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International Yoga Day: शौक को बनाया जीवन का मूलमंत्र, एक झटके में छोड़ी सरकारी नौकरी - राजस्थान समाचार

कोई भी व्यक्ति सरकारी नौकरी हासिल करने के लिए कठिन परिश्रम करता है, मगर फिर भी कई बार सफलता नहीं मिलती है. अगर सरकारी नौकरी पाने के बाद इंसान अपनी खुशी के लिए मोटे वेतन की सरकारी नौकरी छोड़ दे, तो आप क्या कहेगें. यहीं न कि सरकारी नौकरी बड़ी मुश्किल से मिलती है, नौकरी से जिंदगी अच्छी चलेगी. ये सुनने में हर किसी को हैरान करने वाली बात लगेगी, लेकिन ये हकीकत है कि एक शख्स ने योग प्रेम के चलते एक झटके में सरकारी नौकरी को छोड़ दी.

International Yoga Day 2021, International Yoga Day
योग सिखाते राजेंद्र कुमार नागपाल

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Published : Jun 21, 2021, 6:03 AM IST

श्रीगंगानगर. एक ओर जहां आपाधापी के माहौल में हर व्यक्ति ज्यादा पाने की जुगत में लगा हुआ है, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो संतोष के साथ जीवन व्यतीत कर रहे हैं. ऐसे लोग भी मिल जाएंगे, जो खुद की शांति के अलावा लोगों को स्वस्थ रखने के लिए अपना सब कुछ लूटा देते हैं. ऐसे ही एक शख्स हैं राजेंद्र कुमार नागपाल, जिन्होंने शुरू-शुरू में योगभ्यास को शौक के रूप में अपनाया, लेकिन जब एक बार लगाव हो गया तो लोगों को निरोग करने के लिए उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी तक छोड़ दी.

श्रीगंगानगर शहर में रहने वाले राजेंद्र कुमार नागपाल बताते हैं कि शुरुआत में तो स्वयं के स्वास्थ्य लाभ के लिए योगाभ्यास शुरू किया, धीरे-धीरे जब खुद को लाभ मिलना महसूस हुआ तो लगा कि अपने आसपास के लोगों को भी योग से जोड़ना चाहिए. इस बीच जब लगा कि उनकी प्रिंसिपल की सरकारी नौकरी के साथ-साथ लोगों को योग का ज्ञान देना संभव नहीं हो पाएगा, तो मैंने खुशी से सरकारी नौकरी को अलविदा कह दिया.

योग सिखाते राजेंद्र कुमार नागपाल

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जीवन के बारे में अपनी स्पष्ट सोच को जाहिर करते हुए राजेंद्र कहते हैं कि जीवन-यापन के लिए जितना चाहिए वो सब कुछ मेरे पास है. दाल-रोटी की कमी तो पेंशन से पूरी हो जाएगी और अब शेष बचे जीवन में कुछ अलग हटकर करना है जिससे लोगों का भला हो सके. ईश्वर ने मनुष्य जीवन दिया है तो इससे लोगों का भी भला करना चाहिए खुद के भले के लिए तो पूरी दुनिया दौड़ ही रही है. हमें अपने विचारों को बदलकर कुछ अलग करना होगा. राजेंद्र इन दिनों लोगों के विशेष आग्रह पर श्रीगंगानगर के विनोबा बस्ती पार्क में योग शिविर चला रहे हैं.

लॉकडाउन के चलते जब उनका योग शिविर प्रभावित होने लगा, तो सीखने वालों ने फोन पर लगातार संपर्क बनाए रखा और राजेंद्र ने भी फोन से ही योगासनों को सिखाना जारी रखा. राजेंद्र के घर में तमाम भौतिक सुख सुविधाओं के बावजूद ये कुदरत के ज्यादा से ज्यादा नजदीक रहने में विश्वास रखते हैं. घर में भले ही डबल बेड है, लेकिन नागपाल आज भी मूंज की बनी हुई चारपाई पर ही सोते हैं. सुनकर आपको आश्चर्य होगा, लेकिन राजेंद्र के घर में आज भी भोजन मिट्टी के बर्तन में पकाया जाता है. राजेंद्र का मानना है कि खानपान व कुदरत के नियमों का पालन व्यक्ति के जीवन पर अपना प्रभाव रखते हैं.

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