श्रीगंगानगर.कई कस्बों से होकर गुजरने वाली नहरों पर बसे लोग गंदगी और मलमूत्र डालकर पानी को दूषित कर रहे हैं. नहरों में गंदगी डालने की वजह से अब इनका पानी पीने योग्य भी नहीं रहा है. नहरों को प्रदूषण मुक्त करवाने के लिए मामला ग्रीन ट्रिब्यूनल तक पहुंचा, लेकिन अब भी प्रदूषण जारी है. शहर के बीचो-बीच से निकलने वाली ए-माइनर नहर को प्रदूषित करने के लिए आम नागरिक कम जिम्मेदार नहीं है.
हालांकि, ग्रीन ट्रिब्यूनल नहरों को प्रदूषित करने वालों की निशानदेही कर जुर्माना वसूलने के आदेश भी दिए. लेकिन सिंचाई और जलदाय विभाग ने अब भी नहरों को दूषित करने वालों के खिलाफ सख्ती नहीं दिखाई है, जिसके चलते ये नहरें दूषित हो चुकी हैं. गंगनहर में पंजाब से गंदा और औद्योगिक फैक्ट्रियों का अपशिष्ट डालने से पानी दूषित हो रहा है. वहीं पदमपुर कस्बे से निकलने वाली बीबी माइनर में गंदे पानी का गिरना जारी है. श्री विजयनगर, राम सिंहपुर, राय सिंहनगर और रावला मंडी कस्बे से होकर गुजरने वाली नहरों के आसपास बसे लोगों ने पानी को प्रदूषित कर दिया है, जिससे इन नहरों का पानी अब पीने योग्य नहीं है. ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश की पालना में इन सभी नहरों को प्रदूषण से मुक्त करने के आदेश भी आए, लेकिन हुआ कुछ भी नहीं.
गंगनहर दिन-ब-दिन होती जा रही प्रदूषित यह भी पढ़ें:स्पेशल : काजरी के जीरे की नई किस्म देगी मुनाफा, किसानों को कम समय में मिलेगी भरपूर फसल
लाखों की आबादी होती है प्रभावित
श्रीगंगानगर से होकर गुजरने वाली नहरें 10 लाख से अधिक की आबादी को सीधे तौर पर प्रभावित करती हैं. शहर से निकलने वाली ए माइनर के सभी नौ चक और गांव दूषित पानी पी रहे हैं. पदमपुर कस्बे के 22 बीबी गांव से आगे सभी चक और छोटे गांव सहित लगभग 50 चक दूषित पानी पी रहे हैं. करणी जी नहर के श्री विजयनगर कस्बे से 93 जीबी तक सभी 123 चक दूषित पानी पी रहे हैं. अनूपगढ़ शाखा से निकलने वाली केजेडी नहर लगभग ढाई सौ चकों की आबादी, रावला और मंडी में 365 चक के लोग दूषित पानी पी रहे हैं.
लाखों की आबादी होती है प्रभावित नहरों को प्रदूषण मुक्त करने के लिए हाईकोर्ट ने ए माइनर से अतिक्रमण हटाने के लिए जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को आदेश दिए थे. उसके बाद जल संसाधन विभाग ने श्री विजयनगर मंडी में करणी माइनर, राम सिंहपुर में मंडी माइनर, राय सिंहनगर से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई थी. भारतीय किसान संघ ने ए माइनर सहित जिले की चार नहरों से कब्जे हटाने के लिए अपील की थी. जिले की नहरों का पानी अब सीधे पीने लायक नहीं रहा है. प्रदूषित होने से पानी में बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ती जा रही है.
यह भी पढ़ें:स्पेशल रिपोर्ट: एयर लेयरिंग विधि से तैयार किया जा रहा झालावाड़ में इलाहाबादी अमरूद, जानें कैसे लगाए जाते हैं पौधे...
जिले की अधिकतर नहरें प्रदूषित हो चुकी हैं, जिसके चलते अब इन नहरों का पानी सीधे तौर पर पीने से जानलेवा साबित हो सकता है. जलदाय विभाग और पानी जांच करने वाली लैब अधिकारियों की माने तो जिले में 2 हजार 400 कॉलीफॉर्म तक का पानी पीने योग्य नहीं है. नहरों में औद्योगिक अपशिष्ट और गंदगी डालने से पानी प्रदूषित हो रहा है. हैवी मेटल्स पानी में आने से लोगों में भयंकर बीमारियां हो रही हैं. जलदाय विभाग के अधिकारियों की माने तो पानी को साफ करने के लिए शहरी क्षेत्र में क्लोरीन गैस और ग्रामीण क्षेत्रों में ब्लीचिंग पाउडर डालकर पानी शुद्ध किया जाता है. हालांकि वे कहते हैं कि नहरों का सीधा पानी पीने से जानलेवा साबित हो सकता है. क्योंकि यह पानी इतना ज्यादा प्रदूषित हो चुका है कि मनुष्य को सीधा नहरों से पीने पर नुकसान उठाना पड़ सकता है.