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श्रीगंगानगर: घड़साना में अतिक्रमण हटाने को लेकर किसानों ने किया विरोध - उच्च न्यायालय राजस्थान जयपुर

श्रीगंगानगर जिले के घड़साना क्षेत्र में जोहड़ पायतन हुये अतिक्रमण को हटाने के आदेश के बाद किसानों ने इसका विरोध करते हुये मुख्यमंत्री के नाम उपखंड अधिकारी को ज्ञापन दिया है. किसानों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए जोहड़-पायतन की भूमि को पहले अलॉट करके खातेदारी देने और अब अतिक्रमण मानकर उसे खाली कराने के आदेश पर विरोध जताया है.

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अतिक्रमण हटाने को लेकर किसानों ने किया विरोध

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Published : Feb 20, 2020, 10:57 AM IST

श्रीगंगानगर. जिले के घड़साना क्षेत्र में जोहड़ पायतन हुये अतिक्रमण को हटाने के आदेश के बाद किसानों ने इसका विरोध करते हुये मुख्यमंत्री के नाम उपखंड अधिकारी को ज्ञापन दिया है. किसानों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए जोहड़-पायतन की भूमि को पहले अलॉट करके खातेदारी देने और अब अतिक्रमण मानकर उसे खाली कराने के आदेश पर विरोध जताया है.

अतिक्रमण हटाने को लेकर किसानों ने किया विरोध

उपखंड कार्यालय का घेराव करते हुये किसानो ने मुख्यमंत्री के नाम उपखंड अधिकारी को ज्ञापन दिया. ज्ञापन में उल्लेख है, कि उच्च न्यायालय के आदेश की सही व्याख्या करते हुए इंदिरा गांधी नहर परियोजना क्षेत्र एरिया में दशकों पहले नहरे,वितरिकायें,नालों का जाल बिछाने पर यहां जोहड़ पायतन का अस्तित्व और महत्व समाप्त हो चुका है.

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फिर भी क्षेत्र के उन किसानों की भूमि को जोहड़ पायतन की भूमि मानते हुए 50 वर्ष बीत जाने के बाद किसानों को बेदखल करने की कार्रवाई की जा रही है जो बिल्कुल सही नही है. वहीं उच्च न्यायालय राजस्थान जयपुर पीठ के आदेश के मुताबिक प्राकृतिक जल स्रोतों तक बरसात का पानी पहुंचाने वाले साधन और जोहड़ नाला,तालाब व नदी आदि में उनके एरिया से पानी एकत्रित होता है जिसकी सुरक्षा करना अति आवश्यक है.

इसी परिपेक्ष में उच्च न्यायालय द्वारा उनके आदेश पर वर्ष 1955 की स्थिति अप्राकृतिक जल स्रोत कायम करने हेतु राज्य सरकार को आदेशित दिया गया है. प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है कि जब सरकार ने भूमि अलॉट कर किसानों से अलॉटमेंट की राशि वसूल कर ली है तो ऐसे में अब उस जगह को अतिक्रमण मानते हुए खाली करवाना न्याय संगत नहीं है.

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वहीं उन्होंने कहा कि किसानों के साथ-साथ उन अधिकारियों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए जो इस भूमि को वर्षों पहले अलॉटमेंट की थी. अलॉटमेंट की गई भूमि नियम कायदों के तहत अधिकारियों ने की थी तो अब उसे अतिक्रमण मानकर खाली करवाया जाना किसानों के साथ धोखा है.

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