है.

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