श्रीगंगानगर.राजस्थान में ही नही देशभर में श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ जिले कॉटन बेल्ट के नाम से जाने जाते है. यहां की कॉटन क्वालिटी बेहतरीन होने के चलते विदेशो तक अपनी छाप छोड़ी है. लेकिन कॉटन के भाव ना मिलने से अब किसानों का कॉटन की फसल से मोहभंग होता जा रहा है. यहीं कारण है की किसान अब कॉटन को घाटे का सौदा बताकर दूसरी फसले लेने की बात कह रहे हैं.
श्रीगंगानगर की अनाज मंडी में इन दिनों ग्वार, मूंग के साथ-साथ नरमे की ढेरियां लगी हुई नजर आएंगी. नरमें को यहां पर सफेद सोना कहा जाता है. इसी सफेद सोने के अच्छे उत्पादन और अच्छे भाव ने क्षेत्र के किसानों और व्यापारियों को बीते सीजन में मालामाल किया था. पिछले साल नरमे के भाव सभी रिकॉर्ड तोड़ते हुए 7000 प्रति क्विंटल तक पहुंच गए थे. लेकिन इस साल इसके दाम 5665 रुपए से पार नहीं हो पाए है. अभी अनाज मंडी में नरमे का भाव 5100 सो रुपए प्रति क्विंटल से 5500 रुपए प्रती किवंटल बिक रहा है. जिसमें किसानों को लागत तक वसूल नहीं हो पा रही.
इंतजार के बावजूद नहीं बदली किस्मत
कहते हैं कि किसान फसल बेचते समय बुद्धिमानी से काम नहीं लेता और फसल काटते ही मंडी में लेकर पहुंच जाता है. नरमा उगाने वाले किसानों ने इस बार धारणा को पलट दिया और महीनों तक भाव बढ़ने का इंतजार भी किया, लेकिन नरमे की फसल के भाव किसानों की किस्मत नहीं बदल पाए. महीनों इंतजार के बाद भी नरमे के भाव में कोई तेजी नहीं आई. इसके पीछे सीसीआई (भारतीय कपास निगम) की नीतियों को भी माना जा सकता है.
पढ़ेंःअलविदा 2020 : सियासी उठापटक वाला रहा साल 2020...आक्रमक दिखी BJP, ये रहे प्रमुख घटनाक्रम
साल भर रही मौसम की मार
इस बार श्रीगंगानगर जिले में कॉटन की बुआई एक लाख 89 हजार 544 हेक्टेयर में हुई और 2473096 गांठे एक गांठ 170 किलोग्राम उत्पादन का आंकलन किया गया. इस बीच जुलाई अगस्त में पर्याप्त बारिश नहीं हुई.सितंबर,अक्टूबर में अत्यधिक तापमान सफेद मक्खी का प्रकोप से कॉटन की फसल को नुकसान हुआ. कृषि विभाग के अनुसार पिछले वर्ष की तुलना में इस साल 8 से 10 प्रतिशत कॉटन का उत्पादन कम होने का अनुमान है. इस कारण कॉटन बेल क्षेत्र में सफेद सोना की चमक इस बार फीकी है.