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श्रीगंगानगर: घग्गर बहाव क्षेत्र में पानी की आवक, किसानों के चेहरों पर लौटी रौनक - घग्गर बहाव क्षेत्र

श्रीगंगानगर के सूरतगढ़ उपखंड में घग्गर बहाव क्षेत्र में शनिवार को पानी की आवक होने पर किसानों के चेहरों पर रौनक लौट आई. जिसके बाद धान (चावल) का उत्पादन करने वाले किसान नाली में पानी आने का इंतजार कर रहे थे ताकि वो धान की रोपाई कर सके.

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घग्गर बहाव क्षेत्र में हुई पानी की आवक

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Published : Jul 18, 2020, 8:13 PM IST

सूरतगढ़ (श्रीगंगानगर).घग्गर बहाव क्षेत्र में शनिवार को पानी की आवक होने पर किसानों के चेहरों पर रौनक लौट आई. जिसके बाद धान (चावल) का उत्पादन करने वाले किसान नाली में पानी आने का इंतजार कर रहे थे, ताकि वो धान की रोपाई कर सके.

दरअसल, धान की रोपाई का समय 10 से 30 जुलाई तक उपयुक्त माना गया है. हालाकि किसान 15 अगस्त तक धान की रोपाई करते हैं. किसानों के मुताबिक सुबह पानी सूरतगढ़ सीमा के रेलवे घग्गर पुल से क्रॉस कर गया था, जो शाम तक अमरपुरा गांव पहुंचने के बाद जैतसर सीमा में प्रवेश कर जाएगा. बहाव क्षेत्र में 2500 क्यूसेक पानी की आवक होने पर नाली बेल्ट और जीबी क्षेत्र के किसान धान की रोपाई 10 दिन में कर सकेंगे.

घग्गर बहाव क्षेत्र में हुई पानी की आवक

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किसानों ने बताया कि गत वर्ष 21 जुलाई को बहाव क्षेत्र मे पानी की आवक हुई थी. लेकिन इसबार 3 दिन पहले पानी आने से किसान समय पर धान की रोपाई कर सकेंगे. तहसील क्षेत्र के गांव 45 एसटीजी, 35 पीबीएन, नई बारेंका और पुरानी बारेंका, रंगमहल, मानकसर, अमरपुरा और सीलवानी नाली क्षेत्र में 12 से 13 हजार हेक्टेयर में किसान 1121, 1110, 1509 और मूंछल किस्म के धान का उत्पादन करते हैं.

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वहीं, जैतसर, जीबी क्षेत्र और अनूपगढ़ तक किसान धान की पैदावार करते हैं. किसानों के मुताबिक पिछले वर्ष 12 से 14 क्विंटल प्रति बीघा धान (चावल) की पैदावार हुई थी कि इस बार समय पर पानी की आवक होने से रोपाई का क्षेत्रफल बढ़ने और उत्पादन अच्छा रहने की उम्मीद है. किसानों ने बताया कि धान की रोपाई के लिए श्रमिक पर्याप्त संख्या में उपलब्ध हैं. आसपास के गांवों के श्रमिक 1700 से 1800 रुपए प्रतिबीघा के हिसाब से धान की रोपाई कर रहे हैं.

किसानों को मिली राहत...

कृषि वैज्ञनिकों के मुताबिक घग्गर बहाव क्षेत्र के पानी में पौष्टिक और गुणकारी तत्व होते हैं. इससे धान की बढ़वार अधिक होती है. पकाव और उत्पादन अच्छा होता है. धान को पर्याप्त पानी की जरूरत होती है जिसकी बहाव क्षेत्र में आने वाले पानी से पूर्ति होने से किसानों को लागत कम होती है.

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