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Special : लागत से भी कम दाम, 'सफेद सोना' से श्रीगंगानगर के किसानों का मोहभंग - श्रीगंगानगर में कपास की खेती

देशभर में कॉटन बेल्ट से मशहूर श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ जिले के किसानों का अब इस फसल से मोहभंग होता नजर आ रहा है. क्वालिटी बेहतरीन होने के चलते यहां की कॉटन ने विदेशों तक अपनी छाप छोड़ी है. लेकिन अब किसान कॉटन उत्पादन को घाटे का सौदा बताकर दूसरी फसलें लेने की बात कह रहे हैं. पढ़ें ये रिपोर्ट...

cotton crop sri gangangar, श्रीगंगानगर में कॉटन खरीद
cotton crop sri gangangar, श्रीगंगानगर में कॉटन खरीद

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Published : Dec 26, 2020, 1:31 PM IST

श्रीगंगानगर.राजस्थान में ही नही देशभर में श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ जिले कॉटन बेल्ट के नाम से जाने जाते है. यहां की कॉटन क्वालिटी बेहतरीन होने के चलते विदेशो तक अपनी छाप छोड़ी है. लेकिन कॉटन के भाव ना मिलने से अब किसानों का कॉटन की फसल से मोहभंग होता जा रहा है. यहीं कारण है की किसान अब कॉटन को घाटे का सौदा बताकर दूसरी फसले लेने की बात कह रहे हैं.

भाव कम होने पर कॉटन से किसानो का मोहभंग

श्रीगंगानगर की अनाज मंडी में इन दिनों ग्वार, मूंग के साथ-साथ नरमे की ढेरियां लगी हुई नजर आएंगी. नरमें को यहां पर सफेद सोना कहा जाता है. इसी सफेद सोने के अच्छे उत्पादन और अच्छे भाव ने क्षेत्र के किसानों और व्यापारियों को बीते सीजन में मालामाल किया था. पिछले साल नरमे के भाव सभी रिकॉर्ड तोड़ते हुए 7000 प्रति क्विंटल तक पहुंच गए थे. लेकिन इस साल इसके दाम 5665 रुपए से पार नहीं हो पाए है. अभी अनाज मंडी में नरमे का भाव 5100 सो रुपए प्रति क्विंटल से 5500 रुपए प्रती किवंटल बिक रहा है. जिसमें किसानों को लागत तक वसूल नहीं हो पा रही.

लागत अधिक और दाम कम मिलने से निराश हैं किसान

इंतजार के बावजूद नहीं बदली किस्मत

कहते हैं कि किसान फसल बेचते समय बुद्धिमानी से काम नहीं लेता और फसल काटते ही मंडी में लेकर पहुंच जाता है. नरमा उगाने वाले किसानों ने इस बार धारणा को पलट दिया और महीनों तक भाव बढ़ने का इंतजार भी किया, लेकिन नरमे की फसल के भाव किसानों की किस्मत नहीं बदल पाए. महीनों इंतजार के बाद भी नरमे के भाव में कोई तेजी नहीं आई. इसके पीछे सीसीआई (भारतीय कपास निगम) की नीतियों को भी माना जा सकता है.

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साल भर रही मौसम की मार

इस बार श्रीगंगानगर जिले में कॉटन की बुआई एक लाख 89 हजार 544 हेक्टेयर में हुई और 2473096 गांठे एक गांठ 170 किलोग्राम उत्पादन का आंकलन किया गया. इस बीच जुलाई अगस्त में पर्याप्त बारिश नहीं हुई.सितंबर,अक्टूबर में अत्यधिक तापमान सफेद मक्खी का प्रकोप से कॉटन की फसल को नुकसान हुआ. कृषि विभाग के अनुसार पिछले वर्ष की तुलना में इस साल 8 से 10 प्रतिशत कॉटन का उत्पादन कम होने का अनुमान है. इस कारण कॉटन बेल क्षेत्र में सफेद सोना की चमक इस बार फीकी है.

कॉटन से किसानों का मोहभंग

नमी के हिसाब से तय होते हैं रेट

सीसीआई कॉटन की खरीद श्रीगंगानगर जिले के 10 केंद्रों पर 5665 रुपए प्रति क्विंटल एमएसपी पर 8% नमी पर कर रही है. यदि नमी 8% से कम होगी तो भाव भी कम मिलेंगे. यदि नमी 12% रहती है तो किसान को कॉटन का प्रति क्विंटल 238 रुपए भाव कम मिलेगा. सीसीआई के नमी के पेच में गुणवत्ता की कीमत किसान को चुकानी पड़ रही है. वहीं किसान को निजी व्यापारियों को कॉटन की बिक्री करने पर पूरा भाव नहीं मिल रहा है.

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महंगी पड़ रही कॉटन की खेती

कॉटन का नई धान मंडी गंगानगर में औसत भाव 5228 रुपए जबकि एमएसपी 5665 प्रति क्विंटल है. कॉटन की चुगाई करवाना भी किसान के लिए आसान काम नहीं है. उनका कहना है कि कॉटन की चुगाई 8 से 10 प्रति क्विंटल चल रही है. इस क्रम में किसान को कॉटन की चुगाई के लिए मजदूर भी नहीं मिल रहे हैं. चुगाई के अलावा मजदूर को चाय, पानी, घर तक छोड़ना, हरा-चारा, लकड़ी सहित अन्य सेवाएं भी देनी पड़ रही हैं. किसानों की मानें तो कॉटन की फसल पर बिजाई सहित अन्य खर्चे भी बहुत ज्यादा आ रहे हैं. कॉटन का बीज भी किसान को काफी महंगा पड़ता है. जिले में कॉटन का उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में 8 से 10% की गिरावट है.

नमी के हिसाब से तय होते हैं एमएसपी खरीद के रेट

कहीं खत्म ना हो जाए कपास पट्टी!

व्यापारियों की मानें तो सरकार निर्यात में अनुदान देकर नरमा उगाने वाले किसानों को राहत दे सकती है. गंगानगर और हनुमानगढ़ को कृषि प्रधान जिला कहा जाता है और इसमें सबसे बड़ा योगदान कॉटन की फसल का रहा है. नरमे के भाव में आई गिरावट ने किसानों का कॉटन से मोहभंग कर रहा है.यही हालत रहे तो आने वाले सीजन में कॉटन बेल्ट की पहचान खत्म होने का खतरा भी पैदा हो जाएगा. श्रीगंगानगर जिले की पहचान कपास पट्टी के नाम से है.

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