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कैसे होगा स्वच्छ भारत मिशन साकार...शौचालय तो है पर सफाई नहीं

पीएम मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत 2014 में 1 करोड़ शौचालय बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया था. 2020 खत्म होने को है पर स्वच्छ भारत की परिकल्पना अभी कोसो दूर नजर आ रही है. स्वच्छ भारत अभियान के तहत सार्वजनिक शौचालय का निर्माण करवाए गए लेकिन श्रीगंगानगर में बने सार्वजनिक शौचालय इस अभियान की धज्जियां उड़ा रहे हैं.

श्रीगंगानगर न्यूज, rajasthan news
श्रीगंगानगर के सार्वजनिक शौचालय की हालत बदहाल

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Published : Nov 26, 2020, 2:35 PM IST

श्रीगंगानगर. पीएम मोदी के स्वच्छता संदेश के बाद शहर से लेकर गांव तक स्वच्छता अभियान चलाया गया. अभियान के तहत शहरों में नगर निगम, नगर परिषद और नगर पालिकाओं ने भी सफाई अभियान चलाकर स्वच्छता पर जोर दिया. स्वच्छ भारत शहरी के तहत शहरों में सार्वजनिक स्थानों पर महिला और पुरुषों के लिए शौचालय निर्माण करवाने के लिए सरकार ने शहरी संस्थाओं को खूब बजट दिया लेकिन कई जगहों पर निर्मित सार्वजनिक शौचालय 2014 में शुरू किए गए अभियान का माखौल उड़ा रहा है.

श्रीगंगानगर के सार्वजनिक शौचालय की हालत बदहाल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में राष्ट्रीय स्तर पर स्वच्छ भारत मिशन अभियान की शुरूआत की थी. इस अभियान के तहत 2019 तक स्वच्छ भारत की परिकल्पना को साकार करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. इस मिशन के तहत भारत में 1 करोड़ शौचालय बनाने की घोषणा की गई.

बंद पड़े शौचालय

स्वच्छ भारत मिशन को दो भाग में बांटा गया-

स्वच्छ भारत ग्रामीण- इसके तहत गांवों को खुले में शौच से मुक्त करने की योजना है. जिसके लिए गांवों में हर घर में शौचालय निर्माण पर जोर दिया गया.

स्वच्छ भारत शहरी- घरों के अलावा सार्वजनिक जगहों पर भी शौचालय हो, जिससे आमजन को सुविधा मिले.

इस अभियान के तहत श्रीगंगानगर में जगह-जगह सार्वजनिक शौचालय का निर्माण करवाया गया. जिससे आमजन को सुविधा भी मिले और खुले में मूत्र विसर्जन पर रोक लगे लेकिन श्रीगंगानगर में आमलोगों की सुविधा के लिए बनाए गए ये शौचालय उनके लिए मुसीबत बन गए हैं. नगर परिषद ने करोड़ों रुपए खर्च करके शौचालय तो बना दिए लेकिन इन शौचालय की सफाई कभी करवाई नहीं गई. जिसके चलते अब ये दुर्गंध मारने लगे हैं. यहां कोई इस शौचालय का उपयोग तो दूर इसके पास से फटकना भी पसंद नहीं करता.

शौचालय के पास पड़ा कचरा

कहीं ताले लटके, तो कहीं गंदगी का अंबार

ये हाल श्रीगंगानगर के मुख्य बस अड्डे और सूचना केंद्र के पास बने शौचालय का भी है. इसी तरह मिनी मायापुरी मार्केट में स्थापित किए गए शौचालय पर कहीं ताले लटके हैं तो कहीं शौचालयों पर रखी पानी की टंकियों में पानी नहीं है. जिसकी वजह से अब ये शौचालय दुर्गंध मार रहे हैं. हालत यह है की बदबू के चलते राहगीरों का इन शौचालयों के आगे से निकलना भी मुश्किल है. फैमिली कोर्ट के पास लगे शौचालयों पर ताले लटके हुए है.

परेशान होकर मिनी मायापुरी में लोगों ने बनवाया शौचालय

वहीं मिनी मायापुरी के पास के पब्लिक टायलेट में फैली गंदगी से आसपास के दुकानदारों परेशान थे. वहीं उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा था. जिसके बाद तंग आकर दुकानदारों ने आपसी सहयोग से शौचालय बनवाए हैं.

इन दुकानदारों की माने तो नगर परिषद द्वारा लगवाए गए शौचालय कि कभी सफाई नहीं हुई. अक्सर यहां पर शराबी बैठ कर शराब पीते थे. जिसके चलते इस रास्ते से महिलाओं का गुजरना भी बड़ा मुश्किल हो गया था.

गंदगी से अटा पड़ा टॉयलेट

लोगों में रोष

श्रीगंगानगर वासियों का साफ तौर पर कहना है कि नगर परिषद द्वारा शहर के विभिन्न एरिया में लगवाए गये शौचालयों का यही हाल है. ऐसे में यह शौचालय बजट खपाने के लिए रखे गए थे ना कि स्वच्छ भारत अभियान के तहत स्वच्छता का संदेश देने के लिए.

सभी जगह नहीं हो रहा शौचालय का उपयोग

उपसभापति ने कहा मामले को बोर्ड बैठक में रखा जाएगा

नगर परिषद उपसभापति लोकेश मनचंदा का भी कहना है कि सार्वजनिक टॉयलेट्स के हाल बदहाल हैं. हालांकि, लोकेश कहते हैं कि इनकी साफ सफाई क्यों नहीं हुई है, इसकी जांच करवाई जाएगी.

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उपसभापति मनचंदा कहते हैं कि नगर परिषद द्वारा लगवाए गए शौचालय का बजट कितना खफाया गया है, इसकी जानकारी लेकर मामले को बोर्ड बैठक में रखा जाएगा. शौचालय लगवाने व इनकी साफ-सफाई नहीं होने के मामले में भ्रष्टाचार की बू आ रही है. जिसकी जांच करवा कर मामले को उजागर किया जाएगा.

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