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श्रीगंगानगर में श्रम विभाग की योजनाओं में भ्रष्टाचार का खुलासा, जांच के बाद सौंपी जाएगी रिपोर्ट

श्रीगंगानगर में पंचायत समिति रायसिंह नगर की ओर से श्रम विभाग की योजना के लिए किए गए भुगतान में भ्रष्टाचार के मामले सामने आया है. मामले में योजना के तहत अपात्रों को गलत तरीके से भुकतान किए गए हैं, जिनकी भुगतान पर्चियां भी नहीं है. वहीं जिला परिषद सीईओ ने टीम गठित कर जांच शुरू कर दी है.

Corruption by panchayat samiti officers in Sri ganganagar, श्रीगंगानगर में भ्रष्टाचार, श्रम विभाग की योजनाओं में भ्रष्टाचार

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Published : Oct 30, 2019, 3:24 PM IST

श्रीगंगानगर.पंचायत समिति रायसिंह नगर की ओर से श्रम विभाग की योजना के लिए साल 2018 में किए गए 98 लाख के भुगतान मामले में भ्रष्टाचार की परते खुलनी शुरू हो गई हैं. श्रम विभाग को पंचायत समिति द्वारा किए गए भुगतान की फाइले नहीं मिली. इस पर विभाग ने सीईओ जिला परिषद को पत्र लिखकर इस मामले से अवगत करवाया.

श्रम विभाग की योजनाओं में भ्रष्टाचार

वहीं सीईओ सौरभ स्वामी ने पंचायत समिति से योजनाओं के भुकतान संबंधी रिकॉर्ड मांगा तो पता चला कि पत्रावली ही गायब है. इसके बाद सीईओ स्वामी ने टीम गठित कर इस मामले की जांच शुरू की. जांच टीम को इस मामले में शुभ शक्ति योजना की 69 फाइलें मिली, जिनकी जांच से पता चला कि 69 फाइलों में से 67 में अपात्रों को भुगतान किया गया है.

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वहीं श्रमिक परिवार के मुखिया की मृत्यु पर 2 लाख के लाभ देने के 4 मामलों में अपात्र लोगों को भुगतान किया पाया गया है. साथ ही इस मामले में मिले भुगतान से संबंधित जो नोट सीट में 36 लाभार्थियों को ही भुगतान करने का उल्लेख है. शुभ शक्ति योजना, श्रमिक परिवार के मुखिया की मृत्यु पर दिए जाने वाले लाभ और छात्रवृत्ति योजना की ज्यादातर फाइलें गायब हैं. वहीं योजनाओं में भुगतान किए गए बिल के वाउचर भी नहीं मिले हैं.

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जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सौरव स्वामी ने बताया कि विभाग ने इन योजनाओं में ऑफलाइन भुगतान साल 2016 में बंद कर दिया गया था, जिसके बाद ऑनलाइन भुगतान करने के निर्देश दिए थे. इसके बावजूद तत्कालीन बीडीओ रायसिंह नगर, पंचायत समिति प्रधान रायसिंह नगर और लेखा शाखा के अधिकारियों ने नियम ताक पर रखकर अपात्र लोगों को भुगतान कर दिया. जांच पूरी होने के बाद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

सीईओ बताया कि इन योजनाओं में लाखों रुपए का गबन उजागर हो चुका है. वहीं जांच रिपोर्ट जल्दी जिला कलेक्टर को सौंप दी जाएगी. मामला गलत भुगतान और गबन से जुड़ा होने के कारण भ्रष्टाचार का बनता है. ऐसे में जिला कलेक्टर मामले को भ्रष्टाचार निरोधक विभाग से जांच करवाकर दोषियों को सजा दिला सकते हैं.

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