श्रीगंगानगर. एक तरफ पंजाब की सीमा तो दूसरी तरफ गंगनहर के किनारे साधुवाली ग्राम पंचायत बसी हुई है. साधुवाली ग्राम पंचायत में 5 हजार 589 मतदाता हैं और यहां की जनसंख्या करीब 9 हजार से ज्यादा है. पंजाब से जोड़ने वाला नेशनल हाईवे 62 के बीच से गुजरने की वजह से यहां हर समय खतरा और ज्यादा बना रहता है. हाई रिस्क जोन में आने वाली साधुवाली ग्राम पंचायत के ग्रामीणों के लिए कोरोना वायरस से बचना चुनौती है, लेकिन ग्रामीणों ने हार नहीं मानी है हर मोर्चे पर कोरोना से जंग लड़ रहे हैं.
साधुवाली ग्राम पंचायत के किनारे ही पंजाब सीमा का नाका लगा है. लॉकडाउन के दौरान पंजाब और राजस्थान के दूसरे जिलों से बड़ी संख्या में लोगों का यहां आना-जाना लगा रहा है. जब हम इस गांव में पहुंचे, तो गांव की ज्यादातर गलियां सूनी नजर आई, लेकिन नेशनल हाईवे पर अब भी बड़ी संख्या में वाहन गुजरते दिखे.
किसान खेतों में ट्रैक्टर लेकर जाते दिखे तो वहीं ग्रामीण अपने जरूरी काम के लिए घर से बाहर आते जाते नजर आए. गांव में जो दुकानें खुली थी, वहां पर ज्यादा भीड़ नजर नहीं आई. हम आगे बढ़े तो एक युवक गन्ने का जूस पिलाता हुआ दिखा, इस दौरान युवक ने अपने हाथों में ग्लव्स और मुंह में मास्क लगा रखा था, साथ ही समय-समय पर सैनिटाइजर का प्रयोग कर रहा था.
गांव के उप सरपंच राकेश विश्नोई से हमने मुलाकात की तो उन्होंने बताया कि साधुवाली गांव में जिला प्रशासन ने रिलीफ कैंप बनाया है, जिसकी वजह से ग्राम पंचायत हाई-रिस्क में आ गई है. उन्होंने बताया कि गांव के स्कूल में बनाए गए रिलीफ कैंप में दूसरे राज्यों और जिलों से आने वाले लोगों को रोककर स्क्रीनिंग के बाद उन्हें घर भेजते हैं. उप सरपंच ने बताया कि गांव में कोरोना वायरस से जागरूकता के लिए मंदिर और गुरुद्वारे से रोजाना आवाज लगाई जाती है और बाहर से आने वाले लोगों पर नजर रखकर उन्हें क्वॉरेंटाइन किया जाता है.
वहीं क्वॉरेंटाइन की पालना करवाने के लिए ग्राम पंचायत अपने स्तर पर सख्ती से कदम उठा रही हैं. मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करवाई जा रही है. इसके बाद गांव में स्थित हलवाई की दुकान पर पहुंचें. वहां हलवाई राजाराम ने बताया कि लगातार सोशल डिस्टेंसिंग की पालना कराई जा रही है, लेकिन फिलहाल दुकान में ग्राहक कम आ रहे हैं. जिसकी वजह से सोशल डिस्टेंसिंग की पालना भी आसानी से हो जा रही है. गांव की अगली गली में हम पहुंचें तो देखा की राशन डिपो पर गेहूं लेकर कुछ महिलाएं जा रही हैं, लेकिन यहां खास बात यह थी कि सभी के मुंह पर मास्क लगा था.
अब हम स्वस्थ्य व्यवस्था का जायजा लेने के लिए उप स्वास्थ्य केंद्र पहुंचें, जहां नर्सिंग स्टाफ, आशा से मिले. आशा सहयोगिनी सुनीता वर्मा ने बताया कि साधुवाली गांव में बाहर से आने वाले लोगों को रोकने के लिए सेंटर बनाया गया है. लगातार रैंडम सर्वे और सैंपलिंग की जा रही है. वहीं गांव हाई रिस्क में होने के कारण घरों और स्कूलों में बाहर से आने वाले लोगों को क्वॉरेंटाइन किया जा रहा है. जायजा लेने के लिए हम रिलीफ कैंप पहुंचे. यहां हम जानना और देखना चाहते थे कि आखिर सुविधाएं सही है या नहीं.
बाहर से आने वालों के लिए होम क्वॉरेंटाइन
रिलीफ कैंप में हमें कोई व्यक्ति तो नहीं मिला, लेकिन दो अध्यापिका मिलीं जो की यहां पर ड्यूटी पर तैनात थीं. स्कूल अध्यापिका वीणा सेठी ने बताया कि जिले के बाहर से आने वाले मरीजों के लिए स्कूल को रिलीफ केंद्र बनाया गया है. यहां रुकने वाले मजदूरों की स्क्रीनिंग से लेकर खाने-पीने तक की व्यवस्था की जाती है. उन्होंने बताया कि गांव में जो लोग बाहर से आए हैं उन्हें घरों में क्वॉरेंटाइन कर उन पर नजर रखी जा रही है. वहीं अध्यापिका संदीप कौर ने बताया कि गांव में बाहर से करीब 70 लोग आ चुके हैं. सभी को 14 दिन के लिए होम क्वॉरेंटाइन किया गया है.