श्रीगंगानगर.कभी प्रकृति की मार तो कभी सरकारी तंत्र की नाकामी से परेशान भूमिपुत्र की हालत देश में दिनों-दिन कमजोर होती जा रही है. हाड़तोड़ मेहनत करने के बाद भी किसान को एक तरफ उसकी माल के पूरे दाम नहीं मिल पाते हैं, तो वहीं फसल को पकाने के लिए उसके हिस्से के पानी पर सरकारी तंत्र डाका डाल रहा है.
जिले का भूमिपुत्र फिलहाल ऐसी स्थिति में खड़ा है, जहां वह खेतों में मेहनत कर अपनी फसल तैयार करें या सरकारी तंत्र से लड़ाई लड़े. सिंचित क्षेत्र श्रीगंगानगर का किसान पिछले लंबे समय से नहरों में पंजाब से आ रहे पानी की चोरी रोकने और खरीद व्यव्स्था में घोल की लड़ाई लड़ रहा है. लेकिन उसकी लड़ाई में ना तो सरकार साथ दे रही है और ना ही सत्ता में बैठे उच्च पदों पर मंत्री अधिकारी कुछ करने को तैयार हैं.
पढ़ेंःकोरोना को लेकर सरकार के काम के आगे निरुत्तर रहे विपक्ष के छुटभैया नेता : रघु शर्मा
आखिरकार हारकर किसानों ने अपनाई आंदोलन की राह
गंगनहर में पंजाब से पूरा पानी लेने सहित विभिन्न मांगों को लेकर किसानों ने महाराजा गंगा सिंह चौक पर धरना शुरू किया है. गंगानगर किसान संघर्ष समिति के बैनर तले किसान प्रतिनिधियों ने बताया कि 10 दिन धरने के दौरान सरकार ने किसानों की मांगों को नहीं माना तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा. किसानों का कहना है कि पंजाब से पूरा पानी नहीं मिलने के कारण किसानों की फसलें बर्बाद हो रही है. वहीं दूसरी तरफ हरिके बैराज से हजारों क्यूसेक पानी पंजाब जा रहा है.
किसानों की मांगों के संबंध में क्षेत्र के विधायकों को अवगत करवा दिया गया है. फिरोजपुर फीडर की पुनः निर्माण, नहर की नियमित सफाई की व्यवस्था करने, जल उपयोगिता संघों के चुनाव करवाने, रेगुलेशन सिस्टम में सुधार कर वरीयता क्रम के अनुसार नहरों में पानी छोड़ने, मूंग की खरीद शुरू करवाने, कपास की आगामी खरीद के लिए सीसीआईसी द्वारा व्यवस्था करवाने आदि मांगों को लेकर किसान धरने पर हैं.