रायसिंहनगर (श्रीगंगानगर). कौन कहता है हाथ की लकीरें भाग्य बनाती हैं, किस्मत तो उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते. जी हां, व्यक्ति का भविष्य उसके माथे या हाथों की लकीरें नहीं उसकी मेहनत और हौसले से बनता है. हौसला बुलंद हो और कुछ कर गुजरने की इच्छा हो तो बड़े से बड़ी परेशानी भी बौनी साबित होती है. कुछ ऐसी ही कर दिखाया है दिव्यांग खिलाड़ी भगवानाराम ने. पुष्कर अजमेर में आयोजित नेशनल दिव्यांग आर्थोपेडिक स्टैंडिंग पैरा कबड्डी प्रतियोगिता में भी भगवानाराम अपना लोहा मनवा चुके हैं. जबकि फरवरी में राष्ट्र स्तरीय भारतीय दिव्यांग कबड्डी टीम में वह चयनित (Divyang player Bhagwanaram select in the Indian Divyang Kabaddi team) हो गए हैं.
रायसिंहनगर के निकटवर्ती गांव 10 टीके के रहने वाले भगवानाराम उर्फ अरमान का बचपन में चारा काटते समय एक हाथ कट गया था. शुरू में रोजमर्रा के काम करने में भी उसे काफी परेशानी का सामना करना पड़ा लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी. खेल में रुचि होने पर उसने इसी क्षेत्र में आगे बढ़ने की ठानी. रायसिंहनगर स्थित आर्मी कमांडो स्पोर्ट्स एंड डिफेंस अकेडमी में उसने ट्रेनिंग लेनी शुरू कर दी. अपनी मेहनत और लगन के बल पर न सिर्फ दिव्यांग आर्थोपेडिक स्टैंडिंग पैरा कबड्डी प्रतियोगिता में उसने अपने लिए स्थान बनाया बल्कि टीम के बेहतर प्रदर्शन कर अपनी टीम को जीत भी दिलाई.